करीब 206 करोड़ रुपए के कथित चिक्की घोटाले के मामले में महाराष्ट्र सरकार की मंत्री और बीजेपी नेता पंकजा मुंडे को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB)से क्लीन चिट मिल गई है. इसके पहले उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट से भी राहत मिली थी. महाराष्ट्र के महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय द्वारा एक ही दिन में की गई 206 करोड़ रुपयों की खरीद को नियम विरुद्ध बताते हुए कांग्रेस ने इसकी शिकायत एसीबी से की थी. प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने छह पेज का एक दस्तावेज एसीबी प्रमुख को सौंपते हुए मामले की जांच की गुहार लगाई थी.
सरकारी स्कूलों के छात्रों को दी गई चिक्की में मिट्टी के कण पाए जाने के आरोपों से इंकार करते हुए महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा था कि लैब में इसके सैंपल की जांच से ऐसे किसी पदार्थ की मौजूदगी का खुलासा नहीं हुआ है. पंकजा मुंडा के खिलाफ दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि सरकारी स्कूलों के छात्रों को घटिया किस्म की चिक्की प्रदान की जा रही है. पंकजा मुंडे को मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने भी क्लीनचिट दे दी थी. मुख्यमंत्री ने मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद कहा था कि सौदे में प्रथम दृष्ट्या कोई अनियमितता नहीं पाई गई है. दूसरी ओर, राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने संबंधित मंत्रालय से खरीद सौदे की विस्तृत जानकारी मांगी थी. अब एसीबी ने भी पंकजा मुंडे को क्लीन चिट दे दी है.
206 करोड़ रुपये के घोटाले का था आरोप
याचिकाकर्ताओं ने 206 करोड़ रूपये के कथित चिक्की घोटाले की जांच हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस से कराने की मांग की थी. इस मामले में राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे आरोपों के घेरे में आई थीं. आदिवासी बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं की खरीद में 206 करोड़ का घोटाला का आरोप लगाया गया था. कहा जा रहा था कि इस खरीद के लिए बीजेपी के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा ने नियमों को ताक पर रखकर इजाजत दी थी. एक अखबार के मुताबिक पंकजा मुंडे को अहमदनगर जिला परिषद के प्रेजिडेंट मंजूश्री गुंड ने लेटर भेजा था. इस लेटर में मंजूश्री ने आदिवासी छात्रों को इंटिग्रेटेड चाइल्ड डिवेलपमेंट सर्विसेज (ICDS) के तहत दी जा रही चिक्की की क्वॉलिटी पर सवाल उठाए थे. मंजुश्री ने लिखा था कि चिक्की में मिट्टी लगी हुई है और यह खाए जाने लायक नहीं है. आरोप था कि पंकजा ने ही 206 करोड़ रुपये में चिक्की, दरी, डिश और किताबों वगैरह को खरीदने के लिए नियमों को ताक पर रखकर क्लियरेंस दी थी. राज्य प्रशासन के रिकॉर्ड के मुताबिक 24 सरकारी रिजॉल्यूशंस के तहत इस डील को क्लियरेंस दी गई थी. नियमों के मुताबिक 3 लाख से ज्यादा की खरीद सिर्फ ई-टेंडरिंग के जरिए की जा सकती है