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माता-पिता के होते हुए संपत्ति पर दावा नहीं कर सकते बच्चे: बॉम्बे HC

बॉम्बे HC ने एक सौतेले बेटे को अपनी सौतेली मां के अपहरण की कहानी गढ़ने के लिए फटकार लगाई है. अदालत ने व्यक्ति को घर तुरंत घर खाली करने का निर्देश दिया है, जहां से उसने साल 2022 में अपनी सौतेली मां को बेदखल किया था.

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बॉम्बे हाईकोर्ट. (फाइल फोटो)
बॉम्बे हाईकोर्ट. (फाइल फोटो)

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को अपनी सौतेली मां के कथित अपहरण की झूठी कहानी गढ़ने पर फटकार लगाई है. साथ ही कोर्ट ने व्यक्ति को तुरंत घर खाली करने का निर्देश दिया है, जहां से सौतेले बेटे ने अपनी मां की साल 2022 में बेदखल कर दिया था.

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न्यायमूर्ति जी.एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत एम. सेठना की पीठ सौतेले बेटे द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक कल्याण न्यायाधिकरण तथा मुंबई पश्चिमी उपनगर के उपविभागीय अधिकारी द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसे मुंबई के कांदिवली पश्चिम क्षेत्र में स्थित फ्लैट खाली करने का निर्देश दिया गया था.

'अपनी बहन के घर रह रही हैं यूफेमिया'

ये फ्लैट यूफेमिया हेंड्रिक्स और उनके दिवंगत पति एंड्रयू हेंड्रिक्स के संयुक्त स्वामित्व में था, जिनका जनवरी 2022 में निधन हो गया था. उनकी मृत्यु के बाद यूफेमिया ने आरोप लगाया कि उन्हें फरवरी 2022 में फ्लैट से बेदखल कर दिया गया और और तब से वह अपनी 84 वर्षीय बहन मॉरीन गोंसाल्वेस के साथ रह रही थीं.

पीठ ने इससे पहले हाईकोर्ट के अतिरिक्त प्रोटोनोटरी और सीनियर मास्टर को यूफेमिया से मिलने के लिए उसकी बहन के बांद्रा स्थित घर पर भेजा था. अधिकारी ने अदालत के समक्ष यूफेमिया की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए रिपोर्ट पेश की.

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'यकीन करना है मुश्किल'

रिपोर्ट देखने के बाद पीठ ने कहा, 'ये यकीन करना मुश्किल है कि आंशिक अल्जाइमर से पीड़ित और अच्छे स्वास्थ्य में नहीं रहने वाले व्यक्ति का अपहरण किया जा सकता है. जो भी हो, हमारी राय में, ये एक उचित मामला है, जहां न्यायाधिकरण ने सही आदेश पारित करने के लिए एक न्यायसंगत और कानूनी दृष्टिकोण अपनाया है. इसमें किसी भी विकृति या अवैधता के आधार पर हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है.'

'माता-पिता के होते हुए नहीं कर सकते दावा'

कानूनी उदाहरणों का हवाला देते हुए अदालत ने कहा: 'यह पूरी तरह से तय है कि माता-पिता के जीवनकाल के दौरान बच्चे अपने माता-पिता की संपत्ति के संबंध में किसी भी कानूनी अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं, विशेष स्वामित्व या कब्जे का दावा नहीं कर सकते हैं. याचिकाकर्ता के लिए उचित उपाय ये होगा कि यदि अन्य कानूनी उत्तराधिकारी भी परिसर में किसी अधिकार का दावा कर रहे हों तो मुकदमा दायर किया जाए, जो सौतेली मां के जीवनकाल के दौरान नहीं किया जा सकता है.'

अदालत ने निर्देश दिया कि यूफेमिया की देखभाल उसकी बहन द्वारा की जाए और सौतेले बेटे को हर रविवार को 15 मिनट के लिए वर्चुअल मुलाकात की अनुमति दी है. इसके अलावा सौतेले बेटे को भरण-पोषण के बकाया का भुगतान करने और सोसाइटी को मासिक भुगतान जारी रखने का निर्देश दिया है.

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