मुंबई सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के लिए भेजी गई खेप को जब्त कर लिया है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक इस जहाज में परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम के लिए ज़रूरी सामानों की खेप है लेकिन पाकिस्तान का कहना है इसमें कोई सच्चाई नहीं है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इन तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने के 'भारतीय मीडिया की आदत' का उदाहरण करार दिया है.
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के ऑफिस की ओर से भारत पर मनमाने तरीके से जब्ती का आरोप लगाया गया है, साथ ही कहा है कि यह मसला कॉमर्शियल इक्विपमेंट्स के इंपोर्ट का है.
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के ऑफिस की ओर से आया बयान
भारत में जब्त किए गए पाकिस्तान जाने वाले परमाणु प्रोग्राम के उपकरणों को लेकर पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने बयान जारी किया है. पाकिस्तान की ओर से प्रवक्ता ने कहा है कि, भारतीय मीडिया की तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने की आदत रही है. यह कराची स्थित एक कॉमर्शियल कंपनी द्वारा इंपोर्ट कराए गए commercial lathe machine से जुड़ा मामला है.
भारत पर लगाए ये आरोप
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि, कंपनी पाकिस्तान में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को पार्ट्स सप्लाई करती है. इस इंपोर्ट में शामिल सभी इक्विपमेंट्स इस ओर इंडिकेट करते हैं कि इनका विशुद्ध तौर पर कॉमर्शियल यूज ही होना है. इसके लिए हुए जरूरी लेन-देन भी ट्रांसपैरेंट बैकिंग चैनल्स के जरिए हुए हैं. पाकिस्तान कॉमर्शियल इक्विपमेंट्स को भारत द्वारा मनमाने तौर पर जब्त किए जाने को लेकर इसकी निंदा करता है.
शनिवार को मामला आया था सामने
बता दें कि, अधिकारियों की ओर से शनिवार को मिली जानकारी में यह सामने आया है कि, मुंबई के न्हावा शेवा बंदरगाह पर सुरक्षा एजेंसियों ने चीन से कराची जाने वाले एक जहाज की खेप को रोक लिया और उसे जब्त कर लिया, क्योंकि उसमें पाकिस्तान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों के लिए दोहरे उपयोग वाली खेप ले जाते हुए पाया गया था.
क्या था शिप में, जिसे जब्त किया गया?
कस्टम अधिकारियों ने खुफिया सूचना पर कार्रवाई करते हुए 23 जनवरी को कराची जाने वाले माल्टा के झंडे वाले व्यापारी जहाज 'CMA CGM Attila' को रोक दिया. जांच के दौरान पाया गया कि खेप में एक कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल (सीएनसी) मशीन थी. इसे एक इटालियन कंपनी ने बनाया था. यह कंपनी कंप्यूटर सिस्टम द्वारा सटीक कंट्रोल के लिए जानी जाती है. अधिकारियों ने कहा कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक टीम ने खेप की जांच की और पाकिस्तान की परमाणु पहल, विशेष रूप से मिसाइल विकास के लिए महत्वपूर्ण घटकों के निर्माण में इसके संभावित उपयोग की पुष्टि की.
वासेनार अरेंजमेंट में शामिल हैं ये उपकरण
सीएनसी मशीनों को 1996 में शुरू की गई 'वासेनार अरेंजमेंट' में शामिल किया गया था. यह अंतरराष्ट्रीय हथियार नियंत्रण व्यवस्था है, जिसका मकसद नागरिक और सैन्य दोनों के लिए उपकरणों के प्रसार को रोकना है. भारत उन 42 सदस्य देशों में शामिल है, जो पारंपरिक हथियारों और दोहरे इस्तेमाल वाले सामान व प्रौद्योगियों के हस्तांतरण (टेक्नोलॉजी ट्रांसफर) को लेकर सूचना साझा करते हैं.
उत्तर कोरिया भी कर चुका है इस्तेमाल
अधिकारियों ने बताया कि सीएनसी मशीन का इस्तेमाल उत्तर कोरिया ने अपने परमाणु कार्यक्रम में किया था. उन्होंने कहा कि बंदरगाह के अधिकारियों ने विशेष खुफिया जानकारी को भारतीय रक्षा अधिकारियों के साथ साझा किया. जिसने बाद में खेप को जब्त कर लिया.
चल रही जांच का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या इन वस्तुओं को प्राप्त करने वाली संदिग्ध पाकिस्तानी संस्थाएं रक्षा विज्ञान और प्रौद्योगिकी संगठन (डीईएसटीओ) से जुड़ी हैं. यह संस्था पाकिस्तान के लिए रक्षा अनुसंधान करती है.
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक टीम ने इस खेप का निरीक्षण किया और उसने पुष्टि की कि पाकिस्तान अपने परमाणु कार्यक्रम के विकास में इस मशीन का उपयोग कर सकता है. लोडिंग के कार्गो बिलों से पता चला कि कंसाइनर शंघाई जेएक्सई ग्लोबल लॉजिस्टिक्स लिमिटेड जैसे दस्तावेज़ों में से एक था और कंसाइनर पाकिस्तान स्थित सियालकोट स्थित पाकिस्तान विंग्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की फर्म थी. यह पता चला है कि यह खेप ताइयुआन माइनिंग इम्पोर्ट एंड एक्सपोर्ट कंपनी लिमिटेड द्वारा भेजी गई थी और पाकिस्तान में कॉसमॉस इंजीनियरिंग के लिए थी, जो पाकिस्तान में एक रक्षा फर्म है जो पाकिस्तान रक्षा बलों के लिए आपूर्ति करती है. दिसंबर 2022 में भी भारत ने इसी न्हावा शेवा बंदरगाह पर इटली में बने थर्मोइलेक्ट्रिक उपकरणों वाले एक कार्गो को रोका था.