महाराष्ट्र के चिपलून में बाढ़ (Chiplun flood) से तबाही के पीछे प्राकृतिक आपदा के अलावा इंसानी लापरवाही और भ्रष्टाचार भी जिम्मेदार है. वशिष्ठ नदी के किनारों पर अवैध निर्माण, कोलकेवाड़ी डैम से पानी छोड़ने में हुई लापरवाही और लगातार बारिश ने इस आपदा को भंयकर रूप दे दिया है.
मुंबई से लगभग 250 किलोमीटर दूर समुद्री तट पर बसे चिपलून शहर का आधा से ज्यादा हिस्सा पानी में डूब गया है. 70 हजार की आबादी वाले इस शहर में अभी त्राहि मची हुई है.
रत्नागिरी जिले के कलेक्टर बीएन पाटिल, जिन्होंने 15 दिन पहले ही यहां का चार्ज संभाला है, कहते हैं कि ये कुछ हद तक तो ये इंसानों के द्वारा बनाई गई आपदा है.
नदी के रास्ते में लोगों ने बना लिए घर
बीएन पाटिल ने कहा, "वशिष्ठ रिवर बेड में कुछ अवैध निर्माण हुआ है, जिससे कि नदी का रास्ता रुक गया है और हमारी परेशानी बढ़ गई है, कोलकेवाड़ी डैम से आ रही पानी की भारी मात्रा, लगातार तेज बारिश और नदी के किनारों पर अवैध निर्माण ने हमारी मुश्किलें बढ़ा दी हैं. ये आंशिक रूप से इंसान द्वारा पैदा की गई तबाही है.
नदी के किनारे अवैध निर्माण से वशिष्ठ नदी का प्रवाह बाधित हो गया है. तेजी से पानी न निकल पाने की वजह से नदी लबालब है और वशिष्ठ नदी का पानी शहर और रिहायशी इलाकों की ओर घुस रहा है. सावित्री नदी के बेड एरिया में भी अवैध निर्माण हुआ है.
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अवैध निर्माण पर अब होगा एक्शन
बीएन पाटिल अब नदी के किनारों पर बने अवैध निर्माण के खिलाफ एक्शन की बात कर रहे हैं. उन्होंने पीटीआई से कहा कि एक बार बाढ़ का पानी कम हो जाए तो मैं इस अवैध निर्माण के मुद्दे को देखने जा रहा हूं.
रत्नागिरी जिला प्रशासन बाढ़ में फंसे 200 लोगों को अब तक रेस्क्यू कर चुका है. उन्होंने एनडीआरएफ की 6 टीमें और मांगी है, 2 टीमें यहां पहले ही काम कर रही हैं. इसके अलावा कोस्ट गार्ड और इंडियन नेवी भी सहायता पहुंचा रही है.
एक सेकेंड में 10 हजार क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज
इलाके में लगातार बारिश की वजह से कोलकेवाड़ी डैम लबालब भर गया है. डैम के 4 गेट खोल दिए गए हैं. जब डैम का गेट खुला रहता है तो इन गेट से प्रति सेकेंड 10 हजार क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज होता है. ये पानी वशिष्ठ नदी में आता है जिससे चिपलून के निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं. डैम का गेट खोलने के लिए कई बार लापरवाही होती है और प्रोटोकॉल का पालन नहीं हो पाता है. इसकी वजह से वे रिहायशी इलाके खाली नहीं कर पाते हैं.
अरब सागर में ज्वार भाटा
इन इलाकों में आसमान से लगातार बारिश तो हो ही रही है. अरब सागर में लगातार ज्वारभाटा आ रहा है इससे भी वशिष्ठ नदी का पानी बढ़ रहा है. जो कि प्रशासन कि दिक्कतें बढ़ा रहा है.