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कोई भी नागरिक किसी धर्म को नहीं मानने का एलान कर सकता हैः बंबई हाई कोर्ट

बंबई हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि सरकार किसी व्यक्ति को यह घोषित करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती कि वह किसी दस्तावेज, आवेदन या घोषणापत्र में अपने धर्म का उल्लेख करे.

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बंबई हाई कोर्ट
बंबई हाई कोर्ट

बंबई हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि सरकार किसी व्यक्ति को यह घोषित करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती कि वह किसी दस्तावेज, आवेदन या घोषणापत्र में अपने धर्म का उल्लेख करे.

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तीन व्यक्तियों की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति ए एस चंदूरकर की पीठ ने आदेश दिया कि पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य भारत में हर नागरिक को संविधान के तहत इसका अधिकार है कि वह किसी धर्म से खुद को नहीं जोड़े.

केंद्र और महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि आधिकारिक आवेदनों में ‘कोई धर्म नहीं’ भरे जाने को धर्म या धर्म के किसी स्वरूप के तौर पर नहीं माना जा सकता. अंत:करण की स्वतंत्रता की गारंटी देने वाले संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि इस तरह के अधिकार में यह भी शामिल है कि कोई व्यक्ति यह खुलकर कह सकता है कि वह किसी धर्म का पालन नहीं करता है.

न्यायाधीशों ने मंगलवार को एक फैसले में कहा, ‘भारत एक पंथनिरपेक्ष गणराज्य है और किसी भी व्यक्ति को इसकी पूरी स्वतंत्रता है कि वह किसी धर्म का पालन करना चाहता है या नहीं.’ पीठ ने कहा, ‘अगर कोई व्यक्ति किसी धर्म का पालन करता है तो वह धर्म छोड़ भी सकता है और यह दावा कर सकता है कि उसका किसी धर्म से ताल्लुक नहीं है.’

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