scorecardresearch
 

'स्पीकर शायद उद्धव गुट के दवाब में थे...', अयोग्यता पर फैसले के बाद CM एकनाथ शिंदे का बयान

महाराष्ट्र स्पीकर ने 1200 पेजों के फैसले के मुख्य बिंदुओं को सुनाते हुए कहा कि शिंदे गुट ही असली शिवसेना है. इसके साथ ही स्पीकर ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि शिंदे गुट के सभी 16 विधायकों की सदस्यता बरकरार रहेगी. स्पीकर के इस फैसले पर जहां उद्धव ठाकरे ने सवाल उठाए हैं तो वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि इसे पार्टी के भीतर लोकतंत्र को बढ़ावा मिला है.

Advertisement
X
महाराष्ट्र स्पीकर ने शिंदे गुट को असली शिवसेना करार दिया है
महाराष्ट्र स्पीकर ने शिंदे गुट को असली शिवसेना करार दिया है

महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट के सदस्यों की अयोग्यता की अर्जी पर अपना फैसला सुना दिया. स्पीकर ने 1200 पेजों के फैसले के मुख्य बिंदुओं को सुनाते हुए कहा कि शिंदे गुट ही असली शिवसेना है. एकनाथ शिंदे  के पास 55 में से 37 विधायक हैं. इसके साथ ही स्पीकर ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि शिंदे गुट के सभी 16 विधायकों की सदस्यता बरकरार रहेगी. यानी एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के CM बने रहेंगे. 

Advertisement

स्पीकर के इस फैसले पर जहां उद्धव ठाकरे ने सवाल उठाए हैं तो वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि इसे पार्टी के भीतर लोकतंत्र को बढ़ावा मिला है. शिंदे ने आजतक से बातचीत में कहा कि उद्धव पार्टी को बेच रहे थे. लोकतंत्र में बहुमत मायने रखता है लेकिन ऐसा लगता है कि स्पीकर दबाव में थे क्योंकि उन्होंने विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया. क्योंकि उद्धव ठाकरे गुट उन पर आरोप लगाकर उन पर दबाव बना रहा था.

इसके अलावा सीएम शिंदे ने बयान जारी करते हुए कहा, "मैं प्रदेश के सभी शिवसैनिकों को हृदय से बधाई देता हूं. आज एक बार फिर लोकतंत्र की जीत हुई है. राज्य के लाखों मतदाताओं ने 2019 में शिवसेना-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवारों को वोट दिया था और आज उनकी जीत हुई है. ये उस शिवसैनिक की जीत है, जो हिंदू हृदय सम्राट बाला साहब ठाकरे के विचारों का झंडा लेकर निकले थे. यह एक बार फिर साबित हो गया है कि हम बालासाहेब और धर्मवीर आनंद दिघे की हिंदुत्व विचारधारा के सच्चे उत्तराधिकारी हैं. आज की जीत सत्य की जीत है. सत्यमेव जयते."

Advertisement

फैसला पार्टी की नहीं, लोकतंत्र की जीत: शिंदे

उन्होंने आगे कहा, "आज का फैसला किसी पार्टी की जीत नहीं बल्कि भारतीय संविधान और लोकतंत्र की जीत है. लोकतंत्र में बहुमत हमेशा महत्वपूर्ण होता है. मूल पार्टी शिवसेना को चुनाव आयोग द्वारा आधिकारिक तौर पर हमें सौंप दिया गया है और चुनाव चिन्ह 'धनुष और तीर' भी हमें सौंप दिया गया था. चुनावी गठबंधन के अलावा दूसरों के साथ मिलकर सरकार बनाने की प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए घातक थी. आज के नतीजे के बाद इस तरह की प्रथा बंद हो जायेगी. आज के नतीजे से तानाशाही और वंशवाद टूट गया है. कोई भी पार्टी को अपनी जागीर समझकर अपने मन मुताबिक फैसला नहीं ले सकता. यह निर्णय यह भी बताता है कि कोई पार्टी प्राइवेट लिमिटेड संपत्ति नहीं है. इस फैसले ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि लोकतंत्र में राजनीतिक दलों को भी लोकतांत्रिक तरीके से चलाया जाना चाहिए, यहां तक कि पार्टी अध्यक्ष भी मनमानी नहीं कर सकते."

शिंदे ने कहा कि यह एक ऐसा फैसला है जो बहुत प्रगतिशील है और राजनीतिक नेताओं को जवाबदेह बनाता है. मेरा मानना है कि यह एक ऐसा निर्णय है जो मतदाताओं के वोट का सम्मान करता है और लोकतंत्र में उनके विवेक को सुरक्षित रखता है. इस फैसले ने उन नेताओं को सबक सिखाया है जो सत्ता के लिए विचारों को नष्ट करने, अप्राकृतिक गठबंधन बनाने और विश्वास को कुचलने का जघन्य अपराध करते हैं."

Advertisement

हमें अयोग्य क्यों नहीं ठहाराया: उद्धव ठाकरे

उद्धव ठाकरे ने स्पीकर के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया है. यह अवमानना हो सकती है, हम जांच करेंगे. इससे पता चलता है कि वे सोचते हैं कि कोई भी उनसे ऊपर नहीं है, यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय भी. उन्होंने (स्पीकर) किसी को अयोग्य नहीं ठहराया. उन्होंने हमें अयोग्य क्यों नहीं ठहराया?"

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को मामले में स्वत: संज्ञान लेना चाहिए. शिवसेना खत्म नहीं होगी. शिंदे की शिवसेना असली शिवसेना नहीं हो सकती. मैं बस सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करता हूं कि वह तथ्य सामने लाए और कानूनी फैसला ले. यह स्पष्ट मामला है जहां लोकतंत्र की हत्या की गई है. स्पीकर ने साफ कर दिया है कि किसी को पार्टी कैसे बदलनी चाहिए.

डेढ साल पहले शिंदे ने की थी बगावत 

उल्लेखनीय है कि करीब डेढ़ साल पहले 20 जून 2022 को एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 39 विधायकों ने शिवसेना से बगावत कर दी थी और बीजेपी के साथ गठबंधन करके सरकार बना ली थी. शिंदे को सीएम बनाया गया था. देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने थे. उद्धव पक्ष ने दल-बदल कानून के तहत पहले स्पीकर को नोटिस दिया. फिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और दोनों गुटों ने एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की थीं. इस बीच असली शिवसेना को लेकर भी दोनों गुटों में विवाद जारी है.

Live TV

Advertisement
Advertisement