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उद्धव सरकार का एक साल, CM बोले- हमें पवार साहब और सोनिया जी का मार्गदर्शन प्राप्त है

सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि पश्चिमी देश कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहे हैं, हम पहली लहर से बाहर नहीं आ पाए हैं. MVA सरकार ने इस संकट काल में पूरे दमखम से काम किया है और विपक्ष को ये पता होना चाहिए कि हमारे साथ लोगों का विश्वास है. 

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गठबंधन दलों के नेताओं ने मुलाकात की
  • हमारे साथ लोगों का विश्वास है: उद्धव
  • किसान के मुद्दों पर विफल रहा केंद्रः पवार

पिछले हफ्ते महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार का एक साल पूरा हुआ है. MVA सरकार के एक साल पूरे होने पर गुरुवार को गठबंधन दलों के नेताओं ने मुलाकात की. इस मौके पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि मेरे साथ बेहतरीन टीम है. बहुत लोगों ने सोचा था कि MVA सरकार नहीं बनेगी और शिवसेना पीछे हट जाएगी, लेकिन शिवसेना कभी पीछे नहीं हटी और ना हटेगी. हमें पवार साहब और सोनिया जी का मार्गदर्शन प्राप्त है.

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सीएम उद्धव ने कहा कि मैं सोनिया जी से केवल एक बार मिला था, लेकिन हम फोन पर बात करते रहते हैं. मजाकिया अंदाज में सोनिया गांधी ने मुझसे एक बार पूछा भी था, 'मुझे उम्मीद है कि मेरे लोग आपको परेशान नहीं कर रहे हैं? जवाब में मैंने उनसे कहा कि वे एनसीपी से अधिक co-operative हैं.'

सीएम ने कहा कि पश्चिमी देश कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहे हैं, हम पहली लहर से बाहर नहीं आ पाए हैं. MVA सरकार ने इस संकट काल में पूरे दमखम से काम किया है और विपक्ष को ये पता होना चाहिए कि हमारे साथ लोगों का विश्वास है. 

सीएम ने कहा कि हमने कभी भी मरीजों की संख्या या मृत्यु दर को नहीं छिपाया. हम किसी के फोन टैप नहीं करते हैं. महाराष्ट्र कभी डरा नहीं था और न कभी डरेगा. मेरे पिता शिवसेना सुप्रीमो ने मुझे विनम्र और जमीन पर रहना सिखाया है.

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वहीं, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने कहा कि पिछले 8-10 दिनों से उत्तर भारत के किसान विरोध कर रहे हैं. ऐसी स्थिति इसलिए बनी है क्योंकि सरकार उनके मुद्दों को समझने में विफल रही है. विश्व स्तर पर इस समस्या पर चर्चा की जा रही है, जो गलत है. इतनी समस्याएं थीं, लेकिन किसान कभी सड़क पर नहीं उतरे.

डिप्टी सीएम अजीत पवार ने कहा कि MVA सरकार राज्य के लोगों के लिए प्रतिबद्ध है. हमने एक साल के दौरान कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिए, जिसमें कृषि ऋण माफी भी शामिल है. 28 हजार करोड़ अभी भी जीएसटी रिटर्न के रूप में केंद्र के पास लंबित है.

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