प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर विवाद थमा नहीं है. अब मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में शनिवार शाम 7 बजे से छात्रों ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की. यहां छात्रों ने बीजेपी नेताओं के तमाम विरोध और चेतावनियों को दरकिनार करते हुए स्क्रीनिंग की. बताया जा रहा है कि 200 से ज्यादा छात्रों ने TISS कैंपस के अंदर डॉक्यूमेंट्री देखी. इससे पहले TISS प्रशासन ने स्टूडेंट्स को लेकर गाइडलाइन जारी की और साफ तौर पर कहा है कि अगर इंस्टीट्यूट कैंपस में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई तो आरोपी स्टूडेंट्स पर एक्शन लिया जाएगा. वे खुद दोषी होंगे. वहीं, बीजेपी युवा मोर्चा ने भी इंस्टीट्यूट प्रशासन को पत्र लेकर कैंपस में स्क्रीनिंग पर रोक लगाने की मांग की है. मोर्चा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता कैंपस के बाहर धरना दे रहे हैं.
मुंबई के देवनार में स्थित TISS प्रशासन की तरफ से एक नोटिस जारी किया गया है. इसमें कहा गया है कि इंस्टीट्यूट के कुछ बच्चे केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित बीबीसी की गुजरात दंगों पर आधारित डॉक्यूमेंट्री का स्क्रीनिंग कैंपस में करना चाह रहे हैं. ऐसे में उन सभी छात्रों से कहा गया है कि अगर कैंपस के अंदर का माहौल बिगड़ता है तो वो सभी छात्र जिम्मेदार होंगे और नियम के मुताबिक TISS प्रशासन उन पर कार्रवाई करेगा. TISS ने पत्र में साफ किया है कि डॉक्यूमेंट्री को स्क्रीन करने की अनुमति नहीं दी गई है. छात्रों से कैंपस में शांति भंग करने वाले किसी भी कार्यक्रम का आयोजन नहीं करने की हिदायत दी है. एडवाइजरी के खिलाफ जाने पर सख्ती से निपटा जाएगा.
आज शाम स्क्रीनिंग का प्लान?
बताते हैं कि मुंबई में TISS के छात्रों ने आज शाम डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने का प्लान बनाया है. छात्रों ने बताया कि वे शाम 7 बजे कैंपस के अंदर डॉक्यूमेंट्री देखेंगे. TISS कैंपस के बाहर पुलिस वैन तैनात की गई है. प्रगतिशील छात्र मंच का कहना है कि हमारे प्लान में कोई बदलाव नहीं है. हम घोषणा के अनुसार ही आगे बढ़ेंगे. PSF (प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम) की 20 सदस्यीय कार्यकारी समिति की बैठक आयोजित की गई.
बीजेपी युवा मोर्चा ने स्क्रीनिंग रोकने के लिए संस्थान प्रबंधन को पत्र लिखा है. पत्र में लिखा है कि हमारे संज्ञान में आया है कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के छात्र आज संस्थान के अंदर डॉक्यूमेंट्री दिखाने की योजना बना रहे हैं. बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री भारत की संप्रभुता और अखंडता को कमजोर करती है. डॉक्यूमेंट्री राष्ट्र के खिलाफ एक शातिर, दुर्भावनापूर्ण प्रोपेगेंडा है.
डॉक्यूमेंट्री के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय दिया है, लेकिन ये डॉक्यूमेंट्री एक विदेशी संस्था द्वारा बनाई और प्रकाशित की गई है, जो घटना के बारे में गलत जानकारी दे रही है. बीबीसी डॉक्यूमेंट्री कोर्ट की अवमानना है और हमारे देश के आंतरिक मामलों में सीधे हस्तक्षेप करती है. विदेशी संस्था द्वारा हमारे देश के खिलाफ शांति, कानून और व्यवस्था को बाधित करने के लिए इसे चलाया जा रहा है. इस तरह की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का मतलब इसमें सहयोग देना होगा. भारतीय जनता युवा मोर्चा की मांग है कि ये स्क्रीनिंग किसी भी स्थिति में नहीं की जानी चाहिए. हम इस मामले में आपके सहयोग का अनुरोध करते हैं. इसकी स्क्रीनिंग बंद करवाई जाए.
पुणे: 26 जनवरी को FTII में हुई डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग
पुणे में स्थित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) में प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग हुई है. आजतक ने कैंपस के बाहर कुछ छात्रों से बातचीत की है. इस दौरान छात्रों ने खुद जानकारी दी है और दावा किया है. उन्होंने बताया कि करीब 100-200 छात्रों ने डॉक्यूमेंट्री देखी. छात्रा का कहना था कि किसी भी कंटेंट को प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए. डॉक्यूमेंट्री निर्माताओं का एक दृष्टिकोण है. यह लोगों पर छोड़ देना चाहिए कि वे इस पर विश्वास करते हैं या नहीं. छात्रों ने यह भी कहा कि एफटीआईआई ने उन्हें स्क्रीनिंग से नहीं रोका था. लेकिन सुरक्षा प्रभारी मेजर संजय जाधव ने ऐसी किसी भी स्क्रीनिंग से इनकार किया है. FTII विजडम ट्री नाम क एक इंस्टाग्राम पेज पर पोस्ट किया गया है. इसमें कहा गया है- 26 जनवरी 23 को हमने एफटीआईआई में बीबीसी की प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री 'द मोदी क्वेश्चन' दिखाई.