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महाराष्ट्र: कोरोना हॉटस्पॉट बने ग्रामीण जिले, सोलापुर में 10 और जलगांव में 8% केस डेथ रेट

असल में, महाराष्ट्र के 6 जिले देश के टॉप 10 उच्चतम मृत्यु दर वाले जिलों में शामिल हैं. इस फेहरिस्त में जहां मुंबई का नाम प्रत्याशित है, वही नासिक, अकोला और औरंगाबाद ऐसे जिलों के नाम हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर कम चर्चा में है.

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महाराष्ट्र के कोरोना हॉटस्पॉट ग्रामीण जिलों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत (फाइल फोटो-PTI)
महाराष्ट्र के कोरोना हॉटस्पॉट ग्रामीण जिलों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत (फाइल फोटो-PTI)

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  • 6 जिले टॉप 10 उच्चतम मृत्यु दर वाले जिलों में शामिल
  • सोलापुर में 236 और जलगांव में 204 मौतें हो चुकी हैं

भारत में Covid-19 मौतों को लेकर कुछ बातें ज्यादा अच्छी तरह से ज्ञात हैं. जैसे कि राज्यों में महाराष्ट्र में और शहरों में मुंबई में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं. वहीं, गुजरात में मृत्यु दर सबसे ज्यादा है. लेकिन विस्तृत आंकड़ों से पता चलता है कि कुछ ज्यादा चिंता वाले क्षेत्रों, जैसे कि महाराष्ट्र के कुछ ग्रामीण जिलों पर, कम बात की जा रही है.

भारत में सबसे ज्यादा केस मृत्यु दर वाले जिलों में महाराष्ट्र के दो ग्रामीण जिले सोलापुर और जलगांव भी शामिल हैं. केस मृत्यु दर के मायने कुल केसों की संख्या के अनुपात में मौतों की संख्या है. सोलापुर की केस मृत्यु दर करीब 10 फीसदी और जलगांव की करीब 8 फीसदी है.

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असल में, महाराष्ट्र के 6 जिले देश के टॉप 10 उच्चतम मृत्यु दर वाले जिलों में शामिल हैं. इस फेहरिस्त में जहां मुंबई का नाम प्रत्याशित है, वही नासिक, अकोला और औरंगाबाद ऐसे जिलों के नाम हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर कम चर्चा में है.

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जबकि मुंबई के दो जिलों- शहर और उपनगरीय, में देश में सबसे अधिक मौतें हुई हैं और इनके बाद अहमदाबाद का नंबर आता है, लेकिन सोलापुर और जलगांव देश के उन 25 जिलों में शामिल हैं, जहां हर एक में 100 से ज्यादा मौतें हुई हैं. सोलापुर में 236 और जलगांव में 204 मौतें हो चुकी हैं.

सोलापुर महाराष्ट्र के दक्षिणी-पूर्वी किनारे का एक जिला है, जो कर्नाटक की सीमा पर है. इस जिले की बीड़ी उद्योग के लिए सबसे खास पहचान है. सोलापुर जिलेवार और राज्यवार ऊंचा पलायन देखता है. बड़े शहरों से दूर इस जिले में महामारी का पैटर्न टेस्टिंग और पॉजिटिव केसों की पहचान चिंता का विषय है.

सोलापुर का पहला केस 12 अप्रैल को रिपोर्ट हुआ लेकिन इस मरीज की मौत के बाद ही उसके Covid-19 संक्रमित होने की पुष्टि हुई. हर दिन केसों की अपेक्षाकृत कम संख्या दर्ज करने के बावजूद यहां रिपोर्ट होने वाली मौतों की संख्या चिंताजनक है. इसके मायने हो सकते हैं कि वहां बिना पहचान किए गए केस ज्यादा हैं. सोलापुर में जून में औसतन हर दिन 63 नए केस दर्ज किए गए, लेकिन साथ ही औसतन हर दिन 7 मौतें भी रिपोर्ट हुईं.

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इसी तरह जलगांव जिले का पहला केस 28 मार्च को रिपोर्ट हुआ और यहां पहली मौत 22 अप्रैल को हुई. उसके बाद से यहां केसों और मौतों की संख्या तेजी से बढ़ी. जलगांव में औसतन हर दिन 82 नए केस और पांच मौतें दर्ज हुईं. जलगांव में कम सुविधाओं और कम स्टाफ वाले सरकारी अस्पताल में हैरान करने वाली एक घटना सामने आई. यहां ICU बिस्तर का 6 घंटे तक इंतजार करने के बाद मौत हो गई. इसी अस्पताल के बाथरूम में उसी शख्स की 82 वर्षीय सास की मौत हो गई, जिसका आठ दिन तक पता ही नहीं चला.

देश में कम से कम 100 मौतों वाले जिलों में, सोलापुर और जलगांव का आबादी के अनुपात में मौतों को लेकर रैंक अपेक्षाकृत नीचा है. सोलापुर में हर दस लाख की आबादी पर 55 मौतें हुई हैं, वहीं जलगांव में ये आंकड़ा 48 मौतों का है. हालांकि, ये दो कम विकसित और ग्रामीण जिले महामारी को लेकर भारी दबाव में हैं.

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