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पुणे: 4 दिन पहले बेटे को जन्म देने वाली मां ICU में, पड़ोसी महिलाएं बनीं ‘यशोदा’

ताजा मामला पुणे का है जहां एक महिला ने चार दिन पहले बेटे को जन्म दिया. ये मां खुद कोविड पॉजिटिव है और आईसीयू वार्ड में भर्ती है. इस घर में और सदस्य भी कोविड पॉजिटिव हैं.

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बच्चे की देखभाल करतीं महिलाएं
बच्चे की देखभाल करतीं महिलाएं
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मां ICU में, पड़ोसी महिलाएं बनीं ‘यशोदा’
  • मां का पूरा परिवार कोविड पॉजिटिव
  • महिलाएं कर रहीं बच्चे की देखभाल

कोरोना महामारी ने ना सिर्फ लोगों की जान ली है बल्कि रिश्तों में भी ऐसी दूरी ला दी है कि कोई चाहते हुए भी किसी की मदद नहीं कर पा रहा है. इस एक वायरस की वजह से इंसानियत पीछे छूट गई है और खुद को बचाने की कवायद ज्यादा देखने को मिलती है. लेकिन इस सब के बीच भी कुछ लोग ऐसे हैं जो देवदूत बन सिर्फ दूसरों की सेवा कर रहे हैं.

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ताजा मामला पुणे का है जहां एक महिला ने चार दिन पहले बेटे को जन्म दिया. ये मां खुद कोविड पॉजिटिव है और आईसीयू वार्ड में भर्ती है. इस घर में और सदस्य भी कोविड पॉजिटिव हैं. इन दिनों कोरोना संक्रमण के खौफ से जब कोई सामने नहीं आ रहा, ऐसे में इस महिला की दो पड़ोसन महिलाएं दिन-रात अस्पताल में मौजूद रह कर बच्चे को संभाल रही हैं. एक तरह से ये दोनों महिलाएं बच्चे के लिए मां की ही भूमिका निभा रही हैं. 

मां ICU में, पड़ोसी महिलाएं बनीं ‘यशोदा’

हडपसर के योग मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में जब बच्चे का जन्म हुआ तो हर किसी को ये फिक्र थी कि उसकी देखरेख कौन करेगा क्योंकि घर के सभी सदस्य कोविड-पॉजिटिव हैं. ऐसे में मंजरी इलाके में रहने वालीं दो महिलाओं ने बच्चे का जिम्मा उठाया और एक मां की तरह उस बच्चे का ख्याल रखा. उन्हें कोरोना का डर नहीं है, लेकिन उस बच्चे का ख्याल रखना उनकी प्राथमिकता जरूर है. वैसे इस समय उस बच्चे की स्थिति भी नाजुक ही है. चार दिन पहले बच्चे का प्रीमैच्योर जन्म हुआ. अभी महिला की गर्भावस्था को साढ़े सात महीने ही हुए थे. बच्चे को जन्म लेते ही उसकी मां, 26 साल की प्राजक्ता गौड़ से अलग करना पड़ा. प्रियंका अभी गंभीर स्थिति में होने की वजह से आईसीयू में हैं. 

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मां का पूरा परिवार कोविड पॉजिटिव

बच्चे की दादी भी वेंटिलेटर सपोर्ट पर है. दोनों की हालत गंभीर होने की वजह से बच्चे के पिता जगदीश्वर गौड़ के लिए बहुत विकट स्थिति थी. ऐसे में सवाल खड़ा हुआ कि नवजात को कौन संभाले. उस मुश्किल समय में 65 साल की जनाबाई पवार और 35 साल की आशा बार्डे मदद के लिए आगे आईं. जनाबाई और आशा ने फैसला किया कि जब तक इस घर के सभी सदस्य रिकवर नहीं हो जाते तब तक वो दोनों बच्चे के साथ रहेंगी. दोनों ने अस्पताल पहुंचते ही सबसे पहले अपना कोविड टेस्ट कराया जो निगेटिव आया. फिर दोनों ने बच्चे की देखभाल शुरू कर दी. 

जनाभाई और आशा ने कहा कि वे दोनों अच्छे पड़ोसी होने का फर्ज निभा रही हैं, बच्चे की मां को जितना भी ठीक होने में समय लगे, हम यहीं रह कर बच्चे की देखभाल करेंगी. दोनों ने कहा कि उन्हें पता है कि कोरोना होने का जोखिम है, लेकिन उनके जेहन में इस वक्त बच्चे की मां की तरह देखभाल करने के अलावा और कुछ नहीं है. 

योग अस्पताल में ऐसे कई केस

योग अस्पताल में पिछले डेढ़ महीने में दो और ऐसे बच्चे प्रीमैच्योर जन्म ले चुके हैं. उन केसों में भी मां वेंटिलेटर सपोर्ट पर रही थीं और वहीं से लड़ाई लड़ कर रिकवर हुई थीं. ये अच्छी बात रही कि तीनों केसों में जन्मे बच्चों में से किसी को भी कोविड संक्रमण नहीं था.

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अस्पताल के संचालक डॉ अभिजीत दराक के मुताबिक जब पहली गर्भवती कोविड-19 महिला का केस हमारे सामने आया था तो हमने बड़ी सरकारी कोविड-19 फैसिलिटी में भेजने की कोशिश की लेकिन कहीं भर्ती नहीं किया गया तो हमने अपने यहां केस को डील किया. डॉ दराक ने जनाभाई और आशा की ऐसे मुश्किल वक्त में आगे आकर बच्चे की देखभाल करने की तारीफ की.  

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