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दलित बस्ती में पानी देने में रुकावट

महाराष्ट्र के सांगली जिले के खीरवडे गांव में पीने के पानी की योजना को लेकर दलित और ऊंचे जाती के लोगों में संघर्ष शुरू हो गया है. इस योजना का काम ऊंची जाति के लोगो ने रोक दिया है.

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महाराष्ट्र के सांगली जिले के खीरवडे गांव में पीने के पानी की योजना को लेकर दलित और ऊंचे जाती के लोगों में संघर्ष शुरू हो गया है. इस योजना का काम ऊंची जाति के लोगो ने रोक दिया है. तो इस योजना का काम पूरा नहीं हुआ तो दलित महिलाओं ने गांव के तालाब में छलांग लगाकर सामुदायिक आत्महत्या करने का इशारा दिया है.

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सांगली जिले के शिराला तहसील के खिरवडे गांव में दलित बस्ती को पीने का पानी देने में सवर्ण लोगों ने रुकावट डाली है. जिला परिषद ने मंजूर की हुई पेय जल आपूर्ति योजना का हर हाल में विरोध करने का सवर्ण लोगों ने फैसला किया है. सांगली जिला परिषद के पेय जल आपूर्ति विभाग ने विशेष घटक योजना के तहत इस गांव के दलित बस्ती के लिए पीने के पानी की योजना बनाने के लिए 15 लाख 17 हजार रुपये का निधी दे दिया. योजना बनाने के लिए सर्वे किया गया, काम की शुरुआत भी हो गई. मगर ये बात ऊंची जाति के लोग सह नहीं पाए. उन्होंने ये काम बंद करवाया.

इसके कारण मंगलवार को पूरी दलित बस्ती पीने के पानी से वंचित है. बस्ती के पास एक मात्र हैण्ड पंप है, जिसका पानी दूषित है. इसके पीते ही बस्ती में बीमारियां फैलाने की आशंका है. मगर दलित अब यही पानी पीने के लिए मजबूर हैं.

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स्थानीय निवासी दीपाली काम्बले ने कहा, 'पिछले 10-11 महीनों से इस पानी योजना का काम गांव के बड़े और ऊंची जाति के लोगों ने बंद करवाया है. हमारे बस्ती के पास जो हैंण्ड पंप है उसका पानी दूषित है. उसे पीने से बच्चे बूढ़े बीमार हो रहे हैं. मगर इन ऊंची जाती के लोगों को हम पर दया भी नहीं आती है. अब अगर यह योजना पूरी नहीं की गई तो हम सब दलित महिलाएं गांव के तालाब में छलांग लगाकर सामुदायिक आत्महत्या करेंगे.' दीपाली की तरह ही गांव के अन्य लोगों का भी यही कहना है कि अब हर हाल में ये योजना पूरी होनी चाहिए.

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