महाराष्ट्र सरकार को अंतरिम राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राज्य में डांस बारों के संचालन और लाइसेंस के नियमन वाले नए कानून के क्रियान्वयन पर रोक से इनकार कर दिया है. हालांकि, इसके कुछ प्रावधानों पर सवाल जरूर उठाए हैं.
सर्वोच्च अदालत ने हालांकि उन तीन डांस बारों को अनुमति दी, जिन्हें राज्य प्रशासन द्वारा समय-समय पर जारी निर्देश और पुराने नियमों के तहत संचालन जारी रखने के लिए लाइसेंस मंजूर किया गया था. जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस सी. नागप्पन की पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र के होटल, रेस्त्रां और बार रूम में अश्लील डांस के रोकथाम और वहां काम कर रही महिलाओं के गरिमा संरक्षण अधिनियम 2016 के कुछ प्रावधानों पर सवाल उठाए.
बेंच ने कहा, 'प्रदर्शन क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे कैसे हो सकते हैं? क्या यह निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है? हमें डांस बारों के प्रवेश पर सीसीटीवी कैमरे लगाने पर आपत्ति नहीं है.' महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नाफडे ने कहा कि डांस बारों के प्रदर्शन क्षेत्र में सीसीटीवी लगाने की अनुमति नहीं देकर पुलिस को उसके जांच के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता.
सुरक्षा बंदोबस्त के लिए सीसीटीवी जरूरी
नाफडे ने कहा, 'ये सुरक्षा बंदोबस्त हैं और सीसीटीवी फुटेज महत्वपूर्ण सबूत है. अगर डांस बारों में कुछ होता है तो यह सीसीटीवी फुटेज जांच में मदद करेंगे. डांस बारों द्वारा नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए, हमें प्रदर्शन क्षेत्रों में सीसीटीवी की जरूरत है.' इंडियन होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण ने कहा कि प्रदर्शन क्षेत्र में सीसीटीवी लगाने का गलत प्रभाव और निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा क्योंकि लोग डांस बारों में आने से बचेंगे.
बेहूदा है शराब नहीं परोसने का नियम
बेंच ने पहली नजर में भूषण की इस बात पर सहमति जताई कि बार के डांस वाले क्षेत्र के बार में शराब नहीं परोसे जाने का नियम बेहूदा है. भूषण ने कहा, 'यह जूस बारों जैसा होगा. वे चाहते हैं कि बार में शराब नहीं परोसी जाए. ऐसा डांस बार कैसा होगा जहां शराब नहीं परोसी जाए? यह जूस बार जैसा होगा जहां डांस बार से अलग होता है.' आईएचआरए ने इस अनिवार्य शर्त से जुड़े एक नियम का भी कड़ा विरोध किया कि बार मालिकों द्वारा डांसरों को नौकरी पर रखा जाए.
नौकरी के लिए नहीं कर सकते मजबूर
भूषण ने कहा, 'राज्य सरकार किसी महिला को नौकरी पर आने के लिए मजबूर कैसे कर सकते हैं? यह उसका फैसला है कि नौकरी पर रहना है या नहीं. उस पर कोई शर्त नहीं थोपी जा सकती.' महाराष्ट्र सरकार ने नए कानून के विभिन्न प्रावधानों पर डांस बार मालिकों की दलीलों का विरोध किया है और याचिकाकर्ताओं के इस मामले में पक्ष होने पर भी सवाल खड़े किए. सरकार ने कहा कि वे अदालत के सामने कंपनियों के रूप में हैं, पीड़ित नागरिकों के रूप में नहीं. हालांकि पीठ ने कहा कि वह बाद के चरण में आपत्तियों पर गौर करेगी.
नाफडे ने प्रदर्शन क्षेत्र में शराब नहीं परोसे जाने के नियम का बचाव किया और कहा कि सरकार के रूप में उसके पास यह कहने का पूरा अधिकार है कि शराब नहीं परोसी जानी चाहिए और वह शराब के नियमन पर शर्तें भी लगा सकती है.