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'मंत्री जी! तब कहां थे जब मेरे बेटे की मौत हुई, आपको 50 किलोमीटर आने में 15 दिन लग गए'

ताजा रिपोर्ट के अनुसार मोखदा इलाके में शुक्रवार को भी दो साल की एक बच्ची की मौत हुई. कुपोषण से होने वाली मौतों को लेकर महाराष्ट्र का रिकॉर्ड बहुत खराब है. खास तौर पर आदिवासी बहुत जोवार मोखदा इलाके में ही बीते एक साल में 600 बच्चों की मौत कुपोषण की वजह से हो चुकी है.

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कुपोषण से मौतों के बाद लोगों में गुस्सा
कुपोषण से मौतों के बाद लोगों में गुस्सा

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मुंबई के पास मोखदा आदिवासी बेल्ट में पिछले 3 महीने में कुपोषण से 10 मौतों की खबर आ चुकी है. इसको लेकर लोगों में कितना गुस्सा है, इसकी बानगी राज्य के एक मंत्री को गुरुवार को मिली. महाराष्ट्र के जनजातीय मंत्री विष्णु सावरा कुपोषण से मरे लोगों के परिवार वालों से मिलने के लिए मोखदा तालुका के खोच गांव गए थे. मंत्री को सामने देखकर एक आदिवासी महिला का गुस्सा फूट पड़ा. इस महिला का साथ गांव के और लोगों ने भी दिया. मंत्री को लोगों ने घरों में पांव तक नहीं रखने दिया. बता दें कि सावरा पालघर जिले के प्रभारी मंत्री (गार्डियन) भी हैं.

दुखद पहलू ये है कि मंत्री जब बात कर रहे थे, तो उनके लहजे में मंत्री होने का दंभ साफ नजर आ रहा था. ऐसा नहीं लग रहा था कि वो उनके आंसू पोछने आए हैं जिनके घरों के चिराग कुपोषण की वजह से बुझ गए. मंत्री यहां तक कहते सुनाई दिए कि क्या यहां आ नहीं सकते हैं? मंत्री को देखकर आदिवासी महिला ने कहा, 'उस वक्त आप कहां थे जब मेरे बेटे की मौत हुई. यहां से मुंबई की दूरी सिर्फ 50 किलोमीटर है और आपको यहां आने में 15 दिन लग गए. मैं आपसे नहीं मिलना चाहती.'

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मंत्री को ये सब सुनाते हुए महिला का वीडियो वायरल हो गया है. वीडियो में मंत्री और लोगों के बीच बहस होते देखी जा सकती है. लोगों के गुस्से के सामने एक नहीं चली, तो उन्होंने उलटे पैर लौटने में ही अपनी भलाई समझी. मंत्री का ये रवैया इसलिए भी हैरान करने वाला था, क्योंकि वो खुद आदिवासी हैं और इसी समुदाय के लिए सुरक्षित सीट से नुमाइंदगी करते हैं. मंत्री का ये रवैया इसके बावजूद था कि महाराष्ट्र के गवर्नर विद्यासागर राव ने कुपोषण से हो रही मौतों को बहुत गंभीरता से लिया है. गवर्नर ने साथ ही महाराष्ट्र सरकार को इस दिशा में तत्काल कारगर कदम उठाने के निर्देश दे रखे हैं.

ताजा रिपोर्ट के अनुसार मोखदा इलाके में शुक्रवार को भी दो साल की एक बच्ची की मौत हुई. कुपोषण से होने वाली मौतों को लेकर महाराष्ट्र का रिकॉर्ड बहुत खराब है. खास तौर पर आदिवासी बहुत जोवार मोखदा इलाके में ही बीते एक साल में 600 बच्चों की मौत कुपोषण की वजह से हो चुकी है.

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