दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की याचिका स्वीकार करते हुए निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें जारी कारण बताओ नोटिस रद्द कर दिया. निर्वाचन आयोग ने चव्हाण को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि एक पेड न्यूज के मामले में उन्हें अयोग्य क्यों नहीं घोषित किया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने निर्वाचन आयोग द्वारा 13 जुलाई को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को रद्द कर दिया.
इससे पहले न्यायालय ने निर्वाचन आयोग के नोटिस को पांच नवंबर तक निलंबित कर दिया था.
निर्वाचन आयोग ने वर्तमान में नांदेड़ से लोकसभा सदस्य चव्हाण को 2009 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बतौर प्रत्याशी सीमा से अधिक खर्च करने और पेड न्यूज की जानकारी नहीं देने के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया था.
चव्हाण ने याचिका में कहा है कि उन्होंने चुनावी खर्च 6.85 लाख रुपये होने का एकदम सही ब्यौरा दिया है. उन्होंने आयोग के नोटिस को रद्द करने की मांग की थी.
उन्होंने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग ने अपने निष्कर्ष देने से पहले लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया.
चव्हाण ने कहा कि जिन खर्चों के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने इसकी जानकारी नहीं दी थी, वे उन विज्ञापनों के बारे में हैं जो अक्टूबर 2009 में प्रकाशित हुए थे. विज्ञापन यूपीए सरकार के सदस्यों के बीच होने वाली एक बैठक से संबंधित थे.
चव्हाण के प्रतिद्वंद्वी, निर्दलीय उम्मीदवार माधवराव किन्हलकर ने निर्वाचन आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी कि चव्हाण ने एक शीर्ष मराठी दैनिक में प्रकाशित 'अशोक पर्व' शीर्षक वाले एक पेड समाचार के खर्चे छिपाए हैं.
लेकिन चव्हाण की याचिका में कहा गया है कि उन्हें जानकारी नहीं है कि यह विज्ञापन किसने जारी कराया था. यहां तक कि प्रकाशकों ने भी निर्वाचन आयोग को दिए गए एक हलफनामे में बताया है कि चव्हाण को इसकी जानकारी नहीं थी.