महाराष्ट्र की 34 दिन पुरानी बीजेपी सरकार का शुक्रवार को पहला विस्तार होगा. सरकार में शामिल हो रही शिवसेना के 10 मंत्रियों के अलावा बीजेपी के भी 10 मंत्री आज विधान परिसर में शपथ लेंगे.
शिवसेना कोटे से एकनाथ शिंदे, रामदास कदम और सुभाष देसाई, दिवाकर रावते और दीपक सावंत कैबिनेट मंत्री पद की शपथ लेंगे. इसके अलावा पार्टी के पांच विधायक राज्य मंत्री भी बनाए जाएंगे. इनमें रवींद्र वाइकर, संजय राठौड़, विजय शिवतरे, दीपक केसाकर और राजेश क्षीरसागर शामिल हैं. गौरतलब है कि फड़नवीस सरकार में शिवसेना उपमुख्यमंत्री का पद भी चाहती थी, लेकिन उसकी यह मांग पूरी नहीं हुई. BJP की शर्तों पर शामिल होगी शिवसेना
इससे पहले साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और शिवसेना के सुभाष देसाई ने सुलह का ऐलान किया. दोनों ने शिवसेना के बीजेपी सरकार में शामिल होने की घोषणा की.. इस दौरान मुख्यमंत्री फड़नवीस ने कहा कि 25 साल से हम साथ हैं और दोनों पार्टियों का गठबंधन विचारधारा पर आधारित रहा है. हम साथ में लोकसभा चुनाव लड़े. विधानसभा चुनाव हम अलग-अलग लड़े पर दोनों ही पार्टियों को कांग्रेस और एनसीपी से ज्यादा वोट मिले.
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की जनता चाहती है कि बीजेपी और शिवसेना साथ आएं. उन्होंने बताया कि एक नई कमेटी बनाई जाएगी जो आगामी बीएमसी चुनाव में सीटों के बंटवारे पर फैसला करेगी.
हालांकि सूत्रों ने बताया कि उद्धव की पार्टी केंद्र में एक कैबिनेट और एक राज्यमंत्री का पद और चाहती है. फिलहाल केंद्र सरकार में भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते शिवसेना का एकमात्र चेहरा हैं.
शिवसेना की केंद्र में अतिरिक्त मंत्री पद की मांग को महाराष्ट्र में मनचाहे पद न मिलने की भरपाई की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. बीते 31 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले फड़नवीस मंत्रिमंडल में 8 कैबिनेट और दो राज्य मंत्री हैं. बहरहाल, शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता ने गुरुवार को कहा कि पार्टी अनंत गीते के अलावा मोदी मंत्रिमंडल में एक और मंत्री को शामिल करने पर जोर देगी. नेता ने कहा, केंद्र में हमारा दावा कायम है. हम उम्मीद करते हैं कि कुछ होगा.
अब कौन है श्राद्ध का कौवा?
याद रहे कि महाराष्ट्र चुनाव से पहले बीजेपी और शिवसेना का पुराना गठबंधन टूट गया था. चुनाव प्रचार के दौरान शिवसेना ने बीजेपी के लिए 'श्राद्ध के कौवे' जैसे तल्ख शब्दों का इस्तेमाल किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनाव प्रचार के दौरान शिवसेना को 'हफ्तावसूली पार्टी' और एनसीपी को 'नैचुरली करप्ट पार्टी' कहा था. लेकिन सदन में फड़नवीस सरकार ने एनसीपी के समर्थन से 'विवादित' विश्वास मत हासिल कर लिया. इस विश्वास मत को शिवसेना ने 'फर्जी' बताया था और राज्यपाल की गाड़ी के आगे खूब हंगामा भी किया था. लेकिन दोनों पार्टियों के बीच कुछ 'उच्चस्तरीय' बैठकों के बाद बीजेपी और शिवसेना के बीच सब कुछ ठीक बताया जा रहा है. यह संभवत: पहली बार है कि किसी राज्य का प्रमुख विपक्षी दल सीधे-सीधे सरकार में शामिल होने जा रहा है.
शिवसेना को गृह, आवास, राजस्व और ऊर्जा जैसे बड़े विभाग नहीं मिलेंगे. इनकी जगह उसे जल संरक्षण, उद्योग और पीडब्ल्यूडी जैसे विभाग दिए जा सकते हैं. शिवसेना गृह विभाग चाहती थी, लेकिन उसे गृह राज्य मंत्री का पद मिल सकता है.