डोनाल्ड ट्रंप का नाम अमेरिकी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार होने की वजह से दुनिया भर में सुर्खियों में हैं. लेकिन भारत के पुणे में किसी और वजह से उनका नाम लिया जा रहा है. पुणे में ट्रंप के नाम से बनी दो गगनचुंबी इमारतों को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं. ट्रंप टॉवर्स के नाम से पुणे में 23-23 मंजिला ये दो इमारतें बनी हैं.
आरटीआई कार्यकर्ता रविंद्र बर्हाटे ने आरोप लगाया है कि ये इमारतें जिस ढाई एकड़ जमीन पर बनी हैं वो सरकारी है. बर्हाटे के आरोप के मुताबिक फर्जी दस्तावेज के जरिए बिल्डर ने इस जमीन को अपने नाम कर लिया.
ट्रंप टॉवर्स के लिए ट्रंप ने किससे मिलाया हाथ?
डोनाल्ड ट्रंप के संगठन ट्रंप ऑर्गनाइजेशन ने पुणे में ट्रंप टावर्स बनाने के लिए चोरडिया ब्रदर्स के पंचशील ग्रुप के साथ हाथ मिलाया. पंचशील ग्रुप की कंस्ट्रक्शन कंपनी प्रेमसागर होटल्स प्राइवेट लिमिटेड के जरिए ट्रंप ऑर्गनाइजेशन के साथ करारनामा किया गया. ट्रंप टॉवर्स का निर्माण वर्ल्ड क्लास स्टैंडर्ड्स के मुताबिक किया गया.
ट्रंप टॉवर्स को पुणे की सबसे आलीशान और मंहगी इमारतों में गिना जाता है. बता दें कि ट्रंप दो साल पहले खुद इन टॉवर्स के सैंपल फ्लैट के लिए पुणे आए थे. ट्रंप टॉवर्स की दोनों टावर्स में आधुनिक सभी सुविधाओं से लैस 23-23 फ्लैट हैं. 'जस्ट वॉक इन' वाले कांसेप्ट पर बने ट्रंप टॉवर्स में बॉलीवुड के स्टार्स और बड़े उद्योगपतियों समेत कई हस्तियों ने फ्लैट खरीदे हैं. 2016 में ही ट्रंप टॉवर्स का निर्माण पूरा हुआ.
क्या हैं आरोप, किसने लगाए आरोप?
RTI कार्यकर्ता रविन्द्र बर्हाटे के मुताबिक पुणे के कल्याणी नगर में जहां ट्रंप टॉवर्स है, वो कुल 5 लाख 20 हजार वर्ग फीट ज़मीन से जुड़ा मामला है. बर्हाटे के मुताबिक 1991 में पुणे के ज़िलाधिकारी ने अर्बन लैंड सीलिंग (ULC) कानून के तहत इस ज़मीन में से सिर्फ 20 हजार वर्ग फीट जमीन असली मालिक सरोज गांधी के नाम रखने का आदेश किया था. जिलाधिकारी ने बाकी बची पांच लाख वर्ग फीट जमीन सरकार के नाम करने के आदेश दिए थे.
गरीबों के लिए घर बनाने का था वादा
बर्हाटे का कहना है कि 1994 में बिल्डर सुरेंद्र संस ने जमीन का कब्जा सरोज गांधी से करारनामा कर पॉवर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर ले लिया. बर्हाटे का आरोप है कि पुणे नगर निगम में फर्जी अर्बन लैंड सीलिंग (यूएलसी) ऑर्डर लगाया गया. साथ ही ये वादा किया गया कि जमीन पर गरीब लोगों के लिए घर बनाए जाएंगे. बर्हाटे का आरोप है कि बिल्डिंग लेआउट के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नाम से फर्जी स्टाम्प की रसीद तैयार की गई.
बर्हाटे का कहना है कि जमीन के तीन प्लॉट किए गए, उसमें से एक प्लाट पर लैंडमार्क गार्डन के नाम से आलीशान रिहाइशी सोसाइटी निर्माण कर बेच डाली गई. दूसरे प्लाट पर अब ट्रंप टावर्स खड़ी है. वहीं तीसरे प्लाट पर बिशप स्कूल की इमारत है.
तैयार किया गया फर्जी दस्तावेज!
साल 2003 में पंचशील ग्रुप ने सुरेंद्र संस बिल्डर से दो नंबर का प्लॉट खरीद लिया. बर्हाटे का आरोप है कि बाजार भाव काफी ज्यादा होने के बावजूद सिर्फ 2 करोड़ 30 लाख रुपए में पंचशील ग्रुप ने ये ज़मीन खरीदी. बर्हाटे का ये भी आरोप है कि सुरेंद्र संस, चोरडिया ब्रदर्स और सरकारी अधिकारियों ने मिली भगत करके फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमीन को फ्रीहोल्ड दिखाया.
पंचशील ग्रुप ने आरोपों को बताया निराधार
रविंद्र बर्हाटे के आरोपों को लेकर 'आज तक' ने पंचशील ग्रुप के अतुल चोरडिया से संपर्क किया गया तो उन्होंने ईमेल के जरिए जवाब भेजा. अतुल चोरडिया ने बर्हाटे के आरोपों को निराधार बताया है. अतुल चोरडिया का कहना है कि जमीन को लेकर कोई अनियमितता नहीं बरती गई. सभी कुछ वैधानिक तरीके से हुआ. इसके लिए सभी आवश्यक अनुमतियां ली गईं.
अतुल चोरडिया के जवाब के बाद भी बर्हाटे अपने आरोपों पर टिके हैं. बर्हाटे का कहना है कि अतुल चोरडिया और पंचशील ग्रुप ऐसे बयान देकर लोगों और मीडिया को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं.
क्या है डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट का कहना?
'आजतक' ने इस मामले में राज्य सरकार की तफ्तीश के बारे में जानने के लिए पुणे के ज़िला मजिस्ट्रेट सौरभ राव से संपर्क किया. सौरभ राव का कहना है कि ये मामला बहुत पेचीदा है. तफ्तीश पूरी होने के बाद ही पता चल पाएगा कि जमीन किसकी है? या इसकी खरीद-फरोख्त में गैर कानूनी तरीके अपनाए गए या नहीं?
जिला मजिस्ट्रेट ने ये ज़रूर कहा कि जो शिकायत प्राप्त हुई हैं उसमें काफी जटिलताएं हैं. पुराने दस्तावेज है. इन्हें रिकॉर्ड रूम से चेक कराया जा रहा है. बहरहाल ट्रंप टावर्स की जमीन से जुड़े सच की तफ्तीश में राज्य सरकार के 74 अधिकारी जुटे हुए हैं.
इतना तय है कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव संपन्न होने तक ट्रंप का नाम सुर्खियों में रहेगा. वहीं भारत के पुणे में ट्रंप टावर्स की तफ्तीश की वजह से भी ट्रंप का नाम चर्चा में बना रहेगा.