
पुणे में ब्रेन डेड मरीज के फेफड़े चेन्नई के अस्पताल में भर्ती 26 साल के युवक को ट्रांसप्लांट किए जाने थे. डॉक्टरों की एक टीम फेफड़े लेकर एंबुलेंस में सवार होकर एयरपोर्ट के लिए रवाना हुई थी. मगर, रास्ते में एंबुलेंस का टायर फटने से दुर्घटनाग्रस्त हो गया. वाहन में सवार डॉक्टरों की टीम घायल हो गई, लेकिन घायल डॉक्टरों ने अपनी चिंता ना करते हुए घायल अवस्था में भी फ्लाइट पकड़ी और चेन्नई पहुंचकर युवक का ऑपरेशन किया.
दरअसल, नवी मुंबई के एक अस्पताल में कार्यरत डॉ. संजीव जाधव ने यह बात साबित की है कि किसी चिकित्सक के लिए मरीज की जान बचाना कितना महत्वपूर्ण है. डॉ. संजीव जाधव ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए चेन्नई में जिंदगी के लिए जूझ रहे 26 साल के युवक की जान बचाई है.
डॉ. जाधव अपनी डॉक्टर की टीम के साथ पिंपरी के डॉ. डीवाई पाटिल अस्पताल से 19 साल ब्रेन डेड मरीज के फेफड़े पुनर्प्राप्ति ऑपरेशन के लिए पुणे में थे. जहां से उनको यह फेफड़े लेकर चेन्नई पहुंचना था. यहां पर 26 साल के युवक का जान बचानी थी. चेन्नई के अस्पताल में यह युवक पिछले 70 दिन से ईसीएमओ प्रणाली के सहारे जिंदा था.
एंबुलेंस हुई दुर्घटनाग्रस्त, डॉक्टर सहित पूरी हुई घायल
पुणे से एयरपोर्ट की तरफ जाते समय डॉ. जाधव की एंबुलेंस दुर्घटनाग्रस्त हो गई. पुनर के दापोडी में हैरिस ब्रिज पर सोमवार शाम को उनकी एंबुलेंस का टायर फटने से यह दुर्घटना हुई. एंबुलेंस में सवार डॉ. जाधव और उनकी टीम को काफी चोट आई. मगर, चेन्नई के मरीज की जिंदगी बचाने के लिए घायल डॉ. जाधव पुणे से प्राइवेट टैक्सी के जरिए एयरपोर्ट पहुंचे. फ्लाइट के जरिए चेन्नई आए. इसके बाद उन्होंने वहां के अस्पताल में पहुंच कर भर्ती युवक का ऑर्गन ट्रास्पलांत किया और उस युवक को नई जिंदगी दी.
हम समय खराब नहीं कर सकते थे, चोटिल हालत में ही चेन्नई पहुंचे: डॉ. जाधव
पूरे घटनाक्रम पर डॉ. संजीव जाधव का कहना है कि ब्रेन डेड रोगी के फेफड़े चेन्नई के मरीज को ट्रांसप्लांट किए गए हैं. शरीर के फेफड़े निकाले जाने के बाद के बाद केवल 6-8 घंटे तक ही क्रियाशील रहता है. रास्ते में हमार एंबुलेंस का एक्सीडेंट हुआ. हम लोगों को चोट भी आई थी. मगर, हम लोग समय खराब नहीं कर सकते थे. मुझे और मेरी टीम के लोगों को लगी चोट का इलाज किए बिना ही फ्लाइट से चेन्नई पहुंचे और ऑपरेशन के अंजाम दिया. इस तरह से उस युवक को नई जिंदगी मिली है.