फ्रांस में चार दिन से फंसी 'डंकी फ्लाइट' भारत में लैंड कर गई है. पेरिस में इस फ्लाइट को मानव तस्करी के आरोप में रोका गया था. जब यह विमान मंगलवार सुबह मुंबई में उतरा तो उसमें 276 पैसेंजर सवार थे. इनमें से ज्यादातर भारतीय नागरिक हैं. इस फ्लाइट में 303 पैसेंजर सफर कर रहे थे. फ्रांस के अधिकारियों का कहना है कि दो नाबालिगों समेत 25 लोगों ने शरण लेने की इच्छा जताई थी, इसलिए वे लोग फ्रांस में ही हैं. दो नाबालिगों को जज के सामने पेश किया गया और उन्हें गवाह बनाकर रिहा कर दिया गया. फ्लाइट में सवार पैसेंजर के लिए 100 घंटे बेहद उथल-पुथल भरे रहे हैं. सरकार से लेकर तमाम एजेंसियां एक्टिव हुईं और किसी तरह पैसेंजर की वतन वापसी हो सकी है.
दरअसल, गुरुवार को रोमानिया स्थित लीजेंड एयरलाइंस का विमान दुबई से निकारागुआ जा रहा था. इस फ्लाइट में कुल 303 भारतीय नागरिक सफर कर रहे थे. इनमें करीब 11 नाबालिग भी शामिल थे. जब यह फ्लाइट फ्यूल भरवाने के लिए फ्रांस की राजधानी पैरिस से 150 किमी दूर छोटे से एयरपोर्ट वैट्री पर लैंड हुई तो वहां इसे रोक दिया गया. फ्रांस के अधिकारियों ने यात्रा की स्थितियों और उद्देश्य की न्यायिक जांच शुरू कर दी. इसमें संगठित अपराध में विशेषज्ञता रखने वाली एक टीम को संदिग्ध मानव तस्करी की जांच करने के निर्देश दे दिए गए. इस मामले को आव्रजन कानूनों के उल्लंघन के दायरे में भी रखा गया.
'पैसेंजर और क्रू मेंबर्स को पूछताछ के बाद जाने दिया'
करीब 100 घंटे की जांच और पैसेंजर से पूछताछ के बाद फ्रांस के अधिकारियों ने विमान को रवाना करने के लिए हरी झंडी दे दी. यानी गुरुवार से रविवार तक चार दिन यह फ्लाइट फ्रांस में खड़ी रही. घटना के बाद एयरलाइंस की वकील लिलियाना बकायोको ने कहा था कि एयरबस A340 के चालक दल के सभी सदस्यों को पूछताछ के बाद उन्हें जाने की अनुमति दे दी गई. उन्होंने इससे पहले कहा था कि अगर अभियोजकों ने एयरलाइंस के खिलाफ आरोप दायर किए तो वह भी मुकदमा दायर करेंगे.
'दूतावास ने एजेंसियों का जताया धन्यवाद'
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि विमान की वापसी में इसलिए देरी हुई, क्योंकि कुछ यात्री अपने मूल देश में वापस नहीं लौटना चाहते थे. फ्रांस में भारतीय दूतावास ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, भारतीय यात्रियों को घर लौटने और स्थिति के त्वरित समाधान के लिए फ्रांसीसी सरकार और वैट्री हवाई अड्डे को धन्यवाद. दूतावास की टीम के साथ मिलकर काम करने के लिए और सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए साइट पर मौजूद भारत की एजेंसियों को भी धन्यवाद.
'पैसेंजर्स से हर्जाना वसूलेगी एयरलाइंस कंपनी'
एयरलाइन की वकील लिलियाना बकायोको के अनुसार, कुछ यात्रियों ने सोमवार सुबह विमान में चढ़ने से इनकार कर दिया था. फ्रांसीसी समाचार प्रसारण टेलीविजन और रेडियो नेटवर्क ने बताया, कुछ यात्री इस वापसी से नाखुश हैं, क्योंकि वे निकारागुआ की अपनी यात्रा जारी रखना चाहते थे. चैनल ने एयरलाइन के वकील के हवाले से कहा, हमें बहुत राहत मिली है. हम बेसब्री से इसका इंतजार कर रहे थे. वकील ने कहा कि कंपनी 'जांचकर्ताओं के लिए उपलब्ध' बनी रहेगी. अपने ग्राहक से हर्जाना मांगेगी, क्योंकि उसे काफी नुकसान हुआ है.
'हिंदी और तमिल भाषा बोल रहे थे पैसेंजर'
इससे पहले रविवार को एयरपोर्ट को अस्थायी अदालत कक्ष में बदल दिया गया. चार फ्रांसीसी न्यायाधीशों ने हिरासत में लिए गए यात्रियों से पूछताछ की. ये सुनवाई मानव तस्करी के संदेह में शुरू की गई जांच के हिस्से के रूप में थी. फ्रांसीसी मीडिया के अनुसार, कुछ यात्री हिंदी और कुछ तमिल बोलने वाले थे. यात्रियों में एक 21 महीने का बच्चा और 11 नाबालिग शामिल थे. विमान के दो यात्रियों की पुलिस हिरासत की शर्तें सोमवार को हटा ली गईं. दोनों पैसेंजर को अवैध आव्रजन गिरोह में भूमिका निभाने के संदेह में शुक्रवार को हिरासत में लिया गया था. उनकी हिरासत शनिवार को 48 घंटे तक के लिए बढ़ा दी गई.
'किसी ने मानव तस्करी की सूचना कर दी'
एयरलाइन की वकील ने तस्करी में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है. बकायोको ने कहा, विमान को किराए पर लेने वाली एक 'साझेदार' कंपनी प्रत्येक यात्री के पहचान दस्तावेजों को सत्यापित करती है. उड़ान से 48 घंटे पहले यात्रियों की पासपोर्ट जानकारी एयरलाइन को बताई जाती है. बताते चलें कि फ्रांस में मानव तस्करी के लिए 20 साल तक की सजा का प्रावधान है. रिपोर्टों के मुताबिक, भारतीय यात्रियों ने मध्य अमेरिका जाने के लिए यात्रा का प्लान तैयार किया होगा. वहां से वे अवैध रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका या कनाडा में पहुंचने का प्रयास कर सकते थे. लेकिन, इस बीच किसी ने 'मानव तस्करी' की सूचना देकर एजेंसियों को सतर्क कर दिया.
डंकी फ्लाइट क्यों कहा जा रहा है...
हाल ही में शाहरुख खान की फिल्म 'डंकी' आई है. ये फिल्म इमिग्रेशन मसले पर है. इसमें जब कोई व्यक्ति लीगल तरीके से किसी दूसरे देश में नहीं जा पाता है तो वो अवैध तरीके आजमाता है, ताकि अपने मन-पसंद देश में एंट्री पा सके. इंडिया में भी यह काफी पॉपुलर है. कई युवा इस प्रोसेस की मदद से कनाडा और यूएस माइग्रेट कर जाते हैं. वहीं, अमेरिका में शरण मांगने वालों के लिए निकारागुआ एक चर्चित जगह बन गई है. अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा गश्ती (सीबीपी) के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में 96,917 भारतीयों ने अवैध रूप से अमेरिका में एंट्री करने की कोशिश की, यह पिछले वर्ष की तुलना में 51.61% ज्यादा वृद्धि है. निकारागुआ या अन्य देशों के लिए फ्लाइट जहां यात्रा दस्तावेज प्राप्त करना आसान है, उन्हें 'डंकी' फ्लाइट के रूप में जाना जाता है.