कांग्रेस की मुश्किलें फिलहाल थमती नहीं दिख रही. नेशनल कॉन्फ्रेंस के बाद अब एनसीपी से अलगाव का खतरा पैदा हो गया है. एनसीपी ने कांग्रेस को दो टूक कह दिया है कि उसे महाराष्ट्र में विधानसभा की आधी सीटें नहीं मिली, तो वो अकेले चुनाव लड़ेगी. पार्टी के नाराज कद्दावर नेता नारायण राणे के मंत्री पद से इस्तीफे से कांग्रेस अभी उबरी भी नहीं है कि एक और परेशानी उसके सामने खड़ी हो गई है.
महाराष्ट्र एनसीपी के अध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा है कि अगर कांग्रेस ने उन्हें 144 सीटें नहीं दीं, तो एनसीपी सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी. एनसीपी को इन सीटों पर जीत की उम्मीद है.
दरअसल एनसीपी नेता अपने सुप्रीमो शरद पवार का मिजाज भांपकर कांग्रेस को ये तेवर दिखा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्रा की नियुक्ति को लेकर लोकसभा में ट्राई एक्ट संशोधन बिल का समर्थन कर शरद पवार ने सबको चौंका दिया था. महंगाई के मुद्दे पर भी जब कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट किया, तो भी उसे एनसीपी का साथ नहीं मिला.
क्या चाहती है एनसीपी?
एनसीपी दबाव बनाकर महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से 144 सीटें चाहती है. 2009 में कांग्रेस 170 सीटों पर लड़ी थी, जिसमें से उसे 82 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि एनसीपी को उसने 113 सीटें दी थी, जिसमें से 62 पर उसके विधायक जीते थे. एनसीपी इस बार 50-50 का फॉर्मूला चाहती है. दलील ये है कि लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में उसके सांसद कांग्रेस से ज्यादा हैं. महाराष्ट्र में एनसीपी ने 4 लोकसभा सीटें जीतीं हैं, जबकि कांग्रेस के हिस्से में केवल दो ही सीट आई है.