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'हिंदुत्व' को बदनाम करने की कोशिशों पर शिवसेना ने जताया कड़ा ऐतराज

शिवसेना का कहना है कि गोविंद पानसरे हत्या मामले में जारी जांच हिंदुत्व को बदनाम करने का संदर्भ नहीं बनना चाहिए. शिवसेना का मानना है कि इस मामले में जांच के दायरे में चल रहे संगठन सनातन संस्था पर लगे आरोप ‘उपहास योग्य’ हैं.

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शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)

शिवसेना का कहना है कि गोविंद पानसरे हत्या मामले में जारी जांच हिंदुत्व को बदनाम करने का संदर्भ नहीं बनना चाहिए. शिवसेना का मानना है कि इस मामले में जांच के दायरे में चल रहे संगठन सनातन संस्था पर लगे आरोप ‘उपहास योग्य’ हैं.

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शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा है, ‘समीर गायकवाड़ संस्था से जुड़े रहे हैं और इसकी धार्मिक गतिविधियों में भी शामिल रहे हैं और बिना जांच किए ही लोग मांग कर रहे हैं कि उन्हें इस अपराध के लिए फांसी पर लटका दिया जाए. यह सब उपहास योग्य है और इसने उन लोगों का भंडाफोड़ कर दिया है जो खुद को प्रगतिशील बताते हैं.’ ‘संस्था के एक व्यक्ति को इस संदेह पर गिरफ्तार किया गया और यह सोचकर जांच की गई कि संगठन ही पानसरे की हत्या के लिए जिम्मेदार है. इस तरह का वातावरण पैदा करने से पानसरे और दाभोलकर के वास्तविक हत्यारों को बख्शा जा रहा है. जांच अवश्य होनी चाहिए और सच्चाई सामने आनी चाहिए लेकिन हिंदुत्व को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए.’

शिवसेना ने यह भी कहा कि भले ही वह पानसरे के विचारों से सहमति नहीं रखती है लेकिन उनकी हत्या निंदनीय है. शिवसेना के संपादकीय के मुताबिक ‘भले ही हम पानसरे के विचारों से सहमत नहीं हैं लेकिन हम उनकी हत्या की कड़ी निंदा करते हैं. न केवल पानसरे बल्कि किसी भी बुजुर्ग की हत्या अमानवीय है और कायरता है.’

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दक्षिणपंथी संगठन पर प्रतिबंध की मांग करने वाली कांग्रेस पर प्रहार करते हुए शिवसेना ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा सुभाष चंद्र बोस से संबंधित दस्तावेजों को सार्वजनिक किए जाने के बाद ‘यह साबित हो गया है कि नेताजी की मौत के कारणों का खुलासा नहीं करने में कांग्रेस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.’ उन्होंने यह जानना चाहा कि क्या इसके लिए पार्टी को प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए.

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