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महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला केस में ED का एक्शन, 4 बैंक अधिकारियों को जारी किया नोटिस

चीनी मिलों को दिए गए फर्जी कर्ज और फिर चीनी मिलों की नीलामी के संबंध में इन बैंकों के पदाधिकारियों को तलब किया गया है. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार (Deputy Chief Minister Ajit Pawar) पुणे जिला सहकारी बैंक के डायरेक्टर भी थे और बैंक ने पवार के एक रिश्तेदार द्वारा चलाई जा रही जरंदेश्वर चीनी मिलों को लोन दिया था. 

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प्रवर्तन निदेशालय (ED)
प्रवर्तन निदेशालय (ED)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला मामला
  • चार बैंकों के अधिकारी ईडी जांच के घेरे में

Maharashtra Co-Operative Bank: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक (MSCB) घोटाले में चार सहकारी बैंकों के पदाधिकारियों को नोटिस जारी किया है. जिन सहकारी बैंकों को नोटिस जारी किया गया है, उनमें सतारा जिला सहकारी बैंक, पुणे जिला सहकारी बैंक, सिंधुदुर्ग जिला सहकारी बैंक और रत्नागिरी जिला सहकारी बैंक का नाम शामिल है. 

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सूत्रों ने बताया कि चीनी मिलों को दिए गए फर्जी कर्ज और फिर चीनी मिलों की नीलामी के संबंध में इन बैंकों के पदाधिकारियों को तलब किया गया है. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Deputy Chief Minister Ajit Pawar) पुणे जिला सहकारी बैंक के डायरेक्टर भी थे और बैंक ने पवार के एक रिश्तेदार द्वारा चलाई जा रही जरंदेश्वर चीनी मिलों को लोन दिया था. 

गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 1 जुलाई को महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला मामले में जरंदेश्वर चीनी मिल को कुर्क किया, जिसकी जांच एजेंसी द्वारा की जा रही थी. बताया जा रहा है कि ये मिल कथित तौर पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के एक रिश्तेदार द्वारा चलाई जा रही थी.  

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सूत्रों के अनुसार, चार याचिकाकर्ताओं द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर किए जाने के बाद महाराष्ट्र राज्य सहकारी घोटाला सामने आया. याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि विभिन्न चीनी मिलों ने करोड़ों का कर्ज नहीं चुकाया, जिसके बाद बैंकों ने मिलों को कुर्क कर उनकी नीलामी कर दी. नीलामी प्रक्रिया में मिलों को विभिन्न पदाधिकारियों को बेचा गया, जिसमें कुछ शीर्ष राजनेता भी शामिल थे.

अजित पवार बैंकों के डायरेक्टरों में से एक थे और उन्होंने नीलामी में कुछ मिलें खरीदी थीं. बॉम्बे हाईकोर्ट ने तब एक प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया, जिसकी जांच मुंबई आर्थिक अपराध विंग (EOW) द्वारा की जा रही थी. 
 
सूत्रों ने कहा कि एजेंसी द्वारा PMLA के तहत की गई जांच से पता चला है कि महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक ने वर्ष 2010 में जरंदेश्वर SSK की नीलामी कम कीमत पर और उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना की थी. अजित पवार उस समय में स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक के निदेशक मंडल के प्रमुख और प्रभावशाली सदस्यों में से एक थे. 

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