scorecardresearch
 

डिप्टी सीएम बन असहज थे देवेंद्र फडणवीस, CM एकनाथ शिंदे ने बताया- कैसे बनी बात

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने राजनीतिक जीवन के सबसे बड़े फैसले शिवसेना से बगावत को लेकर खुलकर बात की है. शिवसेना पर कब्जे को लेकर जारी जंग के बीच सीएम शिंदे ने अपने फैसले का बचाव किया है और ये भी बताया है कि देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बनने को लेकर असहज थे तो फिर किस तरह से बात बनी...

Advertisement
X
सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस
सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस

महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन हुए दो महीने के करीब हो चुके हैं. मंत्रिमंडल विस्तार भी हो चुका है और शिवसेना पर कब्जे को लेकर भी लड़ाई तेज हो गई है. इस बीच मुख्यमंत्री एनकनाथ शिंदे ने एक बार फिर अपने राजनीतिक जीवन के सबसे बड़े फैसले यानी शिवसेना से बगावत का बचाव किया है. शिंदे की ओर से ये साफ कह दिया गया है कि जो फैसला उन्हें ढाई साल पहले ले लेना चाहिए था, वो उन्होंने काफी बाद में लिया. शिंदे ने ये भी साफ कर दिया कि महाराष्ट्र की जनता की तरफ से बीजेपी-शिवसेना के गठबंधन को वोट मिला था, लिहाजा जनादेश का सम्मान होना जरूरी था.

Advertisement

डिप्टी सीएम बन खुश नहीं फडणवीस?

वैसे महाराष्ट्र की इस सियासत में एक बड़ा नाटकीय मोड़ ये भी रहा कि एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन गए और देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम का पद दिया गया. पहले तो फडणवीस सरकार में ही शामिल नहीं होना चाहते थे, लेकिन फिर बाद में उन्होंने डिप्टी का पद स्वीकार कर लिया. अब उस पूरे घटनाक्रम पर एकनाथ शिंदे ने बात की है. उनका कहना है कि मैं खुद पहले हैरान रह गया था कि फडणवीस को डिप्टी का पद दिया जा रहा है. मतलब जिस शख्स ने सीएम की कुर्सी संभाली हो, उसे डिप्टी कैसे. जब फडणवीस ने सीएम के लिए मेरे नाम की घोषणा की, वे खुश नजर आ रहे थे. लेकिन जब पार्टी ने उन्हें डिप्टी बनने के लिए कह दिया, वे शुरुआत में कुछ असहज दिखाई दिए. तब मैंने उनसे इस असहजता को लेकर बात की थी. उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि पार्टी का ऊपर से निर्देश है, उसे स्वीकार करना पड़ेगा.

Advertisement

महा विकास अघाडी में सम्मान नहीं- शिंदे

फडणवीस के अलावा महा विकास अघाडी की सरकार पर भी सीएम शिंदे ने विस्तार से बात की. उनके मुताबिक शुरुआत से ही उस सरकार में शिवसेना विधायकों को सम्मान नहीं दिया जा रहा था. वे कहते हैं कि उस सरकार के माध्यम से कुछ भी सही नहीं हो रहा था. हमारे विधायकों को काम करने के लिए फंड भी नहीं मिलते थे. कहने को हमारी पार्टी के सीएम थे, लेकिन फिर भी कोई सम्मान नहीं मिलता था. मैंने तो उद्धव ठाकरे को कहा था कि हमे उस पार्टी से हाथ मिलना चाहिए जिससे हमारी विचारधारा मिलती है, लेकिन बात नहीं बन पाई. 

अयोध्या जाने की तैयारी

एकनाथ शिंद ने ये भी साफ कर दिया है कि वे भविष्य में कभी भी कांग्रेस या एनसीपी से हाथ नहीं मिलाने वाले हैं. वे बताते हैं कि बालासाहेब ठाकरे ने भी कहा था कि कांग्रेस से गठबंधन करने की बजाय वे अपनी दुकान बंद करना बेहतर विकल्प मानेंगे. शिंदे की माने तो उन्होंने सिर्फ बालासाहेब के विचारों को आगे बढ़ाने का काम किया है. सीएम ने ये भी कहा कि वे जल्द ही अपने सभी विधायकों को अयोध्या लेकर जाएंगे. उन्होंने ये भी जोर देकर कहा कि वो कोई राजनीतिक दौरा नहीं होगा. वे और उनके विधायक आस्था के कारण दर्शन के लिए अयोध्या जाएंगे.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement