scorecardresearch
 

महाराष्‍ट्र: चुनाव ड्यूटी के दौरान हुई कर्मचारी की मौत, बेटी से कराया काम

चुनाव ड्यूटी के दौरान हुई टीचर अनंत साल्‍वे की मौत को सात दिन बीत गए लेकिन अब तक चुनाव आयोग ने दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की है.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

चुनाव ड्यूटी के दौरान हुई टीचर अनंत साल्‍वे की मौत को सात दिन बीत गए लेकिन अब तक चुनाव आयोग ने दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की है. साल्‍वे की जगह उनकी 16 साल की बेटी ज्‍योति से 24 अप्रैल को काम करवाया गया. इस घटना की जांच भी शुरू हो गई है. कलेक्टर ऑफिस की ओर से एक टीम साल्‍वे के घर जांच के सिलसिले में पहुंची. अब तक की जांच में संजय गायकवाड नाम के चुनाव अधिकारी का नाम सामने आ रहा है जिसने ज्योति को काम पर लगाया था.

Advertisement

अनंत साल्‍वे उल्हासनगर के स्कूल में टीचर थे और 24 अप्रैल को चुनाव ड्यूटी कर रहे थे. जब उनकी तबीयत खराब हुई तो साल्‍वे को अस्पताल में भर्ती करने के बाद उनकी बेटी से चुनाव अधिकारियों ने पूरा दिन काम करवाया. घर आने पर ज्योति को पता चला कि उसके पिता की मौत हो गई है. इस पूरे मामले की जांच के लिए बनी टीम ने साल्‍वे के परिवारवालों के बयान दर्ज किए हैं.

जांच अधिकारी संतोष देहरकर के मुताबिक अनंत साल्‍वे चुनाव ड्यूटी के लिए डीएलओ बनाए गए थे. उनकी तबियत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया. तब उनकी पत्‍नी और लड़की अधिकारी से मिलने गए कि साल्‍वे को छुट्टी दे दी जाए. लेकिन अधिकारी ने उन्हें बताया कि छुट्टी नहीं मिल सकती और उनकी जगह उनकी लड़की को ड्यूटी पर आना होगा. नाबालिक लड़की को काम करने के आदेश किसने और क्यों दिए? इसकी जांच हो रही है.

Advertisement

ज्योति कहती हैं, 'मेरे पिताजी को 21 और 22 अप्रैल को चुनाव ड्यूटी में स्लिप बांटने का काम मिला था. दोनों दिन वो लगातार धूप में घूमते रहे. दिन भर घर घर जा कर स्लिप बांटने का काम करते रहे. 23 तारीख को भी दिन भर काम किया लेकिन 23 अप्रैल को उनकी तबियत खराब हो रही थी. हमने उन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवाया. हम उल्हासनगर महानगरपालिका में पिता के लिए छुट्टी मांगने गए तो जवाब मिला कि छुट्टी मंजूर नहीं हो सकती और पिता की जगह मुझे काम करना होगा.'

मामले की जांच रिपोर्ट राज्‍य चुनाव आयोग के पास जाएगी. आयोग ने भरोसा दिया है कि दोषी अधिकारियों पर करवाई होगी.

इस मामले को लेकर राजनीति भी गर्म हो रही है. एनसीपी ने इस मामले के लिए जिम्‍मेदार अफसर के खिलाफ सख्त कार्रवाई और पीडित परिवार को सरकार की ओर से मदद की मांग की है. एनसीपी नेता अतुल लोंढे का कहना है कि चुनाव के लिए रिजर्व स्टाफ होता है. यानी अगर कोई कर्मचारी बीमार हो तो उसकी जगह दूसरा कर्मचारी काम कर लेता है. नाबालिक लड़की को काम पर लगाना सरासर गलत है.

Advertisement
Advertisement