केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की लगातार तीसरी बार सरकार बन गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रालयों का बंटवारा भी कर दिया है. इस बीच, महाराष्ट्र में एनडीए के सहयोगी घटक दल शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) खेमे में नाराजगी की खबरें आ रही हैं. कहा जा रहा है कि ये दोनों ही दल मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से खफा हैं और अब खुलकर बयानबाजी भी करने लगे हैं. दोनों ही दलों ने बीजेपी पर एनडीए के अन्य घटकों दलों के प्रति 'पक्षपातपूर्ण' रवैया अपनाने का आरोप लगाया है.
एकनाथ शिंदे की शिवसेना के नेता श्रीरंग बारणे ने कहा, हमारी पार्टी ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था, इनमें 7 सीटों पर जीत हासिल की है. ऐसे में हमें एक कैबिनेट मंत्री के साथ-साथ एक राज्य मंत्री का पद भी दिया जाना चाहिए था. उन्होंने आगे कहा, जनता दल (सेक्युलर) के दो सांसद हैं और एचडी कुमारस्वामी को कैबिनेट में जगह दी गई है. इसी तरह, हिंदुस्तान अवामी मोर्चा से एकमात्र सांसद हैं और जीतन राम मांझी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पांच सांसद हैं और चिराग पासवान को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. हम भी स्ट्राइक रेट को देखते हुए निश्चित रूप से कैबिनेट बर्थ और एक राज्य मंत्री के हकदार थे. इसी तरह, अजीत पवार की एनसीपी भी कैबिनेट बर्थ की हकदार थी. श्रीरंग बारणे ने पुणे के मावल सीट से तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीता है. उन्होंने इस बार उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार को हराया है.
बीजेपी हमारे साथ सौतेला व्यवहार कर रही
बारणे ने कहा, चूंकि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महज तीन महीने का समय बचा है. ऐसे में बीजेपी शिवसेना को एक कैबिनेट और राज्यमंत्री का पद दे सकती थी. उन्होंने कहा, बीजेपी ने 28 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे सिर्फ 9 सीटें मिलीं. जबकि शिंदे की अगुआई वाली शिवसेना ने 15 में से 7 सीटें जीतीं. शिवसेना को बीजेपी का पुराना दोस्त माना जाता है. लेकिन ऐसा लगता है कि बीजेपी हमारे साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. बारणे का कहना था कि जेडी(यू) और टीडीपी के बाद शिवसेना बीजेपी की तीसरी सबसे मजबूत सहयोगी है.
बारणे ने पुणे में मीडिया से बातचीत में कहा, आने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर रखते हुए शिवसेना को न्याय मिले, यह हमारी मांग है. एक कैबिनेट और एक राज्यमंत्री का पद मिलने की हमें आशा थी. बीजेपी के 61 नेताओं और अलायंस पार्टियों के 11 नेताओं ने शपथ ली है. पार्टी के नेता एकनाथ शिंदे के सामने हम यह बात रख चुके हैं.
श्रीकांत शिंदे बोले- हमारी पार्टी एनडीए के साथ है
हालांकि, एकनाथ शिंदे के बेटे और सांसद श्रीकांत शिंदे ने बारणे के बयान पर प्रतिक्रिया दी है और कहा, उनकी पार्टी पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वो मोदी सरकार को बिना शर्त समर्थन दे रही है. श्रीकांत ने आगे कहा, इस देश को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की जरूरत है और इसकी मांग भी है. सत्ता के लिए कोई सौदेबाजी या बातचीत नहीं है. हमने एक वैचारिक गठबंधन को बिना शर्त समर्थन दिया है. हम चाहते हैं कि मोदी राष्ट्र निर्माण के महान कार्य को आगे बढ़ाएं. हमारी पार्टी और इसके सभी विधायक और सांसद एनडीए के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं.
केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर रखे जाने से एनसीपी नाराज
इसी तरह, पुणे के पिंपरी से एनसीपी विधायक अन्ना बनसोडे ने भी केंद्रीय मंत्रिमंडल को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा, पवार और शिंदे दोनों ने अपनी मूल पार्टियों से अलग होकर और बीजेपी के साथ गठबंधन करके एक बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने कहा, महाराष्ट्र को उम्मीद थी कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी दोनों को कैबिनेट में जगह मिलेगी. हमारे पास सुनील तटकरे और प्रफुल्ल पटेल के रूप में दो सांसद हैं. हमारी पार्टी की उम्मीद थी कि कम से कम पटेल को इस बार कैबिनेट में जगह मिलेगी. इसलिए इन पार्टियों के कार्यकर्ता हमारी पार्टियों को केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर रखे जाने से नाराज हैं. पटेल पहले भी कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं.
शिवसेना के प्रताप राव जाधव बने मंत्री
बताते चलें कि बीजेपी ने शिवसेना और एनसीपी दोनों को ही राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद ऑफर किया था. शिवसेना (शिंदे) ने इसे स्वीकार कर लिया और बुलढाणा के सांसद प्रतापराव जाधव ने रविवार को शपथ ली है. लेकिन अजित पवार ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया. अजित ने कहा, वा कैबिनेट मंत्री से कम पर राजी नहीं हैं और अगले मंत्रिमंडल फेरबदल तक इंतजार करने को तैयार हैं.
संजय राउत ने शिंदे सेना और एनसीपी पर कसा तंज
इस बीच, विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने महायुति के अंदरखाने मतभेद पर तंज कसा है. शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने शिंदे सेना पर हमला किया और कहा, बीजेपी ने इस 'नकली' शिवसेना को उसकी जगह पर खड़ा कर दिया है. जब आप किसी के गुलाम बनने का फैसला करते हैं तो आपको यही मिलता है. अजित पवार की एनसीपी को तो कुछ भी नहीं मिला.
कांग्रेस बोली- भविष्य में पद के बारे में भूल जाना चाहिए
कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा, यदि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी राज्यमंत्री का पद स्वीकार नहीं करती है तो उसे भविष्य में कैबिनेट में कोई पद मिलने के बारे में भूल जाना चाहिए. वडेट्टीवार ने कहा, उनकी (अजित पवार गुट) सौदेबाजी की शक्ति खत्म हो गई है. यह ऐसा मामला है कि जो मिले, खा लो. उन्होंने दावा किया अगले कुछ महीनों में शिंदे गुट और अजित पवार गुट के 40 विधायक अपनी मूल पार्टियों में वापस लौट आएंगे.
अजित ने कहा था, हम एनडीए के साथ हैं
इससे पहले अजित पवार ने अपने बयान में साफ किया था कि वे मंत्रिमंडल का हिस्सा क्यों नहीं बने और उनकी पार्टी की क्या डिमांड है. अजित पवार और शिवसेना का शीर्ष नेतृत्व लगातार यह कह रहा है कि हम एनडीए के साथ हैं और आगे भी साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. लेकिन स्थानीय नेताओं की बयानबाजी महायुति के बीच सब कुछ ठीक नहीं चलने के संकेत दे रही है.
मोदी सरकार में महाराष्ट्र से 6 मंत्री
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के मंत्रिमंडल में महाराष्ट्र के छह सांसदों को शामिल किया गया है. बीजेपी को चार सीटें मिलीं हैं. जबकि उसके सहयोगी दलों शिवसेना और आरपीआई (ए) को एक-एक सीट मिली है. बीजेपी सांसद नितिन गडकरी और पीयूष गोयल ने कैबिनेट मंत्री के रूप में अपना पद बरकरार रखा. जबकि रक्षा खडसे और पहली बार सांसद बने मुरलीधर मोहोल ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली है. सहयोगी दलों में आरपीआई (ए) प्रमुख रामदास अठावले और शिवसेना से प्रतापराव जाधव राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने हैं.
क्यों नाराज है एकनाथ शिंदे गुट?
एकनाथ शिंदे की शिवसेना एनडीए में चंद्रबाबू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू के बाद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर आई है. महाराष्ट्र में बीजेपी ने 28 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसके सिर्फ 9 सांसद चुनकर आए. महाराष्ट्र में शिवसेना ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा और 7 सीटें जीती. टीडीपी के 16 और जेडीयू के 12 सांसद चुनकर आए हैं. एक सीट वाले जीतनराम मांझी को कैबिनेट मंत्री पद दिया गया है. दो सीटों वाले जेडीएस को भी कैबिनेट दिया गया है. शिवसेना का कहना है कि अगर हम 7 सीटें जीतकर आए हैं तो हमारे साथ न्याय होना चाहिए.
महाराष्ट्र में शिवसेना की क्या ताकत है?
लोकसभा चुनाव में शिवसेना जिन 7 सीटों पर जीतकर आई है, उनमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गृह क्षेत्र ठाणे भी शामिल है. यहां से नरेश म्हस्के चुने गए. इसके अलावा कल्याण से मुख्यमंत्री शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे, बुलडाणा से प्रतापराव जाधव, हातकणंगले से धैर्यशील माने, छत्रपति संभाजीनगर से संदीपान भुमरे, मुंबई उत्तर पश्चिम से रवींद्र वायकर और मावल लोकसभा से श्रीरंग बारणे शामिल हैं. लोकसभा के सात सांसदों के अलावा विधानसभा के 40 से ज्यादा विधायक भी एकनाथ शिंदे के साथ हैं.
शिवसेना की जीत में किसकी अहम भूमिका?
शिवसेना ने महाराष्ट्र में सात सीटें जीती हैं. उसके बाद शिवसेना नेता आक्रामक तेवर दिखाते नजर आ रहे हैं. शिवसेना के प्रवक्ता संजय शिरसाठ ने चुनाव परिणाम के दूसरे ही दिन कुछ सीटों पर हुई हार का ठीकरा बीजेपी पर फोड़ा था. उनका मानना है कि बीजेपी ने हमारे उम्मीदवार चयन में हस्तक्षेप किया. सीट बंटवारे में भी उन्होंने देरी की. बीजेपी का सर्वे पर ज्यादा डिपेंड होने का हर्जाना हमें भुगतना पड़ा. लेकिन बीजेपी के नेता ऑफ द रिकॉर्ड बात करते वक्त यह दावा करते हैं कि शिवसेना की जीत में सबसे ज्यादा हिस्सा बीजेपी का है. शिवसेना का अभी का जो वोट शेयर दिख रहा है, वह बीजेपी की मदद की वजह से है. अगर बीजेपी शिवसेना के साथ ना होती तो इतनी बड़ी जीत उन्हें शायद ही देखने को मिलती और शिवसेना की तीन सीटें तो त्रिकोणीय मुकाबले में जीती हैं.
क्या होगा विधानसभा में..?
शिवसेना के नेताओं के बयान को विधानसभा की सीट शेयरिंग को जोड़कर देखा जा रहा है. बीजेपी सीटों के बंटवारों में हावी ना हो, इसलिए शिवसेना अभी से अपना रुख साफ करती नजर आ रही है. सूत्र बताते हैं कि शिवसेना के नेताओं की आक्रामकता एकनाथ शिंदे की अनुमति के बगैर नहीं हो सकती है. इससे पहले एनसीपी अजित पवार ने भी विधानसभा की 80 से 90 सीटें मांगी हैं. और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर ज्यादा सीटों पर चुनाव लडे़गी. अभी से दिखाई हुई आक्रामकता सीट शेयरिंग में काम आ सकती है.