हिन्दू जनजागरण समिति के अध्यक्ष मिलिंद एकबोटे और कोल्हापुर शहर में शिव प्रतिष्ठान के संस्थापक संभाजी भिड़े गुरुजी पर भीमा कोरेगांव में दंगे भड़काने का आरोप लगाया गया है. पुणे के पिंपरी चिंचवड़ इलाके में दोनों पर दंगा भड़काने का पुलिस केस भी दर्ज किया गया. लेकिन मिलिंद एकबोटे के भाई उन्हें पूरी तरह से निर्दोष मानते हैं.
जब से दंगे हुए है तब से मिलिंद एकबोटे गायब हो गए हैं. शनिवार को आजतक की टीम ने मिलिंद एकबोटे के भाई से दंगे भड़काने के आरोपों पर बात की.
मिलिंद एकबोटे के छोटे भाई नंदकुमार एकबोटे ने हर एक सवाल पर सफाई देते हुए कहा, 'मिलिंद एकबोटे सौ प्रतिशत नहीं, बल्कि एक हजार प्रतिशत निर्दोष, क्योंकि हमारे भाई वढू बुद्रुक गए ही नहीं थे, भिड़े गुरुजी भी वहा नहीं गए थे. आमतौर पर भिड़े गुरुजी और हमारा परिवार वहा आता-जाता रहता है, लेकिन दंगे के दिन हममें से कोई भी वहां नहीं गया था. हमारे घर में तीन दिन धार्मिक कार्यक्रम था. तो तीनो भाई घर पर ही थे. 31 दिसंबर, 1 और 2 जनवरी को पुणे के घर पर ही थे.'
'जिस थाली में खाते है वहां हम छेद क्यों करेंगे'
मिलिंद एकबोटे के भाई ने कहा कि पिछले पच्चीस बरस से एकबोटे परिवार वढू गांव से जुड़ा हुआ है. गाववालों के साथ मिलकर परिवार धर्मवीर संभाजी महाराज के समाधि का काम वहा कर रहा है. जहां हम काम कर रहे हैं, वहा क्यों बिगाड़ेंगे काम. जिस थाली में खाते है, वहां हम छेद क्यों करेंगे? कुछ लोगों को इकठ्ठा करके उधर भेजा है. ये सरासर गलत है और जो भी वीडियो क्लिप वायरल हुई है, उसकी छानबीन करो और जो भी मैसेज फ़ैल रहे हैं, सोशल मीडिया पर उसको भी चेक करो. ये चुनौती है मीडिया को.'
उन्होंने कहा, 'सौ साल बाद ये दुविधा पैदा करना कि आप दलित हो, आप मराठा हो, ये गलत है.' दो सौ साल पहले जो भीमा कोरेगांव की लड़ाई हुई थी, जिसमें पेशवाओं को अंग्रेजों के सेना के बहादुर दलित फौजियों ने पराजित किया था, उसका दर्द आज भी मन में है और इसीलिए हिन्दुत्ववादी संगठनों ने बवाल करने का प्रयास किया था ऐसा कहा जा रहा है. इस पर नंदकुमार एकबोटे बोले, '200 साल पहले ब्रिटिश और भारतीयों में लड़ाई हुई थी, वहां जात-पात का संबंध नहीं आता है, ब्रिटिशर्स के साथ कौन था और भारतीयों के साथ कौन था ये इतिहास को सबको पता है. अब दो सौ साल बाद किसी के मन में ये दुविधा पैदा करना, इस माध्यम से कि आप दलित हो, आप मराठा हो, ये बहुत गलत है.'
एकबोटे ने कहा कि इस युग में हम मंगल पर जाने की बात कर रहे हैं और जात-पात का झगड़ा करके यहां कुछ आदमी षड्यंत्र कर रहे हैं, ये बहुत गलत बात है. ऐसा तो कुछ हमारे भाई और भिड़े गुरुजी ने नहीं किया है. संभाजी महाराज हमेशा हमें प्रेरणा देते हैं. उनसे देशभक्ति बढ़े इतना ही हमारा काम है.
सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट हमारी नहीं
जब नंदकुमार एकबोटे से पूछा गया कि सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हुई है और दंगे भड़काने के लिए ये पोस्ट वायरल की गई थी. इसको पूरी तरह से खारिज करते हुए करते एकबोटे ने बताया के पोस्ट में लिखा है 'चलो वढू बुद्रुक' ऐसा लिखना ही दर्शाता है के ये किसी और भाषा वाले लोगों ने लिखा है. मिलिंद एकबोटे के समिति के लोग मराठी है और वो 'चला वढू बुद्रुक' लिखेंगे. तो ऐसी पोस्ट वायरल करना, लोगों को गुमराह करना है. मिलिंद एकबोटे को बदनाम करने की मंशा है. अब ये साइबर क्राइम सेल का काम है कि इस पोस्ट की तह तक जाएं और उसे कड़ी से कड़ी सजा दें जिसने ये पोस्ट वायरल की है.
मिलिंद एकबोटे छुपकर क्यों बैठे हैं
अगर मिलिंद एकबोटे दोषी नहीं हैं तो वे छुपकर क्यों बैठे हैं, इस सवाल पर एकबोटे के भाई ने कहा कि वे सही समय पर बाहर आएंगे और स्पष्टीकरण देंगे.
संभाजी महाराज की समाधि सबका प्रेरणा स्थान
जब मिलिंद एकबोटे के भाई को बताया गया कि वढू ग्रामसभा ने प्रस्ताव पारित किया है कि अब गांव के किसी भी समारोह में यानी छत्रपति संभाजी महाराज की पुण्यतिथि/जयंती समारोह में बाहर के लोगों का हस्तक्षेप नहीं होने देंगे. इसपर नंदकिशोर एकबोटे बोले कि ऐसा निर्णय लेना ही हास्यास्पद है. संभाजी महाराज की समाधि पर काम करना कोई जुर्म तो नहीं और बाहर वाला कौन है ये तो गांव वालों को तय करना पड़ेगा.
पहले भी दंगे भड़काने के आरोप लगे है एकबोटे परिवार पर
भीमा कोरेगांव से पहले प्रतापगढ़ के पास दंगे भड़काने के आरोप को गलत बताते हुए एकबोटे बोले के 2003 में वहां दंगा नहीं हुआ था, पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी. 2003 में जो हुआ है वो भी एक षडयंत्र ही है. एकबोटे परिवार को बदनाम करने का जैसा आज हो रहा है. लेकिन जब याद दिलाया गया कि दोनों भाइयों को तो 12 दिन की जेल हुई थी, तब एकबोटे बोले कि ऐसे आरोप तो कई लोगों पर लगे हैं, ऐसे आरोप तो आते-जाते हैं, सिद्ध तो नहीं हुए.