महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपी संभाजी भिडे और उनके साथियों सहित सैकड़ों राजनेताओं पर दर्ज दंगे जैसे कई गंभीर अपराधों को वापस लेने का फैसला किया है. यह जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता और अधिकार फाउंडेशन के अध्यक्ष शकील अहमद शेख को गृह विभाग की सूचना अधिकारी प्रज्ञा घाटे ने दी है. फौजदारी प्रक्रिया दंड संहिता की धारा 321 प्रावधानों के तहत राज्य सरकार को अधिकार है कि मामूली किस्म के अपराध में केस वापस ले सकती है.
Filed RTI to seek information on how many cases against political leaders&their supporters were withdrawn since 2008. 3 cases against Bhima Koregaon violence accused Sambhaji Bhide were withdrawn & 9 cases against BJP & Shiv Sena leaders withdrawn: RTI activist Shakeel A Shaikh pic.twitter.com/Fb0zLeYqud
— ANI (@ANI) October 1, 2018
आरटीआई कार्यकर्ता शकील अहमद शेख ने गृह विभाग से इस बाबत जानकारी मांगी थी. शेख ने इसके लिए भी आरटीआई दाखिल की थी कि 2008 से कुल कितने राजनेताओं या कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस वापस लिए गए हैं. इस बारे में गृह विभाग की सूचना व कक्ष अधिकारी प्रज्ञा घाटे ने शेख को जानकारी उपलब्ध कराई है. जानकारी के मुताबिक, जून 2017 में संभाजी भिडे और उनके साथियों के खिलाफ दर्ज 3 केस वापस लिए गए हैं. इसके अलावा भिडे और उनके साथियों के खिलाफ 3 और केस वापस लिए गए हैं.
गौरतलब है कि 2008 से 2014 तक कांग्रेस और एनसीपी की सरकार ने कोई भी केस वापस नहीं लिया है. वहीं 2014 में बीजेपी की सरकार आने के बाद जून 2017 से 14 सितंबर 2018 तक 8 शासन फैसले जारी कर कुल 41 केसों में हजारों आरोपियों का केस वापस लिया गया है. फडणवीस सरकार ने बीजेपी और शिवसेना के आमदार और कार्यकर्ताओं या समर्थकों के खिलाफ केस वापस लिया है.
केस वापस लिए गए नेताओं की सूची
1) राजू शेट्टी और अन्य (सांसद शेतकरी पक्ष) 2 केस
2) संजय घाटगे (पूर्व बीजेपी और शिवसेना नेता)
3) नीलम गोहे (सेना आमदार) और मिलिंद नार्वेकर (उद्धव ठाकरे)
4) संजय (बाला) भेड्गे (बीजेपी नेता)
5) प्रशांत ठाकुर ( बीजेपी आमदार और सिड्को अध्यक्ष)
6) विकास मठकरी (बीजेपी आमदार)
7) अनिल राठौड़ (सेना नेता) 2 केस
8) अभय छाजेड (कांग्रेस नेता)
9) अजय चौधरी (सेना आमदार)
10) डॉ. दिलीप येलगावकर (बीजेपी आमदार)
11) आशीष देशमुख (बीजेपी आमदार)
12) किरन पावसकर (एमएलसी एनसीपी)
कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कोरेगांव केस में आरोपी संभाजी भिडे को क्लीन चिट दी है. फडणवीस सरकार ने जितने भी 41 केसों को वापस लिया है, सभी केस दंगे फैलाने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, सरकारी काम में बाधा डालने और सरकारी कर्मचारी पर हमला करने जैसे संगीन अपराध में दर्ज थे.
आरटीआई कार्यकर्ता शकील अहमद शेख के मुताबिक, फडणवीस सरकार ने पिछले चार वर्षों में एक भी आम जन का केस वापस नहीं लिया है. जितने भी केस वापस लिए गए हैं उनमें ज्यादातर बीजेपी और सेना के नेता या कार्यकर्ता हैं. शेख ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मांग की है कि वापस लिए गए केस के फैसले तुरंत रद्द किए जाएं.