महाराष्ट्र में हुए हालिया निकाय चुनाव में मिली करारी हार के बाद एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं की हालत ऐसी दिख रही है, मानों उन्हें कुछ सूझ ही न रहा हो. बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) में मेयर पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच चल रही खींचतान के बीच ऐसे कयास लगाय जा रहे थे कि अगर दोनों पार्टियों में इस तनातनी के कारण गठबंधन टूटा तो राज्य में मध्यावधी चुनाव हो सकते हैं.
हालांकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को चुनाव नतीजों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बीते मंगलवार हुई मुलाकात में शायद कुछ ऐसा गुरुमंत्र मिला और राज्य लौटकर उन्होंने ऐसे मास्टर स्ट्रोक खेला कि बाकी सारी पार्टियां मानों चारों खाने चित हो गईं.
मुंबई लौटकर मुख्यमंत्री फडणवीस ने घोषणा कर दी कि बीजेपी मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए शिवसेना को समर्थन देते हुए अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी और ना ही नेता विपक्ष के पद पर दावा पेश करेगी. इस निर्णय के बाद शिवसेना का मेयर बनाना तो तय हो ही गया, लेकिन इसके साथ उन सभी अटकलों को पूर्ण विराम लग गया कि बीजेपी राज्य की सत्ता में अपने पांच साल पुरे नहीं कर पाएंगी.
फडणवीस के इस मास्टर स्ट्रोक ने बगावती तेवर अपनाए शिवसेना को शांत कराने के साथ ही, गठबंधन के भविष्य पर सवाल उठा रहे एनसीपी नेता शरद और अजित पवार को भी चुप करा दिया. पुणे स्थित बारामती हॉस्टल में रविवार को चल रही एनसीपी नेताओं की बैठक के बाद जब अजित पवार से इस बारे में पत्रकारों ने इस बारे में प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की, तो वे बिना कुछ बात किए ही निकलते बने.
वहीं भीमथड़ी कृषि प्रदर्शन एवं यात्रा में शरीक होने आए एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से जब इस बारे में सवाल किया गया तो वह इस कोई बात करने के मूड में नहीं दिखे. पत्रकारों ने उनसे जब दोबारा वही सवाल किया, तो वह गुस्से में बोले कि यह जगह राजनितिक बातें करने के लिए नहीं है.