पुणे के भीमा कोरेगांव में सोमवार को हुई जातीय हिंसा में 28 वर्षीय राहुल फटांगले की मौत हो गई थी. बताया जा रहा है कि राहुल अपने घर बाइक से लौट रहा था, तभी अचानक हिंसा भड़क गई. वह कुछ समझ पाता तभी पथराव हो गया.
वह बचने के लिए कहीं छिपता इसके पहले ही एक पत्थर उसके सिर पर आ लगा और उसकी मौत हो गई. टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार, राहुल का इस जातीय संघर्ष से कुछ लेना देना नहीं था. वह हर रोज की तरह अपने गराज से वापस लौट रहा था तभी यह हादसा हो गया.
बता दें कि राहुल के पिता बाबाजी और मां जाना बाई किसान हैं. वे कोरेगांव भीमा से 25 किमी दूर घोलपवाड़ी गांव में रहते हैं. उसके परिवार वालों ने बताया कि राहुल पुणे के चंदन नगर में गराज चलाता था और सनसवाड़ी में किराए के घर में रहता था. हर कुछ दिन में वह घर आता-जाता रहता था.
राहुल के भाई तुषार ने बताया कि हम मराठा समुदाय से हैं, लेकिन भीमा कोरेगांव विवाद से हमारा कुछ भी लेना-देना नहीं है. हमें तो यह भी नहीं मालूम था कि ऐसा कोई आयोजन पुणे में हो रहा है. राहुल अपना गराज खोलने के लिए चंदननगर गया था. शाम को वह सनसवाड़ी से आ रहा था तभी हिंसा भड़क गई.
हम उसका घर आने का इंतजार कर रहे थे. वह पार्ट टाइम जॉब भी किया करता था तो हमें लगा कि वह घर लेट आएगा. तभी पुलिस और कुछ पड़ोसियों का मुझे राहुल के नंबर से फ़ोन आया.
उन्होंने बताया कि राहुल की सनसवाड़ी में पत्थर लगने से मौत हो गई. उसे पुणे के ससून अस्पताल में भर्ती किया गया था. लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि सिर में चोट लगने के कारण उसने दम तोड़ दिया.
बता दें कि महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने राहुल के परिवार को 10 लाख रूपए देने की घोषणा की है. हालांकि, अब तक राहुल के परिवार को किसी तरह की मदद नहीं मिली है.