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शरद पवार के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन पर मुंबई पुलिस सख्त, 107 लोगों पर FIR दर्ज

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के चीफ शरद पवार के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन करने वाले MSRTC के 107 कर्मचारियों के खिलाफ मुंबई के गावदेवी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है. इनमें से 23 महिला हैं.

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शरद पवार के घर के बाहर प्रदर्शन करते कर्मचारी.
शरद पवार के घर के बाहर प्रदर्शन करते कर्मचारी.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कुछ कर्मचारियों ने पवार के घर की ओर जूते भी फेंके थे
  • नवंबर 2021 से हड़ताल पर हैं MSRTC कर्मचारी

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के चीफ शरद पवार के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन करने वाले महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) के 107 कर्मचारियों के खिलाफ मुंबई के गावदेवी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है. इनमें से 23 महिला हैं. वहीं, कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद NCP प्रमुख शरद पवार ने कहा कि MSRTC कर्मचारियों को गुमराह किया जा रहा है. एसटी कर्मचारी और हमारा बहुत पुराना रिश्ता है, पिछले 40-50 वर्षों में मैंने उनके साथ कोई सत्र नहीं छोड़ा है. इस बार विरोध को गलत रास्ता दिखाया गया और उसका परिणाम आज की घटना है.

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वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर से कहा गया कि सीनियर नेता शरद पवार के घर पर हमला बेहद निंदनीय है. मुख्यमंत्री ने  गृह मंत्री को हिंसा भड़काने या भड़काने वालों के साथ-साथ इसे भड़काने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.

बता दें कि शुक्रवार को राज्य परिवहन कर्मचारियों ने मुंबई में पवार के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था. कर्मचारियों ने सरकार पर वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया है. कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन के दौरान सुप्रिया सुले ने उन्हें शांत करने की कोशिश की, लेकिन विरोध जारी रहा.

महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) के 100 से अधिक हड़ताली कार्यकर्ताओं ने शरद पवार के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन करते हुए एनसीपी चीफ के खिलाफ नारेबाजी की. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उनके मुद्दों को हल करने के लिए शरद पवार और उनकी पार्टी ने कुछ नहीं किया है. हड़ताली कर्मचारियों  ने कहा कि वे MSRTC के राज्य सरकार में विलय की अपनी मांग पर अडिग हैं.

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कुछ कर्मचारियों ने पवार के घर की ओर जूते भी फेंके थे

कर्मचारी दोपहर में दक्षिण मुंबई में पवार के आवास 'सिल्वर ओक' पहुंचे और उनके खिलाफ नारेबाजी की. कुछ कर्मचारियों ने जूते भी उनके घर की ओर फेंक दिए. MSRTC के एक आंदोलनकारी कर्मचारी ने कहा कि हड़ताल के दौरान लगभग 120 कर्मचारियों ने आत्महत्या की है. ये आत्महत्या नहीं हैं, बल्कि राज्य नीति की हत्याएं हैं. हम राज्य सरकार के साथ एमएसआरटीसी के विलय की अपनी मांग पर दृढ़ हैं. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कुछ भी नहीं किया है इस मुद्दे को हल करें. 

कर्मचारियों ने ये भी कहा कि हम बंबई उच्च न्यायालय के कल के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन हम राज्य सरकार के साथ मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे, जिसे लोगों ने चुना है. इस निर्वाचित सरकार ने हमारे लिए कुछ नहीं किया. इस सरकार के चाणक्य शरद पवार भी हमारे नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं. बता दें कि पवार को शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार का अहम नेता माना जाता है. महा विकास अघाड़ी सरकार का गठन नवंबर 2019 में हुआ था.

नवंबर 2021 से हड़ताल पर हैं MSRTC कर्मचारी

MSRTC के हजारों कर्मचारी नवंबर 2021 से हड़ताल पर हैं और मांग कर रहे हैं कि उनके साथ राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान व्यवहार किया जाए और नकदी की तंगी से जूझ रहे परिवहन निगम का सरकार में विलय कर दिया जाए.

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बता दें कि एक दिन पहले बॉम्बे हाई कोर्ट  ने परिवहन निगम के हड़ताली कर्मचारियों को 22 अप्रैल तक ड्यूटी पर फिर से लौटेन का अल्टीमेटम दिया है. बॉम्बे हाईकोर्ट के अल्टीमेटम के एक दिन बाद ही कर्मचारियों ने शरद पवार के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया है.

बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य के परिवहन मंत्री अनिल परब ने आश्वासन दिया था कि उन श्रमिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी जो ड्यूटी पर फिर से शामिल होंगे. 

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