एक पत्रकार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक वरिष्ठ अधिकारी के चैंबर में घुसता है और उससे पूछा जाता है, 'आपको कैसे पता चला कि ईडी ने भुजबल मामले में छापेमारी की है. आपको किसने बताया?' जाहिर है, यह चौंकाने वाली बात है.
लेकिन पत्रकार उन बोगस कंपनियों के बारे में सवाल करता है जिनकी भुजबल स्कैम मामले में जांच की जा रही है. जवाब नहीं आता, एक और सवाल आता है, 'क्या आपने भुजबल के खिलाफ फाइल की गई ECIR पढ़ी है? अगर हां तो वह किसने आपको दी?'
ईडी ECIR को एक गोपनीय दस्तावेज मानता है जिसे मामले की जांच पूरी होने से पहले किसी से नहीं साझा किया जा सकता. ईडी की मुंबई यूनिट एक जूनियर कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रही है. इस अधिकारी ने कथित रूप से भुजबल मामले में 4-5 संदिग्ध लोगों के नाम और प्रोफाइल मीडिया में लीक किए. हालांकि यह अब भी अज्ञात है कि ईडी किस तरह की कार्रवाई करने वाला है.
बैन के लिए रहें तैयार: ED
एक अखबार ने ईडी के सूत्रों के हवाले से खबर छापी थी कि जिन लोगों को मामले में समन किया है, उनमें हवाला ऑपरेटर अनिल बस्तावाडे का भी नाम है. आरोपों के मुताबिक, अनिल पर शक है कि उसने भुजबल को पैसा इंडोनेशिया भेजने में मदद की. ईडी मानता है कि यह जानकारी मीडिया को लीक नहीं की जानी थी.
ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'केंद्र सरकार ने एक मीडिया पॉलिसी बनाई है, जिसे हर किसी को फॉलो करना होता है. चाहे वह हमारे कर्मचारी हों या मीडियाकर्मी. अगर वे फॉलो नहीं करेंगे तो उन्हें हमारी तरफ से बैन के लिए तैयार रहना होगा.'
उन्होंने आगे कहा, 'भुजबल मामले में भी रोजाना के अपडेट को फॉलो करने की जरूरत नहीं है. हालांकि हमने ऐसा सिस्टम बनाया है कि ईडी के स्पेशल डायरेक्टर आधिकारिक रूप से जानकारियों की पुष्टि करते हैं. लेकिन जूनियर अधिकारियों से सूचनाएं हासिल करना पूरी तरह गलत है.'
ईडी की मुंबई यूनिट में फिलहाल उन जूनियर अधिकारियों के कॉल रिकॉर्ड निकाले जा रहे हैं, जिन पर मीडिया को जानकारी लीक करने का शक है.