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परमबीर सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाले व्यवसायी के खिलाफ जालसाजी का मामला

महाराष्ट्र के ठाणे में व्यवसायी श्याम सुंदर अग्रवाल व अन्य के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी के मामले में FIR दर्ज कराई गई है. श्याम सुंदर अग्रवाल वही शख्स हैं, जिन्होंने पूर्व ठाणे और तत्कालीन मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. उस समय अग्रवाल का आरोप था कि परमबीर सिंह के इशारे पर उनके दो पुलिसकर्मी उनसे पैसे वसूल रहे थे.

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परमबीर सिंह (फाइल फोटो)
परमबीर सिंह (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र के ठाणे शहर में व्यवसायी श्याम सुंदर अग्रवाल व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है. श्याम सुंदर अग्रवाल वही शख्स हैं, जिन्होंने पूर्व ठाणे और तत्कालीन मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. उस समय अग्रवाल का आरोप था कि परमबीर सिंह के इशारे पर उनके दो पुलिसकर्मी उनसे पैसे वसूल रहे थे.

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श्याम सुंदर अग्रवाल के खिलाफ वर्तमान FIR भायंदर निवासी विजयनाथ म्हात्रे नाम के एक ग्रामीण ने दर्ज कराई है. अग्रवाल और चार अन्य के खिलाफ धारा 420 (धोखाधड़ी), 465 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना), 34 (साझा इरादा), 506 (आपराधिक धमकी), 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.

क्या है मामला?

म्हात्रे द्वारा लगाए गए आरोप एक अन्य आरोपी को दिए गए पावर ऑफ अटॉर्नी के इर्द-गिर्द घूमते हैं. यह मुख्तारनामा कथित तौर पर जाली था और उन्हें धमकी दी गई थी. आरोपियों ने कथित तौर पर म्हात्रे को मजबूर किया था और उन्हें अपनी संपत्ति उन्हें ट्रांसफर करने के लिए कहा था.

दबाव डालकर वसूले पैसे

श्याम सुंदर अग्रवाल द्वारा परमबीर सिंह के खिलाफ 2021 में दर्ज शिकायत में आरोप लगाया गया था कि पुलिस निरीक्षक नंदकुमार गोपले और सहायक पुलिस निरीक्षक आशा कोर्के ने कथित तौर पर बिल्डर श्याम सुंदर अग्रवाल पर दबाव डाला और धमकी देकर उनसे पैसे वसूले.

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परमबीर सिंह मामले की जांच के लिए बनाई गई थी जांच समिति

महा विकास अघाड़ी की तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने अग्रवाल द्वारा दर्ज की गई शिकायतों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन भी किया था. अग्रवाल की प्राथमिकी में नामित कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सिंह का करीबी बताया गया और उन्हें साइड पोस्टिंग में ट्रांसफर कर दिया गया. गोपले और कोरके को मामले में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में विधिवत रूप से सेवा में वापस लाया गया.

उस समय भी जब अग्रवाल ने सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी, तो उनके खिलाफ मुंबई के एक व्यवसायी के खिलाफ धमकी का इस्तेमाल करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

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