
महाराष्ट्र में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. पूर्व कांग्रेस विधायक रविंद्र धंगेकर ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर शिवसेना (एकनाथ शिंदे) में शामिल हो गए. कांग्रेस से उनके एक दशक लंबे जुड़ाव का अंत हो गया है. धंगेकर ने पार्टी छोड़ने का फैसला अपने समर्थकों और मतदाताओं से बातचीत के बाद लिया.
पिछले कुछ दिनों से चल रही अटकलों के बाद, पूर्व कांग्रेस विधायक रविंद्र धंगेकर ने आधिकारिक रूप से पार्टी से सोमवार को अपना इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस से अपने एक दशक पुराने जुड़ाव का अंत करते हुए, धंगेकर ने इस नए राजनीतिक सफर की घोषणा की है. धंगेकर, जिन्होंने हाल ही में इंडिया टुडे को एक इंटरव्यू में बताया कि कांग्रेस के साथ बिताए समय के दौरान पार्टी उनके लिए परिवार बन गई थी.
उन्होंने कहा, "पार्टी के साथ मेरे 10-12 साल के सफर में हमने धीमे-धीमे एक परिवार का रूप ले लिया. मेरे सहयोगियों ने मेरी राजनीतिक यात्रा में पूरा सहयोग दिया. मुझे विधानसभा चुनाव जिताने में मदद की और बाद में लोकसभा का टिकट भी दिया. हालांकि, मैं सांसदी का चुनाव हार गया, लेकिन पार्टी अभी भी मजबूती से खड़ी रही."
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धंगेकर के कांग्रेस छोड़ने के पीछे के कारणों में पार्टी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के साथ उनकी चर्चा शामिल है. उन्होंने कहा, "लोग हमेशा पूछते रहे हमारी समस्याओं को कौन सुनेगा? लोकतंत्र में, सत्ता के बिना हम न्याय नहीं कर सकते या जनहित की मांगों को पूरा नहीं कर सकते. इसे देखते हुए, मैंने उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और मंत्री उदय सामंत से कई बैठकें कीं. उन्होंने मुझे उनके साथ काम करने को प्रेरित किया और आज मैं आधिकारिक रूप से एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हो रहा हूं".
धंगेकर की 2023 में कसबा पेठ विधानसभा उपचुनाव में शानदार जीत ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया था. उन्होंने बीजेपी के हेमंत रसने को पराजित किया, बावजूद इसके कि सत्तारूढ़ पार्टी ने मजबूत प्रचार अभियान चलाया था. यह उपचुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि यह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे के सत्ता संभालने के बाद पहली बड़ी चुनावी प्रतियोगिता थी.
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रविंद्र धंगेकर के इस महत्वपूर्ण फैसले से महाराष्ट्र की राजनीति में नई उथल-पुथल की संभावना है, क्योंकि उनके समर्थक अब नए मंच के तहत सक्रिय होंगे. उनकी इस नई राजनीतिक दिशा के लिए सभी की निगाहें आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव पर टिकी रहेंगी.