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अकोला में खुला ‘अनोखा गोट बैंक’, विदर्भ के किसान और खेतिहर मजदूरों को मिला रोजगार

महाराष्ट्र के अकोला में एक ऐसी बैंक है, जिसका नाम आपने कभी सुना नहीं होगा. बैंक का नाम है गोट बैंक ऑफ कारखेडा. यहां पर पैसे के बदले बकरियों को लोन की तरह बांटा जाता है. सूत के तौर बकरियों के चार बच्चों को इस बैंक को वापस देना पड़ता है. इस अनोखी पहल से किसानों और खेतिहर मजदूरों को अच्छी खासी कमाई हो रही है. 

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बैंक का नाम है गोट बैंक ऑफ कारखेडा.
बैंक का नाम है गोट बैंक ऑफ कारखेडा.

महाराष्ट्र के अकोला में एक अनोखा बैंक खुला है. इस बैंक से बकरी पालन करने वाले लाभार्थी को महज 11 सौ रुपए का बांड भरकर देने पर प्रेग्नेंट बकरी दी जाती है. बाजार में ऐसी बकरी का दाम 10 से 11 हजार रुपये होता है. प्रेग्नेंट बकरी को होने वाले बच्चे, जिनकी तादाद दो से चार तक होती है, जिसमें का एक बच्चा एक डेढ़ महीने बाद बैंक को सूत के तौर पर जमा करना पड़ता है.

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बकरी साल में दो बार बच्चे देती है. इस बैंक की शर्त है कि 40 महीनों में यहां से मिलने वाली प्रेग्नेंट बकरी के 4 बच्चे उन्हें सूत के तौर पर लौटाने होंगे. इससे लाभार्थियों को भी यह बैंक एक नया रोजगार दे रहा है और बकरियों का पालन भी लोगों से करवा रहा है.

अब इस गोट बैंक का कारोबार महाराष्ट्र के कई जिलों में पहुंच चुका है. ठाणे जिले के पालघर, नागपुर, अमरावती, हिंगोली, बुलढाणा, जलगांव जैसे जिलों में इस साल इस बैंक ने 1,100 से अधिक गर्भवती बकरियां किसानों और खेतिहर मजदूरों की दी हैं. 

52 साल के किसान नरेश देशमुख ने शुरू किया बैंक 

यह अजब-गजब और फायदेमंद तरकीब अकोला के 52 साल के किसान नरेश देशमुख ने 5 साल पहले खोली थी. अब इस बैंक की ओर से 1,100 रुपए लेकर लोन एग्रीमेंट किया जाता है. इसके बदले में एक प्रेग्नेंट बकरी दी जाती है. लोन एग्रीमेंट की शर्त के मुताबिक, 40 महीने में बकरियों के चार बच्चे बैंक को लौटाने होते हैं. इससे बकरियों का पालन-पोषण तथा इनसे मिलने वाला रोजगार बैंक और लाभार्थी को मिलता है.

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हर गांव और तहसील तक बैंक पहुंचाने की योजना 

इस बैंक का यह अजब-गजब तरीका किसान और बकरी पालन करने वालों को खासा रास आ रहा है. अब इन बकरियों की डिमांड विदर्भ समेत खानदेश और पश्चिम महाराष्ट्र के अलग-अलग जिले तक पहुंची है. ठाणे जिले के पालघर, धूल नंदुरबार, जलगांव, नागपुर, हिंगोली जैसे जिलों से इस बैंक से बकरियां दी जा रही हैं.

अब सरकार में भी इस बैंक को ऐसी बकरियों को बचत गुट के माध्यम से महिलाओं को देने की बात कर रही है. देशमुख ने बताया कि बैंक की हर संभव कोशिश रहेगी कि हर गांव तक यह बैंक की तरकीब पहुंचे. हर जिले की हर तहसील और गांव के सर्किल तक ऐसी गोट बैंक निर्माण करने की प्रक्रिया सरकार सोच रही है.

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