महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राज्यपाल से अल्पमत सरकार बनाने का दावा किया और ध्वनिमत से विश्वास मत भी प्राप्त कर लिया, लेकिन आज तक यह नहीं बताया कि उसे किन-किन विधायकों का समर्थन प्राप्त है . खुद राज्यपाल भी इस बारे में नहीं जानते. सूचना के अधिकार के तहत एक आरटीआई के जवाब में यह बात सामने आई है.
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा, 'आरटीआई के तहत एक सवाल के जवाब में यह खुलासा हुआ है. मैंने राज्यपाल सचिवालय से उन विधायकों के नामों की सूची मांगी थी, जिनके बल पर देवेंद्र फड़नवीस ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था.' इन 10 वजहों से हुआ विश्वास मत पर अविश्वास
आरटीआई के जवाब में एक अधिकारी ने कहा कि 28 अक्टूबर, 2014 को लगभग 6.40 बजे फड़नवीस के हस्ताक्षर वाला एक पत्र बीजेपी के वरिष्ठ बीजेपी नेता एकनाथराव खड़से-पाटिल, विनोद तावड़े, सुधीर मुनगंटीवार और पंकजा मुंडे-पाल्वे ने राज्यपाल सीवी राव को सौंपा था.
गलगली ने कहा, 'पत्र में राज्यपाल को सूचित किया गया था कि राज्य में बीजेपी एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. हम आपसे आग्रह करते हैं कि विधायक के नामों की सूची के बिना हमें सरकार बनाने का मौका दिया जाए.' गलगली ने कहा कि अब यह साफ हो चुका है कि फड़नवीस ने विश्वास मत जीतने के लिए मतदान का सबसे आसान तरीका यानी ध्वनिमत को चुना.
सबसे हैरानी वाली बात तो यह है कि बीजेपी ने राज्यपाल को अपने विधायकों और सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों की सूची पत्र के साथ नहीं सौंपी. गलगली ने कहा, 'समर्थन देने वाले विधायकों की सूची सौंपे बिना ही फड़नवीस ने सदन के पटल पर ध्वनिमत से विश्वास मत प्राप्त कर लिया. यह सरकार की चालाकी दिखाती है.'
उन्होंने कहा कि यह फड़नवीस की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह उन विधायकों की सूची जारी करें, जिन्होंने विश्वास मत के दौरान उनका समर्थन किया.
(इनपुट :IANS)