महाराष्ट्र के पुणे शहर में गुलेन बैरी सिंड्रोम के मामले बढ़ते जा रहे हैं. अधिकारियों ने बताया कि पुणे में गुरुवार को गुलेन बैरी सिंड्रोम (जीबीएस) के आठ संदिग्ध मामले सामने आए, जिससे कुल मामलों की संख्या 67 हो गई. उन्होंने बताया कि राज्य स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार को इस संक्रमण में अचानक वृद्धि की जांच के लिए एक रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) का गठन किया, क्योंकि शुरुआत में 24 संदिग्ध मामले पाए गए थे.
दरअसल, गुलेन बैरी सिंड्रोम एक दुर्लभ स्थिति है, जो शरीर में अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी का कारण बनती है. इसमें अंगों में गंभीर कमजोरी, दस्त आदि शामिल हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, बैक्टीरिया और वायरल संक्रमण आमतौर पर जीबीएस का कारण बनते हैं क्योंकि वे रोगियों की इम्यूनिटी को कमजोर करते हैं.
पीटीआई के मुताबिक डॉक्टर बताते हैं कि जीबीएस बच्चों और युवाओं में पाया जाता है. लेकिन इससे महामारी होने का खतरा नहीं है. अधिकांश मरीज इलाज से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं. इस बीमारी में मृत्यु दर बहुत कम है इसलिए लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है.
गुलेन बैरी सिंड्रोम के लक्षण धीरे-धीरे प्रकट होते हैं और इनमें शामिल हो सकते हैं-
कमजोरी और झुनझुनी: आमतौर पर पैरों से शुरू होकर हाथों और चेहरे तक फैलती है.
मांसपेशियों में कमजोरी: खड़े होने, चलने या वस्तुओं को उठाने में कठिनाई.
सांस लेने में दिक्कत: स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में परेशानी हो सकती है.
धड़कन और रक्तचाप में गड़बड़ी: अनियमित हृदय गति और लो या हाई ब्लड प्रेशर.
चेहरे की मांसपेशियों पर असर: चेहरे की मांसपेशियों का कमजोर होना.
चलने में असमर्थता: गंभीर मामलों में, पूरी तरह से चलने-फिरने में अक्षम होना.
पुणे में 13 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर
पुणे नगर निगम की सहायक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. वैशाली जाधव ने बताया, "जीबीएस के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 67 हो गई है, जिसमें 43 और 24 महिलाएं शामिल हैं. इनमें से 13 वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं."
इस बीच, आरआरटी और पीएमसी के स्वास्थ्य विभाग ने सिंहगढ़ रोड क्षेत्र के प्रभावित इलाकों में निगरानी जारी रखी. आरआरटी में राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) के वैज्ञानिक डॉ. बाबासाहेब तंदले, स्वास्थ्य सेवाओं के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रेमचंद कांबले, बी जे मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. राजेश कार्यकार्ते, राज्य महामारी विशेषज्ञ डॉ. भालचंद्र प्रधान समेत अन्य शामिल हैं.