Mumbai Local Train News: बॉम्बे हाई कोर्ट ने लोकल ट्रेन से गिरने के बाद घायल बुजुर्ग शख्स को मुआवजा देने का रेलवे को निर्देश दिया है. साथ ही कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, ‘भीड़-भाड़ (ओवर क्राउडेड) वाली लोकल ट्रेन में सफर करना क्रिमिनल एक्ट नहीं हो सकता है.‘ बुजुर्ग शख्स का नाम नितिन हुंडीवाला है. उनकी उम्र 75 साल है. हाई कोर्ट ने रेलवे को नितिन हुंडीवाला को 3 लाख 10 हजार रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया.
दरअसल, नितिन हुंडीवाला लोकल ट्रेन से गिरने के बाद घायल हो गए थे. इसके बाद उन्होंने मुआवजे के लिए रेलवे ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया था. लेकिन रेलवे ट्रिब्यूनल ने नितिन हुंडीवाला को मुआवजा देने से इनकार कर दिया था. इस पर उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस भारती डांगरे की बेंच ने फैसला सुनाया.
कब और कैसे हुआ था हादसा
23 नवंबर 2022 की बात है. जब नितिन हुंडीवाला विक्रोली स्थिति अपने ऑफिस से दहिसर से अपने घर के लिए निकले थे. तब वह एक एंटरप्राइज में कंसल्टेंट के रूप में हर महीने 10 हजार रुपये के वेतन पर काम रहे थे. जब वह ऑफिस से घर जाने के लिए विक्रोली से दादर के लिए एक ट्रेन में सवार हुए. वहां से वह दहिसर रेलवे स्टेशन पहुंचने के लिए ट्रेन में सवार होने के लिए वह प्लेटफॉर्म नंबर 5 पर आए.
इसके बाद वह 5 बजकर 26 मिनट पर फास्ट विरार लोकल ट्रेन में सेकेंड क्लास के जनरल डिब्बे में सवार हुए थे. डिब्बे में लोगों की काफी भीड़ थी. ट्रेन में चढ़ते समय उन्हें भीड़ ने डिब्बे से धक्का दे दिया. जिससे उनका बैलेंस बिगड़ गया. दुर्घटनावश, उनका सीधा पैर फिसल कर ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच की खाली जगह में चला गया. वह गिर गए. उनके सिर और जांघ में गंभीर चोटें आईं.
नितिन हुंडीवाला 14 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहे. उनके इलाज पर लगभग 2 लाख रुपये का खर्च हुआ. इलाज के बाद भी वह पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं. वह लंबी दूरी तक चलने में, भारी चीजें उठाने में, सीढ़ियां चढ़ने में असमर्थ हैं. जब वह दुर्घटना का शिकार हुए तब उनकी आयु 70 साल थी. इसके साथ ही उन्होंने चार लाख रुपये मुआवजे की मांग की थी.
नितिन हुंडीवाला ने मुआवजा के लिए रेलवे ट्रिब्यूनल में अर्जी लगाई. इस पर रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल की मुंबई बेंच ने नितिन हुंडीवाला के दावे को खारिज कर दिया था. रेलवे ट्रिब्यूनल ने नितिन हुंडीवाला के साथ हुई दुर्घटना को ‘नासमझी और क्रिमिनल एक्ट’ के दायरे में बताया. नितिन हुंडीवाला ने इसके खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस डांगरे ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने नितिन हुंडीवाला के मामले को 'क्रिमिनल एक्ट' के दायरे में लाने में गलती की है, जबकि इसमें कोई कारण नहीं है.
जस्टिस डांगरे ने यह भी देखा कि नितिन हुंडीवाला ने कहा था कि वह दुर्घटना के बाद ड्यूटी पर नहीं जा सकते हैं, जिसका अर्थ है कि वह यात्रा करने में असमर्थ हैं. दुर्घटना ने उन्हें लंबे समय तक चलने में असमर्थ कर दिया है. सीढ़िया चढ़ना आदि, जो उनके घर से उनके कार्यस्थल तक यात्रा करने के लिए जरूरी है.
इसी वजह से हाई कोर्ट ने रेलवे को नितिन हुंडीवाला को 3.10 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया.