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महाराष्ट्र में जिलों का नाम बदलने का आम आदमी पर क्या होगा असर?

महाराष्ट्र के औरंगाबाद और उस्मानाबाद शहर का नाम बदल दिया गया है. अब औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजी नगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव होगा. औरंगाबाद का नाम मुगल शासक औरंगजेब, जबकि उस्मानाबाद का नाम हैदराबाद रियासत के 20वीं सदी के शासक के नाम पर रखा गया था.

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औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदल दिया गया है
औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदल दिया गया है

केंद्र सरकार की स्वीकृति के बाद महाराष्ट्र के औरंगाबाद और उस्मानाबाद शहर का नाम बदल दिया गया है. अब औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजी नगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव होगा. औरंगाबाद का नाम मुगल शासक औरंगजेब, जबकि उस्मानाबाद का नाम हैदराबाद रियासत के 20वीं सदी के शासक के नाम पर रखा गया था. इन जिलों के नाम बदलने के साथ ही यहां रहने वाले लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. कारण, लोगों के दस्तावेजों में अभी भी पुराने ही नाम दर्ज हैं, जिसके चलते उनमें इसको लेकर असमंजस की स्थिति है. 

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दरअसल, अब इन दोनों जिलों में रहने वाले लोगों को अपने दस्तावेजों में भी जिलों के बदले हुए नामों को अपडेट कराना होगा. इनमें आधार कार्ड, बैंक पासबुक आदि शामिल हैं. आधार कार्ड में पता बदलवाने के लिए उन्हें आधार कार्ड केंद्र पर जाना होगा. यहां उन्हें एक फॉर्म मिलेगा, जिसे भरकर उन्हें उस पर नगर सेवक या ग्राम पंचायत की मुहर के साथ जमा कराना होगा. इसके बाद बायोमेट्रिक तरीके से एड्रेस चेंज कराना होगा. इसके लिए 50 रुपये से 100 रुपये का खर्च आएगा.

बैंको मैं लेनदेन में समस्या नहीं होगी

बैंक स्टाफ के मुताबिक बैंक का संचालन मुख्य रूप से खाता संख्या और आईएफसी कोड के माध्यम से किया जाता है. सरकार का निर्देश मिलने के बाद उस्मानाबाद ब्रांच नाम को धाराशिव से प्रणाली द्वारा अपडेट किया जा सकता है. फिर ग्राहकों को धाराशिव नाम के साथ पासबुक चेक बुक मिल जाएगी. इससे पहले उस्मानाबाद नाम के चेक होने पर भी ग्राहकों को कोई समस्या नहीं होगी. जिसके चलते लोगों को पैसे के लेन-देन में किसी तरह की समस्या नहीं होगी.

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बाल ठाकरे ने की थी नाम बदलने की मांग

दोनों शहरों के नाम बदलने की मांग सबसे पहले दिवंगत शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे ने की थी. यह मांग उनके द्वारा कई दशकों से उठाई जा रही थी. हालांकि, उद्धव ठाकरे ने अपनी सरकार गिरने से पहले एक मुख्यमंत्री के रूप में अपनी आखिरी कैबिनेट बैठक में इन नामों को बदलने का फैसला ले लिया था. महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी कथित तौर पर इस फैसले से खुश नहीं थे. निर्णय राज्य कैबिनेट द्वारा पारित किया गया था लेकिन केंद्र सरकार के अनुमोदन के लिए लंबित था.

HC ने खारिज कर दी थी याचिका 

बॉम्बे हाई कोर्ट ने 1 फरवरी को दोनों शहरों के नाम बदलने के कैबिनेट के फैसले पर तत्काल कोई रोक लगाने के याचिकाकर्ताओं की मांग स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. हालांकि कोर्ट ने केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया था कि क्या औरंगाबाद और उस्मानाबाद शहरों के नाम बदलने के कैबिनेट के फैसले पर आपत्ति जताई गई थी. कार्यवाहक चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस संदीप मार्ने की पीठ ने राज्य सरकार से यह भी बताने को कहा था कि क्या प्रशासन शहर का नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी किए बिना नए नामों का इस्तेमाल कर सकता है.

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(रिपोर्ट- गणेश जाधव)

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