महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग की एक रिपोर्ट की समीक्षा के बाद मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करने के लिए यदि जरूरी हुआ तो राज्य विधानमंडल का एक विशेष सत्र फरवरी 2024 में आयोजित किया जाएगा. शिंदे ने यह भी कहा कि ऐसे व्यक्ति के रक्त संबंधियों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के निर्देश जारी किए जाएंगे जिनके पास पहले से ही समान दस्तावेज हैं.
वह आरक्षण मुद्दे पर एक चर्चा के दौरान बोल रहे थे और सरकार द्वारा अब तक उठाए गए कदमों के बारे में बता रहे थे. हालांकि, विपक्षी विधायकों ने दावा किया कि आश्वासन पर्याप्त ठोस नहीं था.
फरवरी में बुलाया जाएगा विशेष सत्र
मुख्यमंत्री ने कहा, 'मराठा कोटा के मुद्दे पर गठित न्यायमूर्ति शिंदे समिति ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है. महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट एक महीने में पेश की जाएगी. इसकी समीक्षा करने के बाद, यदि जरूरी हुआ, तो हम एक विशेष बैठक बुलाएंगे.' उन्होंने कहा, 'राज्य सरकार यह स्थापित करेगी कि मराठा समुदाय सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा है और इसलिए सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण का हकदार है.'
शिंदे ने कहा, राज्य सरकार को जस्टिस शिंदे पैनल की रिपोर्ट सोमवार को मिली, जो 407 पन्नों की है और इसे जांच के लिए कानून और न्यायपालिका विभाग को भेज दिया गया है. उन्होंने कहा कि एक बार जब समान दस्तावेज रखने वाले व्यक्ति के रक्त रिश्तेदारों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाता है, तो प्रमाण पत्र सत्यापन के लिए राज्य की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा. उन्होंने कहा, इससे प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी. हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि अयोग्य व्यक्तियों को यह प्रमाणपत्र न मिले.
CM के आश्वासन को नहीं मान रहे मराठा आरक्षणकारी
वहीं जालना में पत्रकारों से बात करते हुए मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे ने कहा कि मराठा फरवरी तक इंतजार नहीं करेंगे और अगर 24 दिसंबर से पहले आरक्षण नहीं दिया गया तो विरोध प्रदर्शन शुरू किया जाएगा.
CM ने उठाए सवाल
मुख्यमंत्री ने मराठाओं को आरक्षण की सिफारिश करने में (पांच साल पहले) महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के प्रमुख रहे न्यायमूर्ति गायकवाड़ (सेवानिवृत्त) द्वारा इस्तेमाल की गई पद्धति पर सवाल उठाया. आपको बता दें कि महाराष्ट्र में विभिन्न समुदायों के लिए कुल आरक्षण प्रतिशत 52 प्रतिशत है. गायकवाड़ पैनल ने 48 प्रतिशत खुली श्रेणी के तहत नौकरियों और सेवाओं में मराठों की उपस्थिति की तुलना की.