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NCP में अनदेखी, सुप्रिया का बढ़ता कद... क्या अजित पवार ने महीनों पहले ही लिख ली थी बगावत की पटकथा?

रविवार के घटनाक्रम ने एनसीपी को तोड़कर रख दिया है. सुप्रिया सुले को एनसीपी का कार्यकारी अध्यक्ष बने अभी एक महीना भी नहीं हुआ था कि पार्टी को सबसे बड़ी बगावत देखनी पड़ी. अजित पवार ने चाचा से बगावत कर शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम की शपथ ले ली. सवाल उठ रहे हैं कि शरद पवार जैसे बड़े सियासी दिग्गज को अपनी ही पार्टी में बगावत की भनक कैसे नहीं लगी. क्या इसकी पटकथा लंबे समय से लिखी जा रही थी?

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अजित पवार ने चाचा शरद पवार को दिया झटका
अजित पवार ने चाचा शरद पवार को दिया झटका

NCP प्रमुख शरद पवार का पावर गेम ऐसा माना जाता था कि वो कब क्या कर जाएं, किसे झटका दे जाएं, पता ही नहीं चलता. लेकिन रविवार को अजित पवार ने ही उन्हें तगड़ा झटका दे दिया और भतीजे की गुगली से चाचा क्लीन बोल्ड हो गए. दरअसल, महाराष्ट्र में रविवार को बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ. राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार को एक बार फिर भतीजे अजित पवार ने चकमा दे दिया. उन्होंने शिंदे सरकार का दामन थाम लिया और डिप्टी सीएम की शपथ ले ली. उनके साथ 17 एनसीपी विधायक भी बागी हो गए और इनमें से 8 ने शिंदे सरकार में बतौर मंत्री शपथ ली है.

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ये सब इतनी जल्दी हुआ कि एक घंटे की भीतर ही अजित पवार नेता विपक्ष से सीधे महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बन गए. उनके इस कदम से एनसीपी चीफ शरद पवार को तो झटका लगा ही है, साथ ही अन्य विपक्षी दल भी हैरान हैं. कारण, रविवार सुबह अजित पवार पहले तो नेता प्रतिपक्ष के तौर पर अपने घर एनसीपी विधायकों की मीटिंग ले रहे थे. लेकिन इस बीच बैठक में कुछ ऐसा फैसला हुआ कि वह सीधे राजभवन पहुंच गए. इस दौरान उनके साथ 18 विधायक भी मौजूद थे. वहीं महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे भी पहले से ही राजभवन में मौजूद थे. बस, फिर क्या था. अजित पवार ने 8 एनसीपी विधायकों के साथ मंत्रीपद की शपथ ली और महाराष्ट्र सरकार का हिस्सा बन गए. 

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27 अप्रैल को ही लिख गई थी बगावत की पटकथा?

अब सवाल उठता है कि शरद पवार जैसे बड़े सियासी दिग्गज को अपनी ही पार्टी में इतनी बड़ी बगावत की भनक कैसे नहीं लगी और क्या अजित पवार ने चाचा शरद पवार से बगावत का प्लान पहले ही तैयार कर लिया था और इसकी पटकथा लंबे समय से लिखी जा रही थी. कारण, 27 अप्रैल को शरद पवार द्वारा दिए गए एक बयान के बाद से ही सियासी हलकों में सुगबुगाहट शुरू हो गई थी. कारण, शरद पवार ने अपने रोटी पलटने वाले बयान से चर्चाओं का बाजार गरमा दिया था. इतना ही नहीं, शिंदे गुट ने अजित पवार को रोटी बताया था और कहा था कि शरद पवार अब अजित पवार को साइड करने जा रहे हैं. इसके बाद से लगातार अजित की अनदेखी के आरोप लगने लगे. इस पर बीजेपी और शिंदे गुट भी चुटकी लेते नजर आए. वहीं बगावत के बाद एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष और बागी नेता प्रफुल्ल पटेल ने भी स्पष्ट कहा है कि जो कुछ हुआ है, उसको लेकर पहले से बात चल रही थी और इसे लेकर प्लानिंग थी. 

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अब रविवार के घटनाक्रम से एनसीपी टूट गई है. सुप्रिया सुले को एनसीपी का कार्यकारी अध्यक्ष बने अभी एक महीना भी नहीं हुआ था कि पार्टी को सबसे बड़ी बगावत देखनी पड़ी. अब लड़ाई पार्टी को बचाने की नहीं है, अब लड़ाई सिंबल और नाम को लेकर शुरू हो गई है. दोनों पक्ष का दावा है कि पार्टी पर उनका अधिकार है.

'रोटी सही समय पर पलटनी होती है...'

दरअसल, शरद पवार ने 27 अप्रैल को मुंबई में आयोजित युवा मंथन कार्यक्रम के दौरान कहा था, 'किसी ने मुझे कहा कि रोटी सही समय पर पलटनी होती है और अगर सही समय पर नहीं पलटी तो वो कड़वी हो जाती है. अब सही समय आ गया है रोटी पलटने का, उसमे देरी नहीं होनी चाहिए. इस बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को आग्रह करूंगा कि वो इस पर काम करें.' शरद पवार के इस बयान से कयास लगाए जाने लगे थे कि उनका इशारा भतीजे अजित पवार की तरफ है. इसके बाद एकाएक कई ऐसे घटनाक्रम हुए, जिनसे साफ होने लगा था कि अजित पवार अब कभी भी बगावत कर सकते हैं. इंतजार था तो सिर्फ सही मौके का. 

10 जून को अजित पवार को लगा था झटका

यूं तो एनसीपी में दरार काफी पहले ही पड़ चुकी थी. अजित पवार के खेमे ने इसके कई दिन पहले ही बगवात के संदेश दे दिए थे. इसी बीच 2 मई 2023 को शरद पवार ने एनसीपी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा का ऐलान कर दिया. पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए थे. काफी मनाने के बाद 5 मई को उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया. इस घटनाक्रम को शरद पवार का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा था. चर्चा होने लगी थी कि एनसीपी में अब सबकुछ सही है. लेकिन इसी बीच 10 जून को एनसीपी के 25वें स्थापना दिवस के मौके पर शरद पवार ने भतीजे अजित पवार को बड़ा झटका दे दिया. उन्होंने पार्टी के दो कार्यकारी अध्यक्षों के नाम ऐलान किया. ये दोनों नाम थे प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले. वहीं जब अजित पवार को लेकर सवाल पूछा गया तो शरद पवार ने कहा कि अजित नेता विपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. 

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जब अजित ने पार्टी संगठन में मांगी थी भूमिका

अजित पवार ने 21 जून को मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में स्पष्ट कह दिया था कि वह महाराष्ट्र विधानसभा के विपक्ष के नेता (LoP) के रूप में पद छोड़ने चाहते हैं. उन्हें पार्टी संगठन में कोई भूमिका सौंपी जाए.अजित ने कहा था कि मुझे विपक्ष के नेता के रूप में काम करने में कभी दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन पार्टी विधायकों की मांग पर मैंने भूमिका स्वीकार की. उनकी मांग पर फैसला करना एनसीपी नेतृत्व पर निर्भर है. उमुझे जो भी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, मैं उसके साथ पूरा न्याय करूंगा. मुझे बताया गया है कि मैं विपक्ष के नेता के रूप में सख्त व्यवहार नहीं करता हूं. हालांकि कई दिनों तक भी उनकी इस मांग पर एनसीपी चीफ की तरफ से गौर नहीं किया गया. 

एनसीपी के पोस्टर से गायब हो गए थे अजित पवार

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में हुए संगठनात्मक बदलाव का असर जमीन पर भी दिखाई देने लगा. जिस तरह अजित पवार को संगठन में कोई अहम जिम्मेदारी नहीं मिली, उसी तरह पोस्टर में भी उन्हें जगह नहीं मिली. मौका था दिल्ली में आयोजित एनसीपी की नेशनल एग्जीक्यूटिव मीटिंग का, जिसका आयोजन 28 जून को किया गया. पोस्टर से अजित पवार की तस्वीर गायब नजर आई. पोस्टर में शरद पवार के साथ सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल की फोटो लगाई गई थी. वहीं पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक में भी अजित पवार की गैरमौजूदी से भी सवाल उठने लगे थे. इन सभी घटनाक्रमों के बीच ही राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं जोरों पर थीं कि अजित कभी भी चाचा शरद को झटका दे सकते हैं और हुआ भी यही. 2 जुलाई को उन्होंने बगावत कर शिंदे सरकार में शपथ ले ली.

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5 बार डिप्टी सीएम, मुख्यमंत्री बनने की भी इच्छा जता चुके

अजित पवार के पॉलिटिकल करियर की बात करें तो वह अब तक 5 बार डिप्टी सीएम पद की शपथ ले चुके हैं और पहले भी चचा शरद पवार से बगावत कर चुके हैं. इतना ही नहीं, वह मुख्यमंत्री बनने की भी इच्छा जाहिर कर चुके हैं. उन्होंने इसी साल अप्रैल में मुख्यमंत्री बनने की चाहत दिखाई थी और कहा था कि वह 2024 में नहीं, अभी भी सीएम पद के दावेदार हैं. साथ ही सवाल उठाते हुए कहा था कि 2004 में जब एनसीपी की कांग्रेस से ज्यादा सीटें आई थीं, तब पार्टी ने उन्हें सीएम पद देने का मौका गंवा दिया था. हालांकि, सीएम पद को लेकर उनका अभी भी दावा कायम है.

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