scorecardresearch
 

Maharashtra: नारायण राणे को राहत, महाराष्ट्र सरकार ने बंगले में अवैध कब्जा गिराने का आदेश वापस लिया

याचिकाकर्ता कंपनी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मिलिंद साठे ने हाई कोर्ट में दलील दी कि मामले में बीएमसी कानून का पालन नहीं किया गया. उन्होंने दावा किया कि उनकी कंपनी ने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है.

Advertisement
X
बॉम्बे हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
बॉम्बे हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने दी जानकारी
  • पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने राणे की याचिका का कर दिया निस्तारण
  • जस्टिस एए सैयद और एमएस कार्णिक की बेंच ने की सुनवाई

केंद्रीय कैबिनेट मंत्री नारायण राणे को महाराष्ट्र सरकार से बड़ी राहत मिली है. सरकार ने महाराष्ट्र के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी की सलाह पर राणे के बंगले में अवैध निर्माण को गिराने के अपने आदेश को वापस ले लिया है. हाई कोर्ट में मंगलवार को कुंभकोनी ने प्राधिकरण द्वारा पारित बैठक के प्रमुख बिंदुओं को पढ़कर बताया कि हमने कार्रवाई करने का अपना अधिकार सुरक्षित रख लिया है. इसके बाद जस्टिस एए सैयद और एमएस कार्णिक की बेंच ने राणे की याचिका का निस्तारण कर दिया है.

Advertisement

21 मार्च को सरकार ने जारी किया था आदेश

कालका रियल एस्टेट ने याचिका दाखिलकर सरकार के बंगला गिराने के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाया खटखटाया था. ‘आदिश’ बंगला इसी कंपनी का है. राणे और उसके परिवार के सदस्य कंपनी में अंशधारक हैं. राणे का परिवार इसी बंगले में रहता है. राणे के वकील मिलिंद साठे और अमोघ सिंह ने बताया कि सरकार ने 21 मार्च को कार्रवाई का आदेश जारी किया था.

आर्टलाइन कंपनी के नाम से भेजा गया था नोटिस

सरकार का कार्रवाई का आदेश आर्टलाइन प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जारी किया गया था. इस कंपनी का 2017 में कालका कंपनी में विलय हो गया था. यह कंपनी राणे के एक पारिवारिक सदस्य की कंपनी थी. 22 जनवरी 2013 को इसको व्यवसायिक प्रमाण पत्र जारी किया गया था.

गवर्नमेंट रिजॉल्यूशन 2011 का किया इस्तेमाल

Advertisement

महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई उपनगरीय जिले के कलेक्टर और पश्चिमी सबर्ब के सब डिविजनल अधिकारी के जरिए तटीय पर्यावरण की रक्षा और सुधार के उद्देश्य से गवर्नमेंट रिजॉल्यूशन 2011 के तहत यह आदेश पारित किया था. राणे की वकील ने बताया कि सब डिविजनल अधिकारी कार्यालय ने बिना किसी पूर्व कारण बताओ नोटिस के उनके बंगले में किसी भी तरह के अवैध निर्माण को हटाने का निर्देश जारी कर दिया था. हालांकि अवैध निर्माण न मिलने पर 28 मार्च को इस आदेश को पास ले लिया गया.

 

Advertisement
Advertisement