महाराष्ट्र का मराठवाड़ा पहले भी भयंकर सूखा देख चुका है लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब लातूर के दो सबसे पुराने कुएं पूरी तरह सूख गए हैं. चाकुर तालुका में वादवल नागनाथ गांव के ये कुएं पिछले 100 साल से हैं.
जनता के लिए खोल दिए कुएं
इसके अलावा गांव के आसपास के आठ और कुएं (नए और पुराने समेत) लगभग पूरी तरह सूख चुके हैं. महज कुछ बोरवेल काम कर रहे हैं. गांव की सरपंच शिल्पाताई राजकुमार बेंदके ने बताया, 'कुएं के मालिकों ने तय किया कि वो पानी का इस्तेमाल खेती के लिए नहीं करेंगे और उन्हें इन्हें जनता के लिए खोल दिया है.'
गांव में भेजा जा रहा पानी है नाकाफी
अन्नासाहेब और अंबादास पाटिल के इन कुओं का पानी इतना कीचड़ वाला हो गया है कि उसका इस्तेमाल पीने के लिए नहीं किया जा सकता. रावसाहेब भांजे का कुआं पुराना हो गया है लेकिन उसका पानी पीने योग्य है. सरपंच ने कहा, 'लेकिन वो जोखिम भरा है. कई बार लोग फिसलकर उसमें गिर जाते हैं लेकिन हम उन्हें बचा लेते हैं.' 10,000 की आबादी वाले इस गांव को रोजाना दो टैंकर पानी मिलता है. शिल्पाताई ने कहा, 'हम पानी को स्टोर कर लेते हैं, उसके बाद उसे टैंकों में पंप किया जाता है. कुछ मिनट तक इसे गांव को सप्लाई किया जाता है लेकिन ये काफी नहीं है.'
सरकार से मांगी जाएगी वित्तीय मदद
सेंट्रल वॉटर कमिशन की एक टीम शनिवार को औरंगाबाद के दौरे पर गई थी और उन्होंने यहां पानी की समस्या को सुलझाने के लिए सरकारी अधिकारियों के साथ चर्चा की. मराठावाड़ में 68 सिंचाई परियोजनाएं शुरू की जानी है, जिन्हें अगले दो साल में पूरा किया जाएगा. इसके लिए सरकार से 1,236 करोड़ रुपये की मांग की जाएगी.
लगातार नीचे पहुंच रहा है जलस्तर
पिछले साल बारिश की कमी की वजह से कोल्हापुर में सूखे के आसार दिखने लगे थे. ग्राउंड वॉटर सर्वे एजेंसी(जीएसडीए) के मुताबिक इस क्षेत्र में ग्राउंडवॉटर का स्तर 0.6 मीटर तक गिर गया है. चंदगढ़ तहसील में
भी ये स्तर एक मीटर गिरा है. करवीर तहसील में पानी के स्तर में 0.8 मीटर की गिरावट दर्ज की गई है. कोल्हापुर जिला पहले अत्यधिक वर्षा के लिए जाना जाता था, जहां खेती में काफी पानी का इस्तेमाल किया जाता था.
लातूर में पानी की इतनी कमी हो गई है कि यहां मिराज से ट्रेन के जरिए पानी भेजा जा रहा है.