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Indian Railway: मुंबई में वेस्टर्न रेलवे की बड़ी पहल, 'तीसरी आंख' के जरिए ऐसे रोका जा रहा अपराध

Indian Railway News: मुंबई के चर्चगेट से विरार और सूरत तक चलने वाली पश्चिम रेलवे शहर के सबसे व्यस्त लाइन में से एक मानी जाती है. ऐसे में इस लाइन पर यात्रियों की सुरक्षा बेहद चुनौतीपूर्ण रहती है और इसी को देखते हुए 65 करोड़ की लागत से रेलवे ने इंटीग्रेटेड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम की शुरुआत की है.

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Indian railway
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • इंटीग्रेटेड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम की शुरुआत हुई
  • 'तीसरी आंख' से नहीं बच सकेंगे अपराधी

Indian railway: देश में अपराधों पर काबू पाने के लिए पुलिस और सरकारें हर कोशिश करती हैं. वहीं, अब आधुनिक युग में अपराध करने वालों की खैर नहीं, क्योंकि अब अपराध करने वाले लोग पुलिस की 'तीसरी आंख' से नहीं बच सकेंगे. मुंबई में वेस्टर्न रेलवे ने एक बड़ी पहल की है, जहां मुंबई में अपराधों पर काबू पाने के लिए इंटीग्रेटेड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम और फेस रिकॉग्निशन व इंफ्रा रेड जैसे अत्याधुनिक कैमरे लगा दिए गए हैं, जिस से रेलवे स्टेशन पर पैनी नजर रखी जाती है.

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मालूम हो कि मुंबई एक ऐसा शहर है, जहां पर लोग दूर-दूर से अपने सपने पूरे करने के लिए आते हैं. शहर में बड़ी आबादी रहती है और यह शहर लंबे समय से आतंकियों की हिट लिस्ट में भी रहा है. मुंबई में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस समेत सभी इंटैलिजेंस एजेंसिया अलर्ट पर रहती हैं. 

मुंबई के चर्चगेट से विरार और सूरत तक चलने वाली पश्चिम रेलवे शहर के सबसे व्यस्त लाइन में से एक मानी जाती है. ऐसे में इस लाइन पर यात्रियों की सुरक्षा बेहद चुनौतीपूर्ण रहती है और इसी को देखते हुए 65 करोड़ की लागत से रेलवे ने इंटीग्रेटेड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम की शुरुआत की है. इससे प्लेटफॉर्म पर होने वाले अपराध, हादसों और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जाती है. पश्चिम रेलवे ने पूरे डिवीजन में 2,729 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित एडवांस कैमरे कुछ लगाए हैं. ये कैमरे फेस रिकॉग्निशन सिस्टम से लैस हैं और इनका कंट्रोल आरपीएफ कंट्रोल रूम में होता है.

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RPF ने अपने इस सिस्टम में लोकल व राज्य पुलिस सहित तमाम सुरक्षा एजेंसियों से अपराधियों का डाटा सेव कर रखा है. अगर स्टेशन परिसर में कोई अपराधी या आरोपी प्रवेश करता है और इस दौरान उसके कैमरे की नजर में आते ही तुरंत कंट्रोल रूम को अलर्ट मिलता है. अलर्ट मिलते ही कंट्रोल रूम में बैठी RPF की टीम उसे पकड़ने के लिए निकल पड़ती है. इस दौरान इस कैमरे की फीड भी दूसरे सिस्टम में स्टोर होती रहती है, ताकि जरूरत पड़ने पर उसे बाद में भी देखा जा सके.

(रिपोर्ट- पारस दामा)

 

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