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4 साल की बच्चियों से घिनौनी हरकत पर उबल पड़ा महाराष्ट्र का बदलापुर, सड़कों पर हजारों लोग

बदलापुर के एक स्कूल में 4 साल की दो बच्चियों के साथ ऐसी घिनौनी हरकत हुई कि मंगलवार को वहां हजारों लोगों की भीड़ ने एक रेलवे स्टेशन को बंधक बना लिया. इन लोगों का आरोप है कि उन्हें इस मामले में FIR दर्ज कराने के लिए 12 घंटों तक पुलिस स्टेशन में बैठाकर रखा गया और पुलिस ने पीड़ित परिवारों के साथ ऐसा सलूक किया, जैसे उन्हीं ने कोई अपराध किया हो.

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बदलापुर में दो लड़कियों के कथित यौन शोषण के विरोध में बदलापुर रेलवे ट्रैक रोकने वाले आंदोलनकारियों पर पुलिस कर्मियों ने लाठीचार्ज किया. (पीटीआई फोटो)
बदलापुर में दो लड़कियों के कथित यौन शोषण के विरोध में बदलापुर रेलवे ट्रैक रोकने वाले आंदोलनकारियों पर पुलिस कर्मियों ने लाठीचार्ज किया. (पीटीआई फोटो)

कोलकाता से लेकर महाराष्ट्र के बदलापुर तक लोगों में गुस्सा है. पूरे देश में प्रदर्शन चल रहा है. डॉक्टर अपनी सुरक्षा की मांग उठा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट तक चिंतित हो गया. बंगाल की बेटियों की सुरक्षा की चिंता में सब जुटे ही थे कि महाराष्ट्र के बदलापुर तक बेटियों के साथ ऐसी घटना हो जाती है कि जनता सड़क पर आ जाती है. कहीं स्कूल में, कहीं सड़क पर और कहीं बस में, कहीं अस्पताल में बदनीयती के महिषासुर का अत्याचार बेटियां सह रही हैं. बेटियों को शक्ति मानने वाले देश में बार-बार बेटियां अपनी सुरक्षा के लिए शक्ति मांगते पूछती हैं कि आखिर कब उनके लिए सुरक्षा की ढाल उठाई जाएगी.

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जहां एक ओर कोलकाता में लेडी डॉक्टर से रेप और मर्डर केस को लेकर पूरा देश गुस्से में है. तो ऐसे में ही महाराष्ट्र से भी दिल दहलाने वाली खबर सामने आ गई. महाराष्ट्र के बदलापुर में आम जनता विरोध प्रदर्शन कर रही है और ये दोनों विरोध-प्रदर्शन (कोलकाता और बदलापुर) एक ही मुद्दे को लेकर हो रहे हैं और वो है, लड़कियों का यौन शोषण. यानी कोलकाता से बदलापुर तक कुछ नहीं बदला है.

बदलापुर के एक स्कूल में 4 साल की दो बच्चियों के साथ ऐसी घिनौनी हरकत हुई कि आज वहां हजारों लोगों की भीड़ ने एक रेलवे स्टेशन को बंधक बना लिया. हालांकि पुलिस के लाठीचार्ज के बाद पुलिस ने रेल ट्रैक को खाली कराया और 10 घंटे बाद ट्रेन सर्विस बहाल की गई. इन लोगों का आरोप है कि उन्हें इस मामले में FIR दर्ज कराने के लिए 12 घंटों तक पुलिस स्टेशन में बैठाकर रखा गया और पुलिस ने पीड़ित परिवारों के साथ ऐसा सलूक किया, जैसे उन्हीं ने कोई अपराध किया हो. इसी का बदला लेने के लिए आज ये हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और इन गुस्साए लोगों ने महाराष्ट्र के बदलापुर रेलवे स्टेशन को बंधक बना लिया और स्थिति ये हो गई कि पुलिस को इस रेलवे स्टेशन को बंद कराना पड़ा.

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इंसाफ की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे लोग

इस सबके बाद जब पुलिस ने इन प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया तो आम लोगों की इस भीड़ ने भी पुलिस पर पत्थर बरसाए और ये कहा कि भारत में सरकारी व्यवस्था से इंसाफ मांगना आज भी इतना मुश्किल क्यों है?

असल में जब किसी परिवार की बहन, बेटी, पत्नी और मां के साथ गुंडे खुलेआम बदतमीजी करते हैं और पुलिस चुपचाप ये सब होते हुए देखती रहती है और एक्शन लेने से इनकार कर देती है, तब जनता के पास कानून अपने हाथ में लेने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचता. लोगों को समझ में आ जाता है कि अगर वो सड़कों पर नहीं उतरे और उन्होंने अपना रौद्र रूप नहीं दिखाया तो उन्हें इंसाफ कभी नहीं मिलेगा और अगर वो चुपचाप एक शरीफ नागरिक की तरह हमारे देश के अपराधियों, व्यवस्था और पुलिस का ये जुल्म सहते रहे तो उनके बच्चों के साथ कभी इंसाफ नहीं होगा.

किसी भी देश के लिए ये बहुत दुर्भाग्य की बात है कि वहां के लोगों को सड़कों पर उतरकर इस तरह लड़कियों के साथ हो रही छेड़छाड़ को रोकने के लिए विरोध प्रदर्शन करना पड़े.

स्टाफ के ही लोगों ने किया दुष्कर्म

कोलकाता की 31 साल की महिला डॉक्टर अपने ही अस्पताल में Doctor On Duty थी. लेकिन वहां उसका बलात्कार और हत्या कर दी गई और बदलापुर में 4 साल की दो बच्चियों के साथ उसके स्कूल के ही एक सफाई कर्मचारी ने एक ऐसी घिनौनी हरकत की, जिसे जानने के बाद कोई भी माता-पिता और परिवार गुस्से और दर्द से अपना आपा खो बैठेगा. लेकिन इन दोनों ही मामलों में व्यवस्था ने और पुलिस ने पीड़ित परिवारों के साथ इंसाफ नहीं किया और यही कारण है कि मंगलवार को बदलापुर में हजारों आम लोग अपना काम-काज छोड़कर बच्चियों को इंसाफ दिलाने के लिए सड़कों पर उतर आए और उन्होंने सरकार से ये मांग की है कि अगर आरोपी को अगले 24 घंटे में बीच चौराहे पर फांसी नहीं दी गई तो वो बहुत बड़ा आंदोलन करेंगे और सड़कों को अपना घर बना लेंगे.

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बदलापुर में जिन बच्चियों का यौन शोषण हुआ, उनमें एक बच्ची सिर्फ 3 साल की है और दूसरी बच्ची सिर्फ 4 साल की है. जबकि इन बच्चियों का यौन शोषण करने वाले आरोपी की उम्र 24 वर्ष है और ये उनके पिता की उम्र का है.

यौन शोषण के बाद दी धमकी

इस घटना आरोपी का नाम अक्षय शिंदे है, जो ठाणे के एक प्ले स्कूल में बतौर सफाईकर्मी काम करता था. लेकिन आरोप है कि 12 और 13 अगस्त को इस व्यक्ति ने दो बच्चियों के साथ स्कूल के बाथरूम में उनका यौन शोषण किया और इन बच्चियों को ये धमकी भी दी कि अगर उन्होंने इसके बारे में कुछ भी अपने माता-पिता को बताया तो वो उन्हें जान से मार देगा.

आरोपी को POCSO एक्ट और BNS की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है.
आरोपी अक्षय शिंदे को POCSO एक्ट और BNS की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है.

इस धमकी और घिनौनी हरकत से ये बच्चियां इतनी डर गईं कि वो स्कूल का गेट देखकर भी कांपने लगीं और इनमें एक बच्ची ने तो स्कूल जाने से भी इनकार कर दिया और इसी के बाद इन बच्चियों के माता-पिता को ये पता चला कि उनके साथ स्कूल में बहुत वीभत्स घटना हुई है. 16 अगस्त को जब इन बच्चियों का परिवार आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन गया तो उन्हें वहां 12 घंटे तक बाहर बैठाकर रखा गया.

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पुलिस इंस्पेक्टर शुभदा शितोले, जो खुद एक महिला हैं, उन्होंने पीड़ित परिवार की FIR दर्ज करने से ही इनकार कर दिया और पुलिस थाने में इन परिवारों के साथ ऐसा सलूक हुआ कि ये लोग वहां देर रात तक सिर्फ FIR दर्ज होने की उम्मीद में बैठे रहे. लेकिन एक महिला इंस्पेक्टर को इन पर और इनकी मासूम बच्चियों पर ज़रा भी तरस नहीं आया.

देर रात जब पुलिस स्टेशन के बाहर कुछ लोगों ने हंगामा किया और वहां कुछ स्थानीय नेता इकट्ठा हुए तो पुलिस ने दबाव में आकर आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज की और 17 अगस्त को उसे गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया. इस सबके बीच जब पुलिस और पीड़ित बच्चियों के माता-पिता जांच के लिए स्कूल पहुंचे. तो स्कूल प्रशासन ने उन्हें ये बताया कि घटना वाले दिन स्कूल में लगा CCTV कैमरा बंद था और स्कूल के पास घटना का कोई CCTV फुटेज नहीं है.

मदद को तैयार नहीं पुलिस

इस बात से ये पीड़ित परिवार इतने टूट गए कि वो ये कहने लगे कि इस देश में इंसाफ पाना इतना मुश्किल क्यों है? यहां ना तो पुलिस अपना काम ईमानदारी से करना चाहती है और जिस स्कूल पर भरोसा करके उन्होंने अपनी बच्चियों को वहां भेजा, वो स्कूल भी उनकी कोई मदद करने के लिए तैयार नहीं है.

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प्रदर्शनकारियों ने की आरोपी को फांसी देने की मांग

इसी के विरोध में 20 अगस्त को बदलापुर के तमाम लोगों ने बंद का आह्वान किया था और इन लोगों की मांग यही है कि आरोपी अक्षय शिंदे को अब 24 घंटे के अंदर फांसी देकर उनकी बच्चियों के साथ इंसाफ किया जाए. महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले में महिला पुलिस इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया है और जिस स्कूल में ये घटना हुई थी, उसकी टीचर समेत तीन कर्मचारियों पर भी कार्रवाई हुई है. लोगों ने इसके विरोध में मंगलवार को रेलवे स्टेशन पर जाकर भी विरोध प्रदर्शन किया और रेल सेवा भी काफी देर तक प्रभावित रही. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि हमारे देश में इस तरह के ज्यादातर मामलों में पुलिस अपना काम ईमानदारी से क्यों नहीं करती? और ऐसा क्यों होता है कि पीड़ित परिवारों को इंसाफ के लिए भीख मांगने को मजबूर किया जाता है?

FIR में देरी के तीन बड़े कारण

कोलकाता में भी जो घटना हुई थी, उसमें भी पुलिस ने अपना काम 'ईमानदारी' से नहीं किया था और इसके बाद सरकार ने भी ACP चंदन गुहा को उनके पद से हटा दिया था. इस मामले में भी ठाणे पुलिस की महिला इंस्पेक्टर ने पीड़ित परिवार के कहने पर FIR दर्ज नहीं की और जब इस पर विवाद हुआ तो पुलिस ने इस महिला इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया. यानी किसी भी राज्य की पुलिस हो और वहां किसी भी पार्टी की सरकार हो, सभी जगहों पर ऐसे मामलों में पुलिस पहली बार में कभी भी पीड़ित परिवारों की शिकायत पर FIR दर्ज नहीं करती और ये सभी राज्यों में होता है और इसके तीन कारण हैं.

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पहला कारण ये है कि- जब कोई FIR दर्ज होती है तो पुलिस को उस मामले में पहले तहकीकात करनी पड़ती है और फिर कार्रवाई करनी पड़ती है और इससे उसका काम काफी बढ़ जाता है. इसी से बचने के लिए पुलिस की पहली कोशिश ये होती है कि उस मामले को बिना FIR के ही शांत कराया जाए.

दूसरा- जब कोई FIR दर्ज होती है तो वो मुकदमा उस पुलिस स्टेशन के सबसे बड़े अधिकारी के रिकॉर्ड में जुड़ जाता है और जब ऐसे मामले में पीड़ित परिवारों को न्याय नहीं मिलता तो वो मुकदमे पुलिस वालों के लिए उनकी नाकामी बन जाते हैं जो उनके करियर में प्रमोशन के दौरान बड़ी रुकावट बनते हैं.

और तीसरा- पुलिस पर सरकारों का ये दबाव भी होता है कि उन्हें अपने जिले और क्षेत्र में अपराध कम करके दिखाने होते हैं और यही कारण है कि जब कोई ऐसी घटना हो जाती है कि पुलिस का पहला प्रयास यही होता है कि उस मामले में सीधे FIR ना हो. कोलकाता और बदलापुर के मामले में भी यही हुआ है, जिसके कारण लोगों को इंसाफ के लिए खुद सड़कों पर उतरना पड़ा है. हालांकिर ये तस्वीरें इस देश के लिए अच्छी नहीं हैं. बदलापुर की इस घटना पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि वो दोषी को सख्त से सख्त सजा दिलाएंगे. लेकिन लोग कह रहे हैं कि उन्हें सरकार और पुलिस पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है और उन्हें इंसाफ ON THE SPOT चाहिए और वो अपनी आंखों के सामने आरोपी को फांसी पर लटकते हुए देखना चाहते हैं.

आजतक ब्यूरो
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