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नागपुर हिंसा के पीछे 'कश्मीर पैटर्न'? किसने रची साजिश और मास्क के पीछे कौन थे दंगाई? जांच में जुटी पुलिस

नागपुर हिंसा में कश्मीर पैटर्न भी चर्चा में आया है. उपद्रवियों ने शहर की सड़कों पर जमकर पत्थर चलाए और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया. पुलिस पर भी पत्थर फेंके. तलवार और कुल्हाड़ी से हमले किए. वाहनों को तोड़ा. पुलिस ने वो पत्थर भी जब्त किए हैं, जो सार्वजनिक संपत्तियों पर फेंके गए थे.

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नागपुर हिंसा में उपद्रवियों ने वाहनों को जला दिया. पुलिस ने पत्थर भी बरामद किए हैं.
नागपुर हिंसा में उपद्रवियों ने वाहनों को जला दिया. पुलिस ने पत्थर भी बरामद किए हैं.

महाराष्ट्र के नागपुर में हिंसा थम गई है और अब पुलिस उन उपद्रवियों की तलाश कर रही है, जिन्होंने शहर को हिंसा की आग में झोंका और माहौल खराब किया. पुलिस का कहना है कि हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि हिंसा कैसे शुरू हुई और कुछ लोगों द्वारा अचानक भड़काने का काम कैसे किया गया. किसने पूरी साजिश रची और मास्क के पीछे छिपे दंगाई कौन थे? इन सारे सवालों के जवाब तलाशे जा रहे हैं.

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इस हिंसा में कश्मीर पैटर्न भी चर्चा में आया है. उपद्रवियों ने जमकर पत्थर चलाए और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया. पुलिस पर भी पत्थर फेंके. तलवार और कुल्हाड़ी से हमले किए. वाहनों को तोड़ा. यहां तक कि पुलिस ने जो पत्थर बरामद किए हैं, वो एक पूरी गाड़ी में भर गए.

कश्मीर पैटर्न का क्या एंगल?

इस संबंध में एक एटीएस अधिकारी ने बताया कि वो गोपनीय तौर पर यह जांच कर रहे हैं. चूंकि ऐसे मामलों में यह आम बात होती है. पथराव के ‘कश्मीर पैटर्न’ की रिपोर्ट पर एटीएस अधिकारी ने कहा कि शुरुआती जांच में अभी तक ऐसा कोई पैटर्न नहीं आया है. पुलिस को भी यह जांच करनी चाहिए कि भीड़ ने कैसे पत्थरों और ईंटों से इकट्ठा किया? पुलिस वाहनों पर कैसे पेट्रोल बम का इस्तेमाल किया गया? इन सभी पहलुओं की जांच करने की जरूरत है.

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दरअसल, कश्मीर में पत्थरबाजी (स्टोन पेल्टिंग) लंबे समय से विरोध प्रदर्शन का एक प्रमुख तरीका रहा है. इसे 'कश्मीर पैटर्न' इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह एक संगठित और रणनीतिक तरीके से किया जाता है. इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे भी साफ कह चुके हैं कि हिंसा पूरी तरह सुनियोजित लग रही है. भीड़ ने भी रणनीति के साथ इलाकों और घरों को निशाना बनाया.

हिंसा प्रभावित इलाकों में पुलिस का रूट मार्च

इससे पहले मंगलवार शाम पुलिस ने मध्य नागपुर के दंगा प्रभावित इलाकों में रूट मार्च किया. पुलिस कमिश्नर रविंदर सिंघल ने कहा, पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि हिंसा कैसे शुरू हुई और कुछ लोगों द्वारा अचानक भड़काने का काम कैसे किया गया. हम यह भी जांच कर रहे हैं कि क्या सोशल मीडिया का इस्तेमाल (अफवाह फैलाने के लिए) किया गया था. हमने 11 थाना इलाकों में कर्फ्यू लगाया है. शहर में शांति है. पुलिस ने तलाशी अभियान चलाकर 50 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया है. 

'जिन्होंने मास्क पहना, उनकी पहचान करेंगे'

पुलिस कमिश्नर ने कहा, हम हिंसा में शामिल अन्य लोगों की पहचान करने के लिए सोशल मीडिया पर सीसीटीवी फुटेज और वीडियो की भी जांच कर रहे हैं. उपद्रवियों ने निर्माण स्थलों से ईंट और पत्थरों का इस्तेमाल किया है. हम उन लोगों की पहचान करने जा रहे हैं जिन्होंने मास्क पहना था. पुलिस भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सभी समुदाय के नेताओं से बातचीत भी करेगी. हमने मामला दर्ज कर लिया है और लोगों को गिरफ्तार कर रहे हैं. शांति स्थापित करने के लिए हमारी कार्रवाई जारी है. सोशल मीडिया पर नजर रखी जा रही है. हम जो जानकारी प्राप्त कर रहे हैं, उसे डेवलप कर रहे हैं. क्या कोई इसकी साजिश कर रहा था और इसमें कितने लोग शामिल थे, इसकी जांच की जा रही है. फिलहाल कर्फ्यू लागू रहेगा और इसमें ढील देने का फैसला स्थिति पर निर्भर करेगा.

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क्या है पूरा मामला?

दरअसल, सोमवार शाम करीब साढ़े सात बजे मध्य नागपुर के महल इलाके के चिटनिस पार्क में हिंसा भड़क उठी. इस दौरान पुलिस पर पत्थर फेंके गए. पुलिस और सरकार के मुताबिक, नागपुर शहर में सोशल मीडिया के जरिए ये अफवाह फैली कि हिंदू संगठन किसी धार्मिक चिह्न का अपमान करके उसे जला रहे हैं. दोनों पक्षों के बीच हुई हिंसा में कई वाहनों में आग लगा दी गई और कई घरों में तोड़फोड़ की गई. हिंसा में 34 पुलिसकर्मी घायल हो गए. 

हालांकि, सच्चाई ये है कि ये एक अफवाह थी. ये दंगे उस वक्त शुरू हुए, जब हिंदू संगठन अपने विरोध प्रदर्शन में औरंगजेब की एक प्रतीकात्मक कब्र को जलाना चाहते थे. ये कब्र गोबर के उपलों से बनाई गई थी. हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता इस कब्र को जलाकर औरंगजेब की असली कब्र का विरोध करने वाले थे.

सोशल मीडिया यूजर्स पर नजर

घटना के कुछ वीडियो सामने आए, जिसमें देखा गया कि जिन लोगों ने हिंसा की, वो तलवार लेकर आए थे और इन लोगों ने पुलिस पर भी हमला किया. पुलिस को शक है कि हिंसा के लिए भीड़ को सोशल मीडिया के जरिए इकट्ठा किया गया था. अब तक पुलिस ऐसे कई सोशल मीडिया यूजर्स की पहचान कर चुकी है, जिन्होंने हिंसा से पहले अफवाह फैलाई थी. भीड़ को इकट्ठा करने के लिए उन्हें निर्देश दिए थे. बीजेपी के स्थानीय नेताओं का आरोप है कि ये हिंसा सुनियोजित थी. 

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Nagpur Deputy Commissioner of Police (DCP) Shashikant Satave
हिंसा में घायल हुए पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) शशिकांत का नागपुर के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है.

पुलिस ने क्या-क्या एक्शन लिया?

इस हिंसा के खिलाफ अब तक 5 FIR दर्ज हुई हैं और पुलिस ने कुल 60 लोगों को गिरफ्तार किया है. हमले में कुल 32 पुलिसकर्मी घायल हुए. इनमें तीन डीसीपी रैंक के अधिकारी शामिल हैं. DCP निकेतन कदम का नाम भी शामिल है. इलाज के बाद अधिकतर पुलिस कर्मियों ने ड्यूटी जॉइन कर ली है. अभी भी नागपुर में 11 पुलिस स्टेशन के इलाकों में कर्फ्यू जारी है. DCP निकेतन कदम का कहना है कि उन पर कुल्हाड़ी से हमला हुआ था और हिंसक भीड़ अपने साथ तलवार और कुल्हाड़ी जैसे हथियार लेकर आई थी.

महाराष्ट्र के सीएम ने क्या कहा?

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि नागपुर हिंसा पूर्व नियोजित लगती है और भीड़ ने खास घरों को निशाना बनाया है. उन्होंने आगे कहा कि फिल्म 'छावा' ने औरंगजेब के खिलाफ लोगों की भावनाओं को फिर से जगा दिया है. उन्होंने कहा, उसके (फिल्म के) बाद लोगों की भावनाएं फिर से भड़क उठी हैं. औरंगजेब के खिलाफ गुस्सा बड़े पैमाने पर प्रदर्शित हो रहा है. 

गृह विभाग संभाल रहे फडणवीस ने कहा कि हिंसा में तीन डीसीपी समेत 33 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. एक डीसीपी पर कुल्हाड़ी से हमला किया गया. पुलिस पर हमला करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. भीड़ ने कुछ खास घरों और प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया. यह (हमला) पूर्व नियोजित लगता है. ऐसा लगता है कि कुछ लोगों ने पहले से ही योजना बना रखी थी. उनके खिलाफ निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी और जिन्होंने भी पुलिसकर्मियों पर हमला किया है, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. सामान्य स्थिति बहाल की जा रही है. 

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उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि एक खास समुदाय को निशाना बनाने की साजिश थी. 

nagpur

फडणवीस ने दिया घटना का पूरा ब्यौरा

फडणवीस ने घटनाक्रम का ब्यौरा दिया और बताया कि सोमवार सुबह 11.30 बजे विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने शहर के महल इलाके में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने घास से एक प्रतीकात्मक कब्र भी बनाई और उसमें आग लगा दी. दोपहर में गणेश पेठ पुलिस थाने में कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और उनके खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य करने से संबंधित धारा लगाई गई.

शाम तक यह अफवाह फैल गई कि जिस प्रतीकात्मक कब्र में आग लगाई गई है, उसमें कुछ धार्मिक सामग्री रखी थी. इसके बाद 200-300 लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी और हिंसा करने की धमकी दी, जिसके बाद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया. फडणवीस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को गणेश पेठ पुलिस स्टेशन आने के लिए भी कहा गया, क्योंकि वे विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराना चाहते थे.

उन्होंने कहा, जब पुलिस की कार्रवाई चल रही थी, तब हंसपुरी में 200-300 लोगों ने पथराव किया. उनके चेहरे मास्क से ढके हुए थे. कुछ लोगों पर धारदार हथियारों से हमला किया गया.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि तीसरी घटना शाम 7.30 बजे भालदारपुरा में हुई, जहां 80 से 100 लोगों की भीड़ ने पुलिस पर हमला किया. इसलिए उनसे निपटने के लिए आंसू गैस और हल्का बल प्रयोग किया गया. उन्होंने कहा कि एक क्रेन और दो जेसीबी को आग लगा दी गई.

उन्होंने कहा, तीन डीसीपी समेत कम से कम 33 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और एक डीसीपी पर कुल्हाड़ी से हमला किया गया. हमले में पांच नागरिक घायल हुए हैं और उनमें से एक आईसीयू में है. गणेश पेठ थाने में तीन मामले दर्ज किए गए हैं. तहसील थाने में दो मामले दर्ज किए गए. पत्थरों से भरी एक ट्रॉली बरामद की गई. हमने पाया कि कुछ लोगों ने पत्थर इकट्ठा किए थे. आगजनी हुई और वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया. कुछ घरों और प्रतिष्ठानों को पूर्व नियोजित तरीके से निशाना बनाया गया. 

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