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किशोर बियानी को बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली राहत, रद्द किया बैंक का कारण बताओ नोटिस

9 अगस्त 2023 को जारी इस फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट (FAR) के आधार पर, बैंक ने 17 अगस्त 2023 को किशोर बियानी को शो-कॉज नोटिस भेजा था. हालांकि, बियानी ने इसे अंतरिम और त्रुटिपूर्ण बताते हुए दावा किया कि ऑडिट रिपोर्ट अधूरी और पक्षपाती थी, क्योंकि ऑडिटर्स के पास कंपनी के सभी दस्तावेजों तक उचित पहुंच नहीं थी.

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बॉम्बे हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
बॉम्बे हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को फ्यूचर रिटेल लिमिटेड के पूर्व निदेशक किशोर बियानी के खिलाफ बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी किए गए शो-कॉज नोटिस को खारिज कर दिया. यह नोटिस फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों के आधार पर जारी किया गया था.

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बैंक ऑफ इंडिया ने फ्यूचर रिटेल लिमिटेड, जो वर्तमान में कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस- CIRP के अंडर है, का फोरेंसिक ऑडिट कराने के लिए बीडीओ इंडिया एलएलपी को नियुक्त किया था.

नोटिस को वापस लेने के लिए बैंक तैयार

9 अगस्त 2023 को जारी इस फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट (FAR) के आधार पर, बैंक ने 17 अगस्त 2023 को किशोर बियानी को शो-कॉज नोटिस भेजा था. हालांकि, बियानी ने इसे अंतरिम और त्रुटिपूर्ण बताते हुए दावा किया कि ऑडिट रिपोर्ट अधूरी और पक्षपाती थी, क्योंकि ऑडिटर्स के पास कंपनी के सभी दस्तावेजों तक उचित पहुंच नहीं थी.

मामले की सुनवाई के दौरान बैंक ऑफ इंडिया के वकील साइरुज़ अर्देशिर और श्रीराज खांबेटे ने अदालत को बताया कि बैंक इस नोटिस को वापस लेने के लिए तैयार है, क्योंकि यह 9 अगस्त 2023 की अंतरिम रिपोर्ट पर आधारित था.

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बैंक को नया नोटिस भेजने की छूट

अदालत ने नोटिस की वापसी की अनुमति देते हुए बैंक को भविष्य में उचित प्रक्रिया और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए नया नोटिस जारी करने की छूट प्रदान की. बियानी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आशीष कामत ने अदालत से फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट को भी निरस्त करने की मांग की. 

72 घंटे के भीतर देनी होगी नोटिस वापसी की सूचना

उन्होंने तर्क दिया कि रिपोर्ट विश्वसनीय नहीं है और अधूरी जानकारी के आधार पर तैयार की गई है. उन्होंने ऑडिट फर्म पर पक्षपात का आरोप लगाया और रिपोर्ट की विस्तृत समीक्षा की मांग की. कामत ने अदालत को बताया कि किशोर बियानी एक प्रमोटर थे, लेकिन अब कंपनी CIRP के अधीन है. 

ऐसे में कंपनी के सभी दस्तावेज और खातों तक ऑडिटर की पूरी पहुंच नहीं हो सकती, जिससे फोरेंसिक रिपोर्ट अधूरी और भ्रामक हो सकती है. अदालत ने बैंक को निर्देश दिया कि वह 72 घंटे के भीतर किशोर बियानी को नोटिस की वापसी की सूचना दे.

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