बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुणे के पास हिल स्टेशन लवासा के निर्माण से संबंधित जनहित याचिका और अलग-अलग अंतरिम आवेदनों को खारिज कर दिया. अदालत ने परियोजना के लिए दी गई अनुमति पर कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, लेकिन कोर्ट ने कहा कि सरकारी तंत्र पर राकांपा प्रमुख शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले के दबदबे के कारण ही इसका विकास हुआ.
अदालत ने अपने आदेश में लवासा हिल स्टेशन परियोजना को शरद पवार के दिमाग की उपज बताया. बता दें कि 2001 में महाराष्ट्र सरकार ने हिल स्टेशन के विकास की अनुमति दी थी.
याचिकाकर्ता अधिवक्ता नानासाहेब जाधव ने यह कहते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था कि पवार परिवार राजनीतिक स्थिति की वजह से बहुत शक्तिशाली और प्रभावशाली है, और इस राजनीतिक दबदबे का प्रभाव था कि लवासा हिल स्टेशन परियोजना का विकास हुआ.
जनहित याचिका में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार, उनकी बेटी और लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले और शरद के भतीजे और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को प्रतिवादी के रूप में नामजद किया गया था. हालांकि, जवाब में केवल अजीत पवार ने हलफनामा दाखिल किया. इस याचिका में लवासा के विकास के लिए विकास आयुक्त (उद्योग) की ओर से दी गई विशेष अनुमति को अमान्य, मनमानी, अनुचित और राजनीतिक पक्षपात पर आधारित घोषित करने की अपील की गई थी.