महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आज कहा कि उनकी सरकार मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग पर काम कर रही है लेकिन कानूनी प्रक्रिया की अनदेखी नहीं की जा सकती है. महाराजा शिवाजी के वंशज छत्रपति राजाराम पर आधारित एक किताब के विमोचन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में फडणवीस ने कहा कि केवल भावनाओं के आधार पर फैसला नहीं किया जा सकता है.
उन्होंने पिछले कुछ दिनों में मराठा संगठनों की ओर से आरक्षण की मांग को लेकर किये जा रहे आंदोलन के दौरान हिंसक घटनाओं और कथित तौर पर खुदकुशी किये जाने के मामले को निराशाजनक करार दिया. फडणवीस ने कहा, 'अगर भावनाएं उत्तेजित होती हैं तो समुदाय में अशांति पैदा होगी. कानूनी प्रक्रिया को पूरा किये जाने की जरूरत है और हमारी सरकार समयबद्ध तरीके से ऐसा करेगी.'
उन्होंने कहा कि राज्य की भाजपा नीत सरकार ने सत्ता में आने के एक साल के भीतर नौकरियों और शिक्षा में समुदाय को आरक्षण देने के लिए कानून बना दिया था. फडणवीस ने कहा, 'लेकिन उच्च न्यायलय ने इस निर्णय पर स्थगन लगा दिया और उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा. उच्चतम न्यायालय के 1992 के फैसले के अनुसार 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता है.'
उन्होंने कहा, 'असाधारण परिस्थितियों में ही सीमा को बढ़ाया जा सकता है और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के जरिए (अदालत के समक्ष) ऐसी परिस्थितियां पैदा की जा सकती हैं.' फडणवीस ने कहा कि उनकी सरकार ने एक समिति का गठन किया था और सर्वेक्षण और जन सुनवाई का काम प्रारंभ भी हो गया था.
उन्होंने कहा, 'लेकिन अध्यक्ष का निधन हो गया था. अब नये अध्यक्ष की नियुक्ति की गयी है और प्रक्रिया को फिर से शुरू किया गया है.' समिति के रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद हम आरक्षण की मांग को उसकी तार्किक परिणति तक पहुंचाने के लिए विधानसभा का सत्र बुलाएंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को यह समझने की जरूरत है कि आरक्षण की कानूनी समीक्षा हो सकती है और वह उच्चतम न्यायालय के 1992 के फैसले के अनुरूप होना चाहिए.
कांग्रेस ने मुद्दे को सुलझाने के महाराष्ट्र के दावे पर उठाए प्रश्न
इधर, कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि मराठा आरक्षण मुद्दे को सुलझा लेने के महाराष्ट्र सरकार के दावे के बावजूद कम से कम तीन महीने से पहले इस पर कोई भी ठोस हल निकलने के आसार नहीं है. विपक्षी पार्टी का दावा है कि समुदाय के सामजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन पर रिपोर्ट तैयार कर रहे महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपने नेताओं को बताया है कि रिपोर्ट तैयार करने में उसे तीन माह का वक्त लगेगा. महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख अशोक च्वहाण ने इस मुद्दे पर सरकार पर ऐसे बयान देने का भी आरोप लगाया जो तथ्यों के ठीक उलट हैं.