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महाराष्ट्र: हिंगोली में बनेगी देश की पहली ऑब्जर्वेटरी, ब्रह्मांड की प्रलयकारी घटनाओं के असर पर होगी स्टडी

LIGO Project: भारत में अमेरिका के बाहर पहले लिगो प्रोजेक्ट की स्थापना होने जा रही है. यह ऑब्जर्वेटरी महाराष्ट्र के हिंगोली में बनेगी, जो ब्रह्मांड में प्रलयकारी घटनाओं से पृथ्वी पर आने वाली गुरुत्वाकर्षण तरंगों का अध्ययन करेगी. इस ऑब्जर्वेटरी के लिए पीएम मोदी की अध्यक्षता में 2600 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी गई है.

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महाराष्ट्र के हिंगोली के औंध में बनेगी ऑब्जर्वेटरी
महाराष्ट्र के हिंगोली के औंध में बनेगी ऑब्जर्वेटरी

केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के हिंगोली में इंटरफेरोमीटर, ग्रेविटेशनल वेब ऑब्जर्वेटरी (लिगो इंडिया) की स्थापना के लिए 2600 करोड़ के बजट को मंजूरी दे दी है. पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय बोर्ड की बैठक में यह अहम फैसला लिया गया है.

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ब्रह्मांड की बेहतर समझ और न्यूट्रॉन सितारों व ब्लैक होल्स जैसी खगोलीय अवधारणाओं पर स्टडी करने वाले ऐसी दो ऑब्जर्वेटरी अमेरिका के वॉशिंगटन के हैनफोर्ड और लुइसियाना के लिविंग्सटॅन में हैं, अब तीसरी भारत में महाराष्ट्र के औंध के अंजनवाड़ी दुधाला इलाके में बनने जा रही है, जहां ब्रह्मांड में प्रलयकारी घटनाओं से पृथ्वी पर आने वाले गुरुत्वाकर्षण तरंगों के अध्ययन.

पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मार्च 2016 में ऑब्जर्वेटी बनाने पर सहमति बनी थी, जिसके बाद हिंगोली जिला प्रशासन ने ऑब्जर्वेटरी के लिए 225 हेक्टेयर जमीन आवंटित की थी, जिसके बाद प्रोजेक्ट निर्माण के लिए केंद्र सें मंजूरी मिलना बाकी थी.

इसलिए औंध को चुना गया

परमाणु उर्जा विभाग के मुताबिक प्रयोग करने के लिए एक सपाट जगह की जरूरत थी. करीब चार किलोमीटर की ऐसी पट्टी, जिसमें बिना अवरोध के सीधी सपाट जगह पर लेजर का अध्ययन किया जा सके. औंध की जमीन ऐसी स्थिति के लिए बिल्कुल सीट थी, इसलिए इसका चुनाव किया गया. हालांकि औंध के अलावा राजस्थान के उदयपुर में भी एक और जमीन को देखा गया था.

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ऑब्जर्वेटरी के लिए US से करार

अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन के वैज्ञानिकों और भारत के डीएई और डीएसटी के बीच लिगो परियोजना के लिए करार हो चुका है. लिगो-भारत भारतीय उद्योगों के लिए बेहतरीन तकनीकी के महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगी. अंतरिक्ष एवं परमाणु ऊर्जा विभाग के मुताबिक इस ऑब्जर्वेटरी का उद्देश्य अंतरिक्ष विभाग की भूमिका, निजी क्षेत्र की भागीदारी, इसरो के मिशनों के विस्तार व शोध, अकादमिक, स्टार्ट अप्स एवं उद्योगों की अधिक सहभागिता को सुनिश्चित करना है. 

 

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