लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है और राजनीतिक दल अपने-अपने स्तर पर चुनाव प्रचार में लग गए हैं और दूसरे दलों के असंतुष्ट नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कराने का सिलसिला भी जोर पकड़ने लगा है. हर रोज किसी न किसी पार्टी में दूसरी पार्टी के नेता शामिल हो रहे हैं. पार्टी बदलने के दौर में महाराष्ट्र की राजनीति में कांग्रेस को बड़ा झटका तब लगा कि विधानसभा में विपक्ष के नेता के बेटे बीजेपी में शामिल हो गए.
कांग्रेस एक ओर 58 साल बाद गुजरात में वर्किंग कमेटी की बैठक में व्यस्त है और पार्टी का शीर्ष नेतृत्व वहां मौजूद है, दूसरी ओर महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेटे सुजय आज मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. बीजेपी से जुड़े सूत्रों के अनुसार, पार्टी सुजय को अहमदनगर लोकसभा सीट से टिकट दे सकती है. फिलहाल यहां से बीजेपी के ही मनसुखलाल गांधी सांसद हैं.
#Maharashtra: Sujay Vikhe Patil joins BJP in presence of Chief Minister Devendra Fadnavis. He is son of Radhakrishna Vikhe Patil, senior Congress leader and Leader of Opposition in Maharashtra Assembly. pic.twitter.com/6Cr4eez99R
— ANI (@ANI) March 12, 2019
सुजय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हो गए. कहा जा रहा है कि बीजेपी में शामिल होने और उन्हें अहमदनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिए जाने की खबर पर खुद पार्टी में खासी नाराजगी है.
सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठ सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप गांधी के समर्थक सुजय के पार्टी में शामिल कराए जाने को लेकर विरोध कर रहे हैं.
दूसरी तरफ सुजय के कांग्रेस छोड़ने के पीछे के कारणों के बारे में सूत्र बताते हैं कि राधाकृष्ण विखे पाटिल ने अपने बेटे सुजय से लिए अहमदनगर लोकसभा सीट से टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन कांग्रेस का राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ करार होने और यह सीट एनसीपी के खाते में चले जाने के बाद सुजय पाटिल को तगड़ा झटका लगा.
दूसरी ओर, एनसीपी के प्रमुख शरद पवार की ओर से कहा गया था कि सुजय विखे पाटिल को यहां से उनकी पार्टी की ओर से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया गया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था.
सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस ने सुजय को बीजेपी में शामिल होने से रोकने के लिए हरसंभव कोशिश की थी. राधाकृष्ण विखे पाटिल को इसके लिए दिल्ली भी बुलाया गया था. उन्होंने एक दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मुलाकात भी की थी, लेकिन बातचीत का कोई समाधान नहीं निकल सका.