महाराष्ट्र के बहुचर्चित वसूली कांड में गृह मंत्री पद से अनिल देशमुख ने इस्तीफा दे दिया है. मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने एक चिट्ठी के जरिए अनिल देशमुख पर सौ करोड़ रुपये की वसूली का आरोप लगाया था, जिसका नतीजा ये हुआ कि अब अनिल देशमुख का इस्तीफा हो गया है. पिछले करीब एक महीने से महाराष्ट्र की राजनीति में इसको लेकर विवाद हुआ था. विवाद शुरू होने के करीब एक महीने बाद अनिल देशमुख को अपना पद छोड़ना पड़ा.
इस पूरे विवाद में कब क्या हुआ, एक नजर डालें...
• फरवरी के आखिरी हफ्ते में मुंबई में एंटीलिया के बाहर एक संदिग्ध कार मिली, जिसमें विस्फोटक थे.
• 5 मार्च को जब गाड़ी के मालिक का शव मिला, तब मुंबई पुलिस के इंस्पेक्टर सचिन वाज़े पर सवाल खड़े हुए.
• 15 मार्च को सचिन वाज़े को सस्पेंड किया गया. 17 मार्च को परमबीर सिंह को मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद से हटाया गया, डीजी होमगार्ड्स बनाया गया.
• 20 मार्च को परमबीर सिंह की एक चिट्ठी सामने आई. जिसमें उन्होंने दावा किया कि अनिल देशमुख लगातार सचिन वाज़े से मुलाकात करते थे. उन्होंने सचिन वाज़े से डिमांड रखी थी कि मुंबई से हर महीने 100 करोड़ की वसूली की जानी चाहिए.
• परमबीर सिंह के आरोपों के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मची. अनिल देशमुख ने आरोपों को नकारा, लेकिन बीजेपी ने अनिल देशमुख का इस्तीफा मांगा.
• 21 मार्च को शरद पवार ने दिल्ली में अपनी पार्टी के नेताओं के साथ बैठक की. इसी के बाद उन्होंने साफ कर दिया कि अनिल देशमुख पद से इस्तीफा नहीं देंगे. परमबीर सिंह के लगाए आरोप राजनीति से प्रेरित लगते हैं.
• 22 मार्च को परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और अनिल देशमुख के खिलाफ जांच की मांग की. हालांकि, अदालत ने परमबीर सिंह से हाईकोर्ट जाने को कहा.
• 30 मार्च को महाराष्ट्र सरकार ने एक कमेटी बनाई, जिसका काम अनिल देशमुख के ऊपर लगे आरोपों की जांच करना था.
• 5 अप्रैल को बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि इन आरोपों की जांच सीबीआई करेगी. 15 दिन की रिपोर्ट के बाद सीबीआई तय करेगी कि अनिल देशमुख पर एफआईआर दर्ज करनी है या नहीं.
• अदालत के आदेश के तीन घंटे बाद ही अनिल देशमुख ने अपना पद छोड़ दिया.